आगे बढ़ना सभ्यता का हिस्सा है, पर किसी भी चीज का हद से ज्यादा इस्तेमाल उसी के खिलाफ हो जाता है

 

एक श्लोक है- ‘अतिकामाद्दशग्रीवः अतिलोभात् सुयोधनः। अतिदानात् हतः कर्णः अति सर्वत्र वर्जयेत्:।’ इसका अर्थ है, ‘हद से ज्यादा लालसा के कारण रावण का विनाश हो गया, दुर्योधन इच्छा के अतिरेक से और कर्ण दान की अति से डूब गया। इसलिए कहा गया है कि अति खराब होती है।’ दो चीजों के बारे में पढ़कर मुझे यह श्लोक याद आ गया, एक घटना का संबंध महाराष्ट्र के एक गांव से है तो दूसरी ब्रिटेन के संपन्न शहर लंदन से है।

महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में पुसद तहसील के बान्सी गांव ने 11 नवंबर को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पास किया कि सभी बच्चों के लिए मोबाइल वर्जित है। दसवीं के बाद कॉलेज जाने वाले बच्चों को खुश होने की जरूरत नहीं। क्योंकि इस गांव ने नियम का भी पालन किया है।

संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के हिसाब से बच्चों का मतलब 18 वर्ष से कम। इसलिए गांव में 18 से कम उम्र का कोई भी मोबाइल इस्तेमाल नहीं कर सकता। उल्लंघन पर 200 रु. का जुर्माना है। यह निर्णय सरपंच गजानन टाले की अध्यक्षता में ग्राम सभा की मीटिंग में लोगों से बातचीत के बाद लिया गया।

चूंकि कोविड के दौर में पढ़ाई ऑनलाइन थी, ऐसे में बच्चे हद से ज्यादा मोबाइल चला रहे थे, चूंकि मोबाइल उनके लिए जरूरी चीज बन गई ऐसे में ये सहूलियत उनकी जिंदगी में धीमा जहर बन गई और बच्चे इसके आदी हो गए। सरपंच ने ध्यान दिलाया कि मोबाइल से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई और वे अक्सर अनचाहे एप इस्तेमाल करने लगे। सभा सचिव पी आर अदे ने कहा कि हमें ये पता था इसलिए ग्राम सभा में यह प्रस्ताव लाए।

कई ग्रामीणों ने यह कहकर इसका स्वागत किया कि इससे बच्चों को पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए पर्याप्त वक्त मिलेगा। दिलचस्प रूप से जवानी की दहलीज़ पर खड़े बदलाव के दौर से गुजर रहे बच्चों ने भी यह कहते इस निर्णय का स्वागत किया कि हममें अच्छी आदतें डालने के लिए यह अच्छा कदम है।

जाहिर है माता-पिता भी इस निर्णय से खुश हैं और वादा किया है कि वे निगरानी रखेंगे कि न सिर्फ उनके बच्चे बल्कि गांव में बाकी बच्चे भी मोबाइल न देखें। ऐसा निर्णय लेने वाला यह महाराष्ट्र का पहला गांव है। आसपास के गांव वालों ने भी इसकी प्रशंसा की है।

कहने की जरूरत नहीं कि मोबाइल के अपने फायदे व नुकसान हैं पर दुर्भाग्य से युवा इसकी वजह से अगर अपराध की ओर बढ़ते हैं तो नुकसान ज्यादा होगा। समाज में संबंधों पर असर डालने के अलावा मोबाइल के बेजा इस्तेमाल से दिमागी रूप से भी असंतुलन हो रहा है।

एक अन्य घटनाक्रम में लंदन के मेयर ने विज़न जीरो रोड सेफ्टी एक्शन प्लान के तहत शहर में गति सीमा 32 किमी (20 मील) प्रति घंटा करने की योजना घोषित कर दी है। सिस्टम को सुरक्षित बनाने के इरादे से गति सीमा के साथ रीडिजाइन सड़कें, स्पीड कैमरा और सड़कों पर लागू कराया जाएगा।

गति सीमा पर काम करने के साथ-साथ लंदन के मेयर ने 2005-09 की तुलना में 2022 के आखिर तक सड़कों पर मरने वालों या गंभीर रूप से घायलों की संख्या को 65% तक कम करने का लक्ष्य रखा है। 2030 के लिए एक अलग लक्ष्य रखा गया है कि लंदन में एक्सीडेंट से मरने वालों की संख्या को जीरो करना है।

दिलचस्प है कि दोनों चीजें- मोबाइल व वाहन इंसानों ने ही बनाए, एक तेजी से यात्रा के लिए, दूसरा संचार के लिए। पर तेज गति से उनके अत्यधिक इस्तेमाल से फायदेे के बजाय उसी ने नुकसान किया।

फंडा यह है कि आविष्कार जरूरी हैं, आगे बढ़ना सभ्यता का हिस्सा है, पर किसी भी चीज का हद से ज्यादा इस्तेमाल उसी के खिलाफ हो जाता है, जिसने उसका आविष्कार किया है। इसलिए यह आप पर है कि उन आविष्कारों का कैसे आनंद उठाते हैं।

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