ग्वालियर में डाक्टरों के पर्चे के बिना दवा दे रहे मेडिकल …!
Gwalior Health News: जिले में मेडिकल स्टोर की संख्या 2800 हो चुकी है। हर निजी अस्पताल से लेकर गली मोहल्ले में किराने की दुकान की तरह मेडिकल स्टोर खुल चुके हैं। इनमें से अधिकांश स्टोर पर फार्मासिस्ट तक उपलब्ध नहीं है।
– जिलेभर में 2800 मेडिकल स्टोर, अधिकतर के पास न फार्मासिस्ट हैं न लगे सीसीटीवी कैमरे
ग्वालियर जिले में मेडिकल स्टोर की संख्या 2800 हो चुकी है। हर निजी अस्पताल से लेकर गली मोहल्ले में किराने की दुकान की तरह मेडिकल स्टोर खुल चुके हैं। इनमें से अधिकांश स्टोर पर फार्मासिस्ट तक उपलब्ध नहीं है। नोन मेडिको धड़ल्ले से दवाओं को गोली बिस्कुट की तरह बिना पर्चे के बांट रहे हैं। लेकिन इन पर निगह रखने वाला विभाग आंखें बंद किए हुए हैं। हालात यह हैं कि शासन के दिशा निर्देशों तक का पालन नहीं हो रहा है। इस बात को खुद ड्रग अधिकारी भी स्वीकार कर रहे हैं कि इसके बाद भी कार्रवाई से बच रहे हैं और धड़ल्ले से मेडिकल स्टोर के लायसेंस बांटे जा रहे हैं।
यह मिली खांमिया : हजीरा में शिवम मेडिकल, मुरार में राम मेडिकल, सिटी सेंटर में महावीर मेडिकल, कंपू पर रिहान मेडिकल, पटेल नगर पर सचिन मेडिकल स्टोर पर बिना पर्चे के दवा मांगी गई तो उन्होंने बिना हिचक के दवा की उपलब्धता कराई। इनमें से कुछ मेडिकल स्टोर पर न तो कैमरा लगा था और न हीं लायसेंस की कापी चस्पा थी। जबकि कुछ पर तो फार्मासिस्ट के स्थान पर नोन मेडिको दवा बांट रहा था। यह सब शहर में ड्रग विभाग की सांठ-गांठ से संचालित हो रहा है। नोन मेडिको द्वारा बिना पर्चे के दवा उपलब्ध कराने पर मरीज को नुकसान भी हो सकता है। कुछ मरीज तो डाक्टर से परामर्श लेने की अपेक्षा इन मेडिकल स्टोर पर पहुंचकर सीधे मर्ज बताते हुए दवा मांग लेते हैं, खास बात यह है कि मेडिकल संचालक इन मरीजों को दवा भी उपलब्ध करा रहे हैं।
हर निजी अस्पताल में स्टोर : शहर में क्लीनिक से लेकर निजी अस्पताल में मेडिकल स्टोर उपलब्ध है। डाक्टर क्लीनिक खोलने के साथ ही मेडिकल स्टोर जरूर खुलवा लेते हैं। अस्पताल की असल कमाई मेडिकल स्टोर बन चुके हैं। अस्पताल में संचालित होने वाले मेडिकल स्टोर पर फार्मासिस्ट का प्रमाण पत्र मिलता है पर फार्मासिस्ट उपलब्ध नहीं होता। कुछ समय पहले स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई में जेके हास्पिटल में नोन मेडिको मेडिकल स्टोर का संचालन करते हुए पकड़ा गया था। यह हालात शहर के अधिकांश छोटे निजी अस्पतालों के हैं। ़निशे का फलता फूलता कारोबार: शहर के कई मेडिकल स्टोर पर पूर्व में खांसी की दवा कोरेक्स प्रतिबंधित होने के बाद भी पकड़ी गई थी। अब प्रतिबंधित दवाएं तो थोक बाजार में आना बंद हो चुकी है लेकिन खेरिज वाले मेडिकल स्टोर से पूरी तरह से गायब नहीं हुई है। नाम न बताने की शर्त पर मेडिकल स्टोर संचालक का कहना था कि वह आनलाइन दवाओं की खरीदारी की जाती है। जिसमें ऐसी दवाएं भी शामिल है जिनके सेवन से नशा सा हो जाता है। क्योंकि इन दवाओं के दाम भी अच्छे मिलते हैं। लेकिन इस दिशा में ड्रग विभाग ने कभी देखा ही नहीं जिसे वह रोक सके।
प्रतिबंधित दवाओं को लेकर मंगलवार को थोक बाजार में जांच पड़ताल की गई। दुकानदारों का लेखा जोखा भी जांचा गया। जिले में 2800 से अधिक मेडिकल स्टोर हो चुके हैं। नियमों का पालन कराने के लिए जांच भी करते और कार्रवाई भी की जाती है बिना फार्मासिस्ट के संचालित मिलने वाली दुकानों को नोटिस भी दिया है।
किरण कुमार ड्रग इंस्पेक्टर
थोक बाजार में तो प्रतिबंधित दवाएं नहीं आ रही है। लेकिन आनलाइन दवाएं मंगवाकर बेची जा रही है। जिस पर किसी का ध्यान नहीं है। स्वास्थ्य विभाग को इस ओर भी देखना चाहिए।
शिवरतन सिद्घवानी, प्रवक्ता कैमिस्ट एसोसिएशन ग्वालियर