दो हज़ार का नोट कहाँ है?

नोटबंदी क़ानूनी तौर पर सही थी, उद्देश्य पूरा हुआ या नहीं, भगवान जाने!

नोटबंदी। नाम सुनते ही काँप जाते हैं कई लोग। मित्रो! शब्द ही याद दिला देता है सबकुछ। आख़िरकार, छह साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के सरकार के फ़ैसले को सही ठहरा दिया। देश की अलग-अलग अदालतों में नोटबंदी के खिलाफ 58 याचिकाएँ दायर की गई थीं। सभी को इकट्ठा कर सुप्रीम कोर्ट में सुना गया।

याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि सरकार किसी ख़ास सीरीज़ के नोटों को तो बंद कर सकती है लेकिन इस तरह पाँच सौ और हज़ार के नोटों को पूरी तरह बंद करने का उसे अधिकार ही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इन तमाम याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया और नोटबंदी के सरकार के फ़ैसले को एक के मुक़ाबले चार मतों से सही ठहराया।

पाँच में से जो एक महिला जज इस फ़ैसले से सहमत नहीं थी उनका कहना था कि नोटबंदी अध्यादेश के ज़रिए नहीं, बल्कि संसद में विधेयक लाकर करनी थी। तब यह क़ानून सम्मत होती। इस तर्क के बारे में कहा जा सकता है कि यह ठीक नहीं है क्योंकि संसद में बहस होती तो बात लीक हो ही जाती और फिर जिस उद्देश्य से नोटबंदी की गई उसका कोई मतलब नहीं रह जाता।

हालाँकि असहमत महिला जज ने यह भी कहा कि उद्देश्य पूरा भी कहाँ हुआ? अगर कालेधन को ख़त्म करने के लिए ही नोटबंदी की गई थी, तो आपने तो पाँच सौ और हज़ार के नोट बंद करके दो हज़ार का नोट जारी कर दिया। काला धन कहाँ सामने आया?

बाक़ी चार जजों का तर्क था कि रिज़र्व बैंक की गवर्निंग बॉडी अगर सिफ़ारिश करे तो सरकार नोटबंदी कर सकती है। यह प्रक्रिया सरकार ने पूरी तरह अपनाई है, इसलिए नोटबंदी ग़ैर क़ानूनी नहीं है। इन चार जजों ने भी यह ज़रूर कहा कि उद्देश्य पूरा हुआ या नहीं, इस पर हम नहीं जाना चाहते क्योंकि यह याचिकाओं का विषय नहीं है।

कुल मिलाकर यह सवाल तो बना हुआ है ही, कि जब काला धन ख़त्म या कम करना ही उद्देश्य था तो पाँच सौ और हज़ार के नोट बंद करके दो हज़ार का नोट क्यों जारी किया गया? क्योंकि काला धन ख़त्म करने के लिए बड़े नोट बंद करने होते हैं ताकि ज़्यादा मात्रा में संग्रह न किया जा सके। यहाँ तो उल्टे छोटे नोट बंद करके बड़ा नोट जारी किया गया।

फिर जारी किया भी गया तो अब वो है कहाँ? कुछ दिन तक तो बाज़ार में दो हज़ार का नोट नज़र आया, फिर अचानक ग़ायब हो गया। सरकार का तर्क है कि उसकी छपाई कम कर दी गई लेकिन जो बाज़ार में आया था वह तो आलमारियों या लॉकर में ही दबा बैठा है! उसका क्या?

हम बैंक में जाते हैं तो वहाँ हमें कोई दो हज़ार का नोट नहीं देता। ज़्यादातर एटीएम भी अब दो हज़ार के नोट नहीं उगलते। फिर वो गया तो कहाँ गया। … और अगर ग़ायब हो ही गया तो फिर काला धन घटा या बढ़ गया? विचार का विषय है। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है कि नोटबंदी क़ानूनी तौर पर सही थी। तो मान लीजिए सही ही होगी!

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