मानव अधिकार आयोग में कभी प्रतिवर्ष 15 हजार श‍िकायतें आती थीं, अब पांच हजार से कम

 भोपाल । मानव अधिकार आयोग से आमजन का भरोसा कम होता जा रहा है। यही कारण है कि लोग अब आयोग में कम शिकायतें कर रहे हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहले आयोग में जहां हर वर्ष 15 हजार तक शिकायतें आती थीं, वहीं अब पांच साल से आंकड़ा 10 हजार से कम है। आम लोगों की शिकायतों पर आयोग संबंधित विभाग या व्यक्ति से सिर्फ जवाब मांगने तक सीमित है। यही वजह है कि आयोग की सिफारिशों को अधिकारी भी गंभीरता से नहीं लेते। आयोग के सवालों का गोलमाल जवाब देते हैं।

वर्ष 1995 में आयोग की स्थापना से लेकर अब तक की बात करें तो आयोग को सबसे ज्यादा शिकायतें वित्तीय वर्ष 2005-2006 में 15 हजार 655 मिली थीं। इसके बाद श‍िकायतों की संख्या लगातार कम हो रही है। उधर, थानों से लेकर सीएम हेल्पलाइन और अन्य जगह पर शिकायतें बढ़ रही हैं। इससे साफ है कि प्रकरणों की संख्या कम नहीं हुई, बल्कि आयोग में शिकायत करने वालों की संख्या कम हुई है।

लंबित शिकायतें कम हुईं

यह अच्छी बात है कि आयोग में लंबित शिकायतों का निपटारा तेजी से हुआ है। वित्तीय वर्ष 2011-12 में लंबित शिकायतों की संख्या 12 हजार 80 थी। इसके बाद से इनका निराकरण तेजी से किया गया, अब लंबित शिकायतें दो हजार 806 हैं। आयोग के अधिकारियों ने बताया कि कुछ शिकायतकर्ता ऐसे भी होते हैं जो एक बार शिकायत करने के बाद खुद रुचि नहीं लेते। उनसे बात भी नहीं हो पाती, जिससे निराकरण में समस्या आती है।

इस तरह कम हुईं शिकायतें

वित्तीय वर्ष — शिकायतें

2005-06—15,655

2006-07—15,107

2007-08—14,648

2008-09—14,330

2009-10—12,554

2010-11—13,060

2011-12—12,249

2012-13—12,340

2013-14—12,843

2014-15—11,344

2015-16—11,393

2016-17—9,535

2018-19—9,422

2019-20—9,651

2020-21 —8677

2021-22 —8821

2022-23 (30 नवंबर तक)—4135