भारत की मैरियन बायोटेक के सिरप बच्चों को न पिलाएं …?

WHO ने अलर्ट जारी किया, कहा- 2 सिरप अच्छी क्वालिटी के नहीं हैं …

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने उज्बेकिस्तान में कफ सिरप पीने से हुई 19 बच्चों की मौत मामले में अलर्ट जारी किया है। WHO ने कहा कि भारत के मैरियन बायोटेक द्वारा बनाए गए दो खांसी के सिरप बच्चों को नहीं पिलाया जाना चाहिए। सिरप के नाम एम्बरोनॉल सिरप और डीओके-1 मैक्स हैं। इन दोनों सिरप को नोएडा स्थित कंपनी मैरियन बायोटेक बनाती है। WHO ने कहा कि जांच में पाया गया है कि दोनों सिरप अच्छी क्वालिटी के नहीं हैं। इनमें दूषित पदार्थों के रूप में डायथिलीन ग्लाइकोल या एथिलीन ग्लाइकोल की सही मात्रा शामिल नहीं है।

उज्बेकिस्तान सरकार ने 28 दिसंबर को आरोप लगाया था कि भारत में बने कफ सिरप से उनके देश में 18 बच्चों की मौत हुई। उज्बेक हेल्थ मिनिस्ट्री ने कहा कि नोएडा के मेरियन बायोटेक में बना कफ सिरप DOK-1 MAX पीने से बच्चों की जान गई। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने इसी मामले में सिरप की जांच की है।

UP ने कंपनी का लाइसेंस रद्द किया
भारत ने भी उज्बेक सरकार के आरोपों की जांच का फैसला लिया था। UP फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट ने बायोटेक कंपनी का प्रोडक्शन लाइसेंस सस्पेंड कर दिया है। रा मैटेरियल खरीद और दवा रिकार्ड मेंटनेंस की जानकारी समय से नहीं उपलब्ध कराने पर कंपनी का प्रोडक्शन लाइसेंस सस्पेंड किया गया है।

गाम्बिया ने भारत के 4 कफ सिरप को 70 बच्चों की मौतों का जिम्मेदार बताया था
गाम्बिया भी अपने यहां हुई 70 बच्चों की मौतों का जिम्मेदार भारत में बने 4 कफ सिरप को ठहरा चुका है। WHO ने भी इन कफ सिरप के इस्तेमाल पर अलर्ट जारी किया था। हालांकि, भारत ने कहा था कि हमने कफ सिरप की जांच की थी। इनकी क्वालिटी सही पाई गई। इसके बाद गाम्बिया सरकार ने एक बयान जारी कर कहा था कि उनके देश में हुई बच्चों की मौतों से भारतीय सिरप का कोई संबंध नहीं है।

गाम्बिया में कफ सिरप से एक मां ने अपने 20 महीने के बच्चे को खो दिया था।
गाम्बिया में कफ सिरप से एक मां ने अपने 20 महीने के बच्चे को खो दिया था।

क्या एथिलीन ग्लाइकॉल जानलेवा है?
WHO के मुताबिक ethylene glycol कार्बन कंपाउंड है। इसमें न खुश्बू होती है और न ही कलर। ये मीठा होता है। बच्चों के सिरप में सिर्फ इसलिए मिलाया जाता है ताकि वो आसानी से पी सकें। इसकी मात्रा के असंतुलन से ये जानलेवा हो सकते हैं। कई देशों में यह प्रतिबंधित है।

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