क्या सिर्फ वायु प्रदूषण से ही देश में बढ़ रही सांस की बीमारियां या कुछ और भी है इसका कारण?

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि पिछले दो सालों में सांस की बीमारियों के मरीज काफी बढ़ गए हैं. जिस समय पॉल्यूशन का लेवल कम था. उस दौरान भी कई ऐसे केस देखे जा रहे थे, जिनमें लोगों को ये डिजीज हो रही थी.

पिछले कई सालों से इस मौसम में लोगों को सांस संबंधित बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. चेस्ट रिसर्च फाउंडेशन की स्टडी के मुताबिक, देश में रेस्पिरेटरी डिजीज के मरीजों में लगातार इजाफा हो रहा है. करीब 30 फीसदी लोग सांस की किसी न किसी बीमारी के इलाज के लिए डॉक्टरों के पास जा रहे हैं. सबसे अधिक केस अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सीपीओडी जैसी डिजीज के आ रहे हैं. इसकी एक बड़ी वजह बढ़ते वायु प्रदूषण को माना गया है. इस समय ही दिल्ली -एनसीआर समेत कई इलाकों में पॉल्यूशन का लेवल खराब श्रेणी में है. जिन लोगों को पहले कभी सांस की बीमारियों नहीं थी. उनको भी अब अस्थमा और सीओपीडी जैसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

इन सब आंकड़ों के बीच एक सवाल भी उठता है. सवाल यह है कि प्रदूषण की समस्या तो कई सालों से हो रही है, लेकिन पिछले दो सालों से इस सीजन में रेस्पिरेटरी डिजीज ज्यादा क्यों देखी जा रही है. जिन लोगों को पहले कभी सांस की बीमारियां नहीं थी. उनको भी ये डिजीज क्यों शिकार बना रही हैं. क्या इसका कारण प्रदूषण के अलावा भी कुछ और हैं?

कोविड वायरस बन रहा सांस की बीमारियों के फैलने का कारण

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि पिछले दो सालों में सांस की बीमारियों के मरीज काफी बढ़ गए हैं. जिस समय पॉल्यूशन का लेवल कम था. उस दौरान भी कई ऐसे केस देखे जा रहे थे, जिनमें लोगों को रेस्पिरेटरी डिजीज हो रही थी. इसका कारण कोविड वायरस है. कोरोना वायरस ने लंग्स के काम करने की क्षमता पर असर किया है.

ब्रिटेन के शेफील्ड और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस पर एक रिसर्च भी कि है, जिसमें बताया गया है कि कोविड से संक्रमित हुए लोगों में तीन से छह महीने बाद तक भी लंग्स के फंक्शन में कमी देखी जा रही है. कोविड से संक्रमित हुए मरीजों के फेफड़ों में कई प्रकार के इंफेक्शन मिले हैं, जिससे लंग्स पर काफी असर पड़ा है.संक्रमित हुए मरीजों को एक साल बाद तक भी सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ा है. कई मामलों में मरीजों को दोबारा से भी अस्पताल में भर्ती होने की जरूर पड़ी है.

एक्सपर्ट भी कोविड को बता रहे हैं एक बड़ा खतरा

दिल्ली के मूलचंद हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजी विभाग के डॉ. भगवान मंत्री बताते हैं कि कोरोना वायरस लंग्स पर काफी ज्यादा पड़ा है. उनके पास कई ऐसे केस आ रहे हैं, जहां लोगों को इस मौसम में भी सांस की बीमारी पहले नहीं होती थी, लेकिन अब उनको रेस्पिरेटरी डिजीज हो रही है. डॉ मंत्री इसका एक बड़ा कारण कोविड वायरस को मानते हैं, वे कहते हैं कि कोविड ने लंग्स पर काफी असर किया है. इस वायरस ने लंग्स को कमजोर कर दिया है. ऐसे में जिन इलाकों में प्रदूषण बढ़ रहा है वहां के लोगों को सांस की बीमारियों हो रही हैं. यही कारण है कि अब ऐसे भी केस आ रहे हैं जहां लोगों को पहली बार इन बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है.

डॉ भगवान कहते हैं कि उनके कई मरीज यह भी बताते हैं कि बचपन में उन्हें कभी-कभी इस मौसम में खांसी या सांस की तकलीफ होती थी, लेकिन बाद में धीरे -धीरे ये परेशानी ठीक हो गई और बाद में कभी इन समस्या का सामाना नहीं करना पड़ा, लेकिन कोविड से संक्रमित होने के बाद अब बढ़ते प्रदूषण से उन्हें सांस से जुड़ी हुई बीमारियां हो रही है, जिससे पता चलता है कि केवल प्रदूषण ही नहीं बल्कि कोरोना का वायरस भी रेस्पिरेटरी डिजीज के बढ़ने की एक बड़ी वजह है.

संक्रमण से उबरने के बाद भी पीछा नहीं छोड़ रहा ये वायरस

राजीव गांधी हॉस्पिटल के डॉ अजित कुमार कहते हैं कि कोविड की दूसरी वेव के दौरान अस्थमा, और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों की वजह से लोगों में मृत्यु दर काफी अधिक रही थी. यहां तक कि वायरस से उबरने के बाद भी कई लोगों को सांस संबंधित बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है.

ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि कोविड वायरस सीधे तौर पर रेस्पिरेटरी ट्रेक्ट पर हमला करता है. इससे लंग्स की क्षमता कम होने लगती है. इसका असर कई साल तक रह सकता है. यही कारण है कि प्रदूषण बढ़ने पर लंग्स की बीमारी फिर से ट्रिगर हो रही हैं और लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए हम अस्पतालों में रेस्पिरेटरी डिजीज के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा देख रहे हैं.

क्या है इस परेशानी का समाधान

डॉ कुमार बताते हैं कि कोविड से अधिकतर लोग संक्रमित हुए हैं. जिनके लंग्स पर इससे ज्यादा असर पड़ा है उनको सांस की बीमारियों का सामना करना पड़ेगा ही, लेकिन समय पर डॉक्टरों से सलाह लेकर बचाव किया जा सकता है. इसके अलावा लंग्स को मजबूत बनाने के लिए लोग योग का सहारा ले सकते हैं. सबसे जरूरी है कि खुद का प्रदूषण से बचाव ककें, अपने शरीर में मोटापा न बढ़ने दें.लाइफस्टाइल को ठीक रखें और डाइट में फल और सब्जियों का सेवन अधिक करें.नट्स, बीज औरओमेगा 3 फैटी एसिड से भी लंग्स को मजबूत किया जा सकता है.

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