साढ़े पांच लाख रुपये के लालच में 3745 लोग बन गए किसान, प्रशासनिक जांच में हुआ खुलासा
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के विस्तार के लिए जमीन अधिग्रहण हो रहा है। छह गांवों में 1365 हेक्टेयर जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है। जिला प्रशासन ने जमीन की खरीद फरोख्त की जांच कराई है। अधिग्रहण से प्रभावित को नौकरी या साढ़े पांच लाख रुपये मिलेंगे।
ग्रेटर नोएडा, साढ़े पांच लाख रुपये या नौकरी के लालच में 3745 लोग रातों रात किसान बन गए है। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के विस्तार के लिए हो रहे जमीन अधिग्रहण में शामिल गांवों के किसानों से लोगों ने दस से लेकर पचास वर्गगज के भूखंड खरीद लिए हैं। इससे किसानों की संख्या बढ़ गई है।
प्रशासन की जांच में सामने आया है कि जमीन अधिग्रहण से प्रभावित गांवों में दो साल के दौरान 1642 लोगों के नाम जमीन संबंधी सरकारी दस्तावेज में दर्ज हुए हैं। जबकि खरीदारों की संख्या 3745 है। कई खरीदारों के नाम अभी सरकारी दस्तावेज में दर्ज (दाखिल खारिज) नहीं हो पाए हैं।
इन गांवों में 2021 में जमीन की सबसे अधिक खरीद-फरोख्त हुई है। अधिग्रहण से प्रभावित किसानों की संख्या बढ़ने से नौकरी के एवज में दी जाने वाली राशि के कारण सरकार के खजाने पर दो अरब रुपये से अधिक का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा ।
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के विस्तार के लिए जिला प्रशासन 1365 हेक्टेयर जमीन अधिगृहीत कर रहा है। इसमें 1181.2793 हेक्टेयर जमीन किसानों की है। शेष जमीन सरकारी है। कुरैव, करौली बांगर, बीरमपुर, मुढरह, रन्हेरा व दयानतपुर की 1365 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण के लिए शासन ने 13 अप्रैल 2021 को सोशल इंपैक्ट एसेसमेंट (एसआईए ) की अधिसूचना जारी की गई थी। इसके बाद ही छह गांवों में जमीन की खरीद फरोख्त का खेल शुरू हो गया। अधिग्रहण से प्रभावित गांवों में रातोंरात जमीन के खरीदारों की संख्या बढ़ गई।
जमीन अधिग्रहण के एवज में मिलने वाली नौकरी या उसके एवज में मिलने वाले साढ़े पांच लाख रुपये के लालच में लोगों ने दस से लेकर पचास वर्गगज के भूखंड किसानों ने खरीद लिए। किसानों ने उन्हें पांच से आठ हजार रुपये प्रति वर्गगज की दर से भूखंडों को बेचा। इससे प्रभावित गांव में जमीन मालिकों की संख्या बढ़ गई।
सरकार ने एयरपोर्ट के लिए पहले चरण के जमीन अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को जमीन के मुआवजे के अलावा रोजगार के लिए नौकरी या साढ़े पांच लाख रुपये दिए थे। इसलिए दूसरे चरण में हो रहे अधिग्रहण में इसका फायदा लेने के लिए लोगों ने छोटे भूखंड खरीद लिए। इनकी संख्या बढ़ने से नौकरी के एवज में दी जाने वाली राशि में सरकार पर करीब दो अरब के अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
प्रशासन ने जारी की थी एडवाइजरी
जमीन अधिग्रहण से प्रभावित गांवों में भूखंडों की खरीद फरोख्त को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने 14 अक्टूबर को एडवाइजरी जारी की थी। प्रशासन ने स्पष्ट किया था कि जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े खरीदने वालों को नौकरी या उसके एवज में मिलने वाली राशि नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही जमीन खरीद की फरोख्त की जांच के लिए जेवर तहसील प्रशासन को निर्देश दिए थे।
2021 में 2045 ने खरीदे भूखंड
अधिग्रहण से प्रभावित छह गांव में 2021 में 2045 लोगों ने जमीन खरीदी, इसमें 801 लोगों के नाम दस्तावेज में दर्ज भी हो चुके हैं । जबकि 2022 में 1700 लोगों ने जमीन खरीदी है, इसमें 841 के नाम दस्तावेज में दर्ज हो चुके हैं। हालांकि 2021 में रन्हेरा गांव में हुई जमीन की खरीद फरोख्त की जांच अभी चल रही है। इससे आंकड़ा और बढ़ सकता है।
जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने बताया कि प्राथमिक जांच पूरी हो चुकी है। फरवरी 2022 के बाद से कोई बैनामा नहीं हुई है। सोशल इंपेक्ट एसेसमेंट में जो पात्र व्यक्ति मिले हैं, केवल उन्हें ही भूखंड, नौकरी या उसके एवज में राशि मिलेगी। लोग किसी के बहकावे में न आएं।