मंत्री मंडल में महिलाओ को अक्सर नजर अंदाज करती रही हे सरकार …?

सत्ता चलाने में भागीदारी नगण्य …

नई दिल्ली. महिलाएं देश में लगभग आधी मतदाता हैं, लेकिन कैबिनेट विस्तार में उन्हें अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। अभी केंद्र में 11 महिला मंत्री हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 के कार्यकाल में यह संख्या छह थी। वर्ष 2004 के बाद से आंकड़ा सर्वाधिक है, फिर भी बेहद कम। इससे पहले मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के दोनों कार्यकालों को मिलाकर अधिकतम 10 महिला नेताओं को मंत्री बनने का मौका मिला था। देश में महिला आबादी 48 फीसदी है लेकिन सत्ता चलाने में उनकी भागीदारी नगण्य है।

पूर्वोत्तर राज्यों में नारी शक्ति नदारद

हिमाचल प्रदेश की सरकार में एक भी महिला कैबिनेट मंत्री नहीं है। यहां इससे पहले भी कई सरकारों में ऐसा हो चुका है। यही स्थिति मिजोरम में है, जहां वर्ष 2018 में 40 सीटों पर 15 महिलाओं ने चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी जीत हासिल नहीं कर पाई थी। अरुणाचल और नागालैंड के मंत्रिमंडल में किसी भी महिला को शामिल नहीं किया है। नागालैंड में महिलाओं की साक्षरता दर 76.11 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत 64.6 प्रतिशत से कहीं बेहतर है फिर भी वर्ष 1963 में राज्य के गठन के बाद से यहां की विधानसभा में कोई भी महिला सदस्य नहीं रहीं।

राजस्थान सरकार में भी महिला मंत्री नाममात्र

झारखंड, हरियाणा और छत्तीसगढ़ की सरकारों में हालात चिंताजनक है। इन राज्यों के मंत्रिमंडल में सिर्फ एक-एक महिला हैं, जबकि महाराष्ट्र में यह आंकड़ा शून्य है। पंजाब की सरकार में दो महिला मंत्री हैं, जबकि 13 महिला विधायक हैं, जो वर्ष 2017 के मुकाबले दोगुनी हैं। राजस्थान के मंत्रिमंडल में महिलाओं की संख्या तीन है। दो साल पहले हुए फेरबदल के बाद यह आंकड़ा बढ़ाया था। मध्य प्रदेश कैबिनेट में तीन ही महिलाएं हैं।

दुनिया के कई देशों से पीछे है भारत : भारत में भले ही लोकसभा में महिला सांसदों का प्रतिनिधित्व कुछ साल में बढ़कर 14 प्रतिशत से अधिक हुआ हो, लेकिन दुनिया के मुकाबले यह कम है। वर्ष 2021 के अंत तक रवांडा की संसद में महिलाओं की संख्या 61.3 प्रतिशत थी। यह दुनियाभर की संसद में महिलाओं की उच्चतम हिस्सेदारी वाला देश है। क्यूबा में संसद की लगभग 53.2 प्रतिशत सीटें महिलाओं के पास थीं। निकारगुआ की संसद में उच्चतम प्रतिशत 50.6 था। मैक्सिको में भी इनका प्रतिनिधित्व 50 फीसदी है।

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