13 रिटायर्ड IAS-IPS को सीएम गहलोत ने दी टॉप पोस्टिंग …!
एक कार्यकाल में ऐसा करने वाले पहले CM; मुख्य सचिव-डीजीपी रहे अफसर भी शामिल …
प्रशासनिक कामकाज के लिए रिटायर IAS-IPS अफसरों को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बहुत विश्वसनीय और योग्य मानते हैं। वे IAS-IPS अफसरों को रिटायरमेंट के बाद किसी न किसी आयोग, बोर्ड, कमेटी आदि की कमान सौंप रहे हैं।
वर्तमान कार्यकाल में उन्होंने पिछले चार सालों में 13 IAS-IPS अफसरों को रिटायरमेंट के बाद भी इस तरह की टाॅप पोस्टिंग दी है।
रोचक बात यह भी है कि इनमें प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक जैसे शीर्षतम पदों पर रहने वाले अफसर भी शामिल हैं। राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी के अनुभवी जानकारों का कहना है कि संभवत: पूरे देश में गहलोत अकेले सीएम हैं, जिन्होंने एक ही कार्यकाल में इतनी बड़ी संख्या में रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स पर इस तरह का विश्वास जताया है।
राजस्थान में तो उनसे पहले किसी भी सीएम ने 5-6 से ज्यादा ब्यूरोक्रेट्स को इस तरह की पोस्टिंग नहीं दी है। दो दिन पहले ही गहलोत ने रिटायर हुए IAS अफसर चेतन देवड़ा को राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय प्राधिकरण का सदस्य बना दिया है।
सूत्रों का कहना है कि दो दिन पहले ही रिटायर हुए IPS अफसर बी. एल. सोनी को भी जल्द ही किसी राजस्थान सूचना आयोग या किसी अन्य आयोग-बोर्ड आदि में चेयरमैन-कमिश्नर बनाया जा सकता है। सोनी पुलिस महानिदेशक (ACB) के पद से रिटायर हुए हैं। उन्हें राजस्थान कैडर में सीएम गहलोत के सबसे विश्वसनीय IPS अफसरों में से एक माना जाता है। सोनी के अलावा हाल ही रिटायर हुए पुलिस महानिदेशक M.L. लाठर को भी इस तरह की पोस्टिंग दिए जाने की संभावना है।
राजस्थान कैडर से रिटायर्ड IPS अफसर व पूर्व उप राष्ट्रपति भैंरोसिंह शेखावत के विशेषाधिकारी रहे बहादुर सिंह राठौड़ का कहना है कि IAS-IPS अफसरों की प्रशासनिक योग्यताएं बोर्ड-निगम के अनुसार होती ही हैं। पाॅलिटिकल लीडरशिप के नजदीक रहने का लाभ भी उन्हें मिलता है। हालांकि यह सब पर्सनल लॉयल्टी से ज्यादा तय होता है। योग्यता पहला कारण है, लेकिन इससे भी ज्यादा पर्सनल लिंक काम करता है।
राजस्थान कैडर में IAS रहे A.K. सिंह का कहना है कि सीएम का विशेषाधिकार होता है। वो जिसे पसंद करे उसे रिटायरमेंट के बाद भी कुछ बना सकते हैं। यह सब आपसी संबंधों पर निर्भर करता है।
रिटायर IAS-IPS अफसर जिन्हें गहलोत ने नवाजा टॉप पोस्टिंग से
अरविंद मायाराम : मायाराम केन्द्रीय वित्त मंत्रालय में सचिव रहे हैं। वे राजस्थान कैडर में IAS थे। उन्हें गहलोत ने 2019 में अपना सलाहकार बनाया था। मायाराम ने हाल ही भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी से मुलाकात भी की थी। वित्तीय मामलों पर उनकी गहरी पकड़ मानी जाती है।
डॉ. गोविंद शर्मा : शर्मा IAS की परीक्षा में टॉप-10 में चुने गए थे। राजस्थान में विभिन्न विभागों की कमान संभालने के बाद वे सीएम गहलोत के पिछले कार्यकाल (2008-13) में वित्त विभाग के प्रमुख शासन सचिव बने। रिटायर होने के बाद उन्हें गहलोत ने अपने इस कार्यकाल में 2019 में सलाहकार बनाया। बजट तैयार करने में डॉ. शर्मा की सलाहों को गहलोत ने तरजीह दी है।
G.S. संधू : राजस्थान कैडर में नगरीय विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पद पर रहे थे G.S.संधू। उन्हें सीएम गहलोत और नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल का बेहद विश्वसनीय अफसर माना जाता है। उन्हें 2020 में सरकार ने नगरीय विकास विभाग का सलाहकार बनाया है। संधू को गहलोत के पिछले कार्यकाल (2008-13) में हुए एकल पट्टा प्रकरण में वसुंधरा सरकार में गिरफ्तार भी किया गया था।
D.B. गुप्ता : मात्र 22 साल की उम्र में IAS अफसर बनने वाले डी. बी. गुप्ता ऐसे IAS अफसर रहे हैं जो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और वर्तमान मुख्यमंत्री गहलोत दोनों के कार्यकाल में मुख्य सचिव जैसी पोस्ट पर रहे हैं। गुप्ता को गहलोत ने 2020 में खुद का सलाहकार बनाया था।
बाद में 2021 में उन्हें राजस्थान सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त बनाया गया। उनकी पत्नी वीनू गुप्ता आईएएस कैडर में अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद पर हैं। D.B. गुप्ता का दिसंबर-2023 में मुख्य सूचना आयुक्त का कार्यकाल पूरा होगा।
भूपेंद्र यादव : राजस्थान के पुलिस महानिदेशक रहे भूपेंद्र यादव को 2020 में रिटायर होने के बाद राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC-अजमेर) का चेयरमैन बनाया गया। वे दो साल उस पद पर रहने के बाद 2022 में रिटायर हो गए।
संजय श्रोत्रिय : RPSअफसर से पदोन्नत होकर IPS बनने वाले संजय श्रोत्रिय को 2022 में राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC-अजमेर) का चेयरमैन बनाया गया। श्रोत्रिय लंबे अर्से तक सीएम गहलोत के सुरक्षा दस्ते (सीएम-सिक्योरिटी) की कमान संभालते रहे हैं।
हरिप्रसाद शर्मा : जयपुर ग्रामीण, बीकानेर, अजमेर, नागौर जिलों में पुलिस अधीक्षक पद पर रहे हरिप्रसाद शर्मा अपनी खास कार्यशैली के लिए जाने जाते थे। वे RPS से प्रमोट होकर IPS बने थे। उन्हें बिगड़ी परिस्थितियों को हैंडल करने के लिए जाना जाता रहा है। शर्मा को 2020 में गहलोत ने कर्मचारी चयन आयोग (जयपुर) का चेयरमैन बनाया।
आलोक त्रिपाठी : राजस्थान कैडर में ADG रैंक तक पहुंचे IPS अफसर आलोक त्रिपाठी वर्तमान में सरदार पटेल पुलिस विश्वविद्यालय (जोधपुर) के कुलपति हैं। उन्हें गहलोत ने 2020 में यह जिम्मेदारी सौंपी थी।
रामलुभाया : गहलोत के पिछले कार्यकाल (2008-13) में जलदाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद पर रहे IAS अफसर रामलुभाया को सीएम गहलोत ने 2021 में नए जिलों के गठन के लिए बनी कमेटी का चैयरमेन बनाया। कमेटी का समय 31 मार्च 2023 तक है। उनकी सिफारिश पर ही राजस्थान में नए जिलों का गठन किया जाएगा।
खेमराज चौधरी : चौधरी प्रमुख कार्मिक सचिव के पद से रिटायर होने के बाद वर्तमान में जयपुर के प्राइवेट विश्वविद्यालय में चांसलर के पद पर कार्यरत रहे हैं। गहलोत ने उन्हें 2021 में कर्मचारियों के विभिन्न मुद्दों पर सिफारिशों की रिपोर्ट देने के लिए गठित कमेटी का चेयरमैन बनाया है। चौधरी को सरकारी कार्मिकों से जुड़े मुद्दों पर प्रदेश में विशेषज्ञ अफसर माना जाता रहा है।
निरंजन आर्य : निरंजन आर्य सीएम गहलोत के सबसे ज्यादा करीबी IAS अफसर माने जाते रहे हैं। आर्य को गहलोत ने 2020 में राजस्थान का मुख्य सचिव बनाया। जब उन्हें मुख्य सचिव बनाया था, तब 10 IAS अफसरों की सीनियरिटी को बाइपास किया गया था। जनवरी-2022 में जब आर्य रिटायर हुए तो उन्हें गहलोत ने अपना सलाहकार नियुक्त किया। आर्य की पत्नी संगीता आर्य को गहलोत ने RPSC-अजमेर की सदस्य भी बनाया।
चेतन देवड़ा : RAS अफसर से प्रमोट होकर IAS बने चेतन देवड़ा को गहलोत ने रिटायरमेंट के दिन ही नई पोस्टिंग का तोहफा दिया। देवड़ा को राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय प्राधिकरण (रैट) में सदस्य नियुक्त किया गया है। उन्हें कानूनी मामलों का विशेषज्ञ अफसर माना जाता है।
एम. एल. कुमावत : रिटायर IPS अफसर एम. एल. कुमावत BSF के महानिदेशक रहे हैं। उन्हें गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में RPSC-अजमेर का चेयरमैन और सरदार पटेल विश्वविद्यालय-जोधपुर का संस्थापक कुलपति बनाया था। गहलोत ने कुमावत को 2021 के चर्चित शिक्षक भर्ती पेपर लीक प्रकरण के बाद नकल रोकने के लिए गठित राज्य स्तरीय कमेटी का अध्यक्ष बनाया।
एक रुपए मासिक से लेकर दो लाख रुपए मासिक तक का मिलता है वेतन
आम तौर पर राजस्थान के प्रशासनिक आयोगों-बोर्ड-कमेटी आदि में सदस्यों और चेयरमैन के पदों पर डेढ़ लाख रुपए से लेकर दो लाख रुपए मासिक तक का वेतनमान है। सरकारी बंगला, वाहन, नौकर, ड्राइवर आदि की सुविधाएं वेतन के अलावा मिलती हैं। अधिकांश का कार्यकाल 3 से 5 वर्ष तक रहता है।
RPSC में चेयरमैन का कार्यकाल तो 3 वर्ष का ही रहता है, लेकिन इसमें सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष तक रहता है। उल्लेखनीय है कि इन चर्चित रिटायर ब्यूरोक्रेट्स में से G.S. संधू बतौर सलाहकार मात्र 1 रूपया मासिक वेतन ही लेते हैं।
ब्यूरोक्रेट्स खुद भी रहते हैं सरकारी गाड़ी-बंगले के लिए प्रयासरत
रिटायरमेंट के बाद सरकार के प्रशासनिक, आर्थिक, शैक्षणिक बोर्ड-आयोग में टॉप पोस्टिंग पाने के लिए ब्यूरोक्रेट्स भी प्रयासरत रहते हैं। वे नौकरी के अंतिम वर्षों में इसकी तैयारी शुरू कर देते हैं। पाॅलिटिकल लीडरशिप को अपने काम-काज से खुश करते हैं, ताकि उन्हें रिटायर होने के बाद भी कोई न कोई पोस्टिंग मिल जाए।
सरकारी गाड़ी-बंगले की सुविधाएं रिटायर होने के बाद भी उन्हें मिलती रहती हैं। सरकारी पेंशन के साथ नई पोस्टिंग के लिए नया वेतन भी मिलता रहता है।