धर्मस्थलों की जमीनों पर माफिया ने जमाया कब्जा, शहर में ही 100 बीघा से ज्यादा हड़पी
जिले की जमीनों की स्थिति जांचने के लिए शुरू हुई लगभग 7 लाख खसरों की जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है। इसमें सबसे ज्यादा अनदेखी माफी और औकाफ की जमीनों की है। धर्मस्थलों की जमीनों…
ग्वालियर. जिले की जमीनों की स्थिति जांचने के लिए शुरू हुई लगभग 7 लाख खसरों की जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है। इसमें सबसे ज्यादा अनदेखी माफी और औकाफ की जमीनों की है। धर्मस्थलों की जमीनों पर माफिया ने सबसे ज्यादा कब्जा किया है। नगर निगम क्षेत्र में ही धर्मस्थलों की करीब 100 बीघा जमीन माफिया ने दबा ली है। इन जमीनों पर कॉलोनियां भी बन गई हैं। हाल ही में मुरैना ङ्क्षलक रोड पर रामजानकी ट्रस्ट से लगी एक बीघा से अधिक बेशकीमती भूमि पेट्रोल पंप चलाने के लिए आवंटित कर दी गई है। इससे पहले शहर के ही 10 अन्य स्थानों पर धर्मस्थलों का प्रबंधन कर रहे लोग, भू माफिया और राजस्व विभाग के गठजोड़ ने सार्वजनिक हित में महत्वपूर्ण योगदान दे सकने वाली जमीनों को खुर्दबुर्द कर दिया। मंदिरों की जमीनों पर कब्जों को लेकर एंटी माफिया सेल के पास करीब 40 शिकायतें आ चुकी हैं। अधिकतर शिकायतों में हरिशंकपुरम, सिटी सेंटर, न्यू कलेक्ट्रेट रोड, गिरवाई, पुरानी छावनी, गोला का मंदिर, बड़ागांव, सिरोल, डोंगरपुर, ओहदपुर, झांसी रोड, शिवपुरी ङ्क्षलक रोड, चिरवाई नाका, कंपू व अन्य शहरी क्षेत्रों में नजूल, माफी- औकाफ की जमीनों पर आवासीय क्षेत्र विकसित कर आमजन के साथ धोखे का उल्लेख था। ये शिकायतें दफन कर दी गई हैं।
यह है धर्मस्थलों की जमीनों की स्थिति
ग्वालियर: 183 राजस्व ग्रामों में 352 धर्मस्थलों की 1091.79 हैक्टेयर भूमि है। इसमें शहरी क्षेत्र मेंं मौजूद धर्मस्थलों की अधिकतर भूमि को करोड़ों मेें बेच दिया गया है। शहर में इस जमीन की सही जानकारी निकालने में अधिकारी और कर्मचारी हमेशा आनाकानी करते रहे हैं।
डबरा: 123 राजस्व ग्रामों में 285 धर्मस्थलों की 2122.47 हैक्टेयर जमीन में बमुश्किल 15 से 20 धार्मिक स्थल जमीन का सही इस्तेमाल कर रहे हैं। बाकी की भूमि उपयोग की जानकारी अधिकारियों को भी नहीं है।
भितरवार: 117 राजस्व ग्रामों में 228 धर्मस्थलों की 1076.65 हैक्टेयर जमीन का सही उपयोग है या नहीं, इसकी जानकारी अधिकारियों को नहीं है।
ग्वालियर: 183 राजस्व ग्रामों में 352 धर्मस्थलों की 1091.79 हैक्टेयर भूमि है। इसमें शहरी क्षेत्र मेंं मौजूद धर्मस्थलों की अधिकतर भूमि को करोड़ों मेें बेच दिया गया है। शहर में इस जमीन की सही जानकारी निकालने में अधिकारी और कर्मचारी हमेशा आनाकानी करते रहे हैं।
डबरा: 123 राजस्व ग्रामों में 285 धर्मस्थलों की 2122.47 हैक्टेयर जमीन में बमुश्किल 15 से 20 धार्मिक स्थल जमीन का सही इस्तेमाल कर रहे हैं। बाकी की भूमि उपयोग की जानकारी अधिकारियों को भी नहीं है।
भितरवार: 117 राजस्व ग्रामों में 228 धर्मस्थलों की 1076.65 हैक्टेयर जमीन का सही उपयोग है या नहीं, इसकी जानकारी अधिकारियों को नहीं है।
इनकी जांच हो तो सामने आ सकता है सच
– ङ्क्षशदे की छावनी स्थित महादेव ट्रस्ट की अलग-अलग पटवारी हलकों में 120 बीघा जमीन दर्ज है।
– अम्मा जी महाराज ङ्क्षनबालकर की गोठ के पास लगभग 50 बीघा जमीन है।
– गजराराजा चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम शहर में लगभग 73 बीघा जमीन है।
– रामजानकी मंदिर छोटी शाला के नाम पर शहर और आसपास के गांवों में 100 बीघा से ज्यादा जमीन है।
– नर्सिंह मंदिर बेहट के नाम पर लगभग 187 बीघा जमीन है।
– गंगादास की बड़ी शाला के नाम पर 85 बीघा जमीन है।
– ङ्क्षशदे की छावनी स्थित महादेव ट्रस्ट की अलग-अलग पटवारी हलकों में 120 बीघा जमीन दर्ज है।
– अम्मा जी महाराज ङ्क्षनबालकर की गोठ के पास लगभग 50 बीघा जमीन है।
– गजराराजा चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम शहर में लगभग 73 बीघा जमीन है।
– रामजानकी मंदिर छोटी शाला के नाम पर शहर और आसपास के गांवों में 100 बीघा से ज्यादा जमीन है।
– नर्सिंह मंदिर बेहट के नाम पर लगभग 187 बीघा जमीन है।
– गंगादास की बड़ी शाला के नाम पर 85 बीघा जमीन है।
इसलिए जांच जरूरी
धार्मिक और सामाजिक ट्रस्ट, माफी-औकाफ की शहरों में मौजूद अधिकतर जमीनों को खुर्दबुर्द किया जा चुका है। ट्रस्ट, सरकारी अधिकारी-कर्मचारी और भू माफिया के गठजोड़ ने धर्मस्थलों की जमीनों पर कॉलोनियां बसा दी हैं। जबकि पुरानी धर्मशालाओं के स्वरूप को नियम विरुद्ध खत्म करके या तो होटल बन गए हैं या अन्य व्यावसायिक कामों में उपयोग किया जा रहा है। दस्तावेजों में हेरफेर कर हुए इस गड़बड़झाले की अगर सही तरीके से जांच हो तो जमीनों के खेल में लगे ङ्क्षसडिकेट को उजागर किया जा सकता है।
धार्मिक और सामाजिक ट्रस्ट, माफी-औकाफ की शहरों में मौजूद अधिकतर जमीनों को खुर्दबुर्द किया जा चुका है। ट्रस्ट, सरकारी अधिकारी-कर्मचारी और भू माफिया के गठजोड़ ने धर्मस्थलों की जमीनों पर कॉलोनियां बसा दी हैं। जबकि पुरानी धर्मशालाओं के स्वरूप को नियम विरुद्ध खत्म करके या तो होटल बन गए हैं या अन्य व्यावसायिक कामों में उपयोग किया जा रहा है। दस्तावेजों में हेरफेर कर हुए इस गड़बड़झाले की अगर सही तरीके से जांच हो तो जमीनों के खेल में लगे ङ्क्षसडिकेट को उजागर किया जा सकता है।
इनका कहना है
सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण को लेकर सभी अनुविभागों में एसडीएम और तहसीलदार नए सिरे से दस्तावेजों की छानबीन कर रहे हैं। अभी जिन जमीनों पर अतिक्रमण मिला था, उसको हटाने का काम लगातार किया जा रहा है। जहां तक धर्मस्थलों का सवाल है तो उसके लिए माफी ऑकाफ अधिकारी के माध्यम से पूरी रिकॉर्ड निकलवाया जा रहा है ताकि धर्मस्थलों से लगी जमीनों की वास्तविक कैफियत पता की जा सके। इसके बाद कार्रवाई शुरू कराई जाएगी।
कौशलेन्द्र विक्रम सिंह, कलेक्टर
सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण को लेकर सभी अनुविभागों में एसडीएम और तहसीलदार नए सिरे से दस्तावेजों की छानबीन कर रहे हैं। अभी जिन जमीनों पर अतिक्रमण मिला था, उसको हटाने का काम लगातार किया जा रहा है। जहां तक धर्मस्थलों का सवाल है तो उसके लिए माफी ऑकाफ अधिकारी के माध्यम से पूरी रिकॉर्ड निकलवाया जा रहा है ताकि धर्मस्थलों से लगी जमीनों की वास्तविक कैफियत पता की जा सके। इसके बाद कार्रवाई शुरू कराई जाएगी।
कौशलेन्द्र विक्रम सिंह, कलेक्टर