सौरभ शर्मा परिवार सहित दुबई में …नजदीकियों के सवाल पर बिफरे मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ?
सौरभ शर्मा परिवार सहित दुबई में, इधर उससे नजदीकियों के सवाल पर बिफरे मंत्री गोविंद सिंह राजपूत
आरटीओ कांस्टेबल की नौकरी छोड़ करोड़ों रुपये की संपत्ति के मालिक बना सौरभ शर्मा अभी दुबई में हैं। कहा जा रहा है कि उसके पास जो संपत्ति मिली है, वो उसके अकेले की नहीं है। कांग्रेस इसे परिवहन विभाग में बड़ा घोटाला बताते हुए सीबीआई जांच की मांग कर रही है। उधर मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने सौरभ को लेकर किए गए सवाल पर भड़क गए।
- ग्वालियर के विनय नगर सेक्टर दो में मुख्य मार्ग पर सौरभ शर्मा का आलीशान मकान है।
- पिता डॉ. आरके शर्मा सेंट्रल जेल में डॉक्टर थे, 8 साल पहले उनका निधन हो गया था।
- सौरभ की पत्नी दिव्या शर्मा डांस क्लास चलाने के साथ एक स्कूल में बच्चों को पढ़ाती थी।
ग्वालियर। आठ वर्ष पहले 2016 में परिवहन विभाग में अनुकंपा नियुक्ति पर भर्ती हुआ सौरभ शर्मा बेहिसाब बेनामी संपत्ति का मालिक है। वह अब परिवार समेत दुबई में है। इधर ग्वालियर आए मंत्री गोविंद सिंह राजपूत सिंह जब सौरभ को लेकर सवाल किए गए तो वे मीडिया पर बिफर गए थे। इधर कांग्रेस ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की है।
सोना और नकदी देख उड़े एजेंसियों के होश परिवहन विभाग में मामूली से आरक्षक पद से इस्तीफा देकर काली कमाई का कुबेर बने सौरभ के घर और गाड़ी से करोड़ों की नकदी और 54 किलो सोना मिलने पर जांच एजेंसियों के होश उड़ गए हैं।
लोकायुक्त और आयकर की छापेमारी में इतना बड़ा माल एक साथ नहीं मिला, यह दावा किया गया है। ग्वालियर से अपने कामकाज को शुरू करने वाले सौरभ शर्मा ने पहले परिवहन विभाग के उच्च अफसरों का खास बनने में देर नहीं की और इसके बाद मंत्रियों और नेताओं की गोद में जाकर बैठ गया।
रियल स्टेट कारोबार से लेकर होटल व्यवसाय, अलग-अलग क्षेत्रों में वह उतर गया। भोपाल के सत्ता के गलियारों में भी उसकी बड़ी पैठ हो गई। बताया जा रहा है कि जो इतना माल सौरभ के यहां बरामद हुआ है, वह अकेले उसका नहीं।
ग्वालियर के विनय नगर सेक्टर दो में मुख्य मार्ग पर सौरभ शर्मा का आलीशान मकान है। सौरभ का परिवार एक प्रदेश के कद्दावर कांग्रेस नेता का करीबी रहा। सौरभ की मां उमा शर्मा कांग्रेस नेत्री रहीं। पत्नी दिव्या तिवारी शर्मा पहले थंप डांस अकादमी चलाती थीं और सिटी सेंटर में एक स्कूल में टीचिंग करती थीं।
परिवार में एक भाई गौरव शर्मा और है, जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ में लोक सेवक के रूप में कार्यरत है। पिता डॉ. आरके शर्मा सेंट्रल जेल में डॉक्टर थे और लगभग आठ साल पहले ह्रदय रोग के कारण उनका निधन हो गया था। सिटी सेंटर ग्वालियर की उस बड़ी इमारत में जहां पब व अन्य गतिविधियां चलती हैं, वह सौरभ की है।
भड़के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत बोले- कौन बोलाखाद्य नागरिक आर्पूति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत शनिवार को ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के बड़े भाई के निधन पर शोक संवेदनाएं व्यक्त करने के लिए आए। आयकर विभाग की कार्रवाई में 54 किलो सोना व नौ करोड़ 86 लाख रुपये मिलने पर सुर्खियों में आए परिवहन विभाग के आरक्षक सौरभ शर्मा के नजदीकी संबंधों के सवाल पर राजपूत मीडिया पर बिफर गए।
पहले उन्होंने सौरभ शर्मा के सवालों को टालने का प्रयास किया। बतौर परिवहन मंत्री सौरभ शर्मा को आपका संरक्षण के सवाल पर वे गुस्से में बोले कौन बोला। उसके बाद उन्होंने स्वयं को संयमित करते हुए कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए।
यह जांच का विषय हैजब उनसे पूछा गया कि आप पर आरोप है कि सौरभ शर्मा आपका करीबी रहा जब आप परिवहन मंत्री रहे थे। इस पर गोविंद सिंह ने नाराजगी जताते हुए कहा कि प्रदेश में हजारों कर्मचारी काम करते हैं कौन क्या कर रहा है क्या पता, यह जांच का विषय है। इसके बाद मंत्री आगे बढ़ गए।
कांग्रेस जाएगी हाईकोर्टसौरभ शर्मा के पास मिली अकूत संपत्ति को लेकर कांग्रेस ने परिवहन विभाग में बड़े भष्ट्राचार का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की है। इस मामले में कांग्रेस मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी में है।
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सौरभ शर्मा को अनुकंपा से मिली थी RTO में नौकरी… पढ़िए भ्रष्टाचार का साम्राज्य खड़ा करने की पूरी कहानी
मध्य प्रदेश के भोपाल में परिवहन विभाग में आरक्षक रहे सौरभ शर्मा के यहां आईटी और लोकायुक्त की छापेमारी को लेकर हैरान करने वाले खुलासे हो रहे हैं। सौरभ शर्मा को लेकर अब परतें खुलने लगी हैं। वह शुरू से पढ़ाई में होशियार था। आरटीओ में लगने के बाद से उसने खेल शुरू कर दिए थे।
- भ्रष्टाचार की कमाई से सौरभ ने बनाई थी अविरल कंस्ट्रक्शन कंपनी
- कंपनी ड्राइवर चेतन सिंह गौर व अन्य रिश्तेदारों के नाम पर रजिस्टर
- आरक्षक रहते चिरूला बैरियल का ठेका लिया था, फिर खुद बांटे ठेके
ग्वालियर। मध्य प्रदेश में परिवहन विभाग में आरक्षक रहे सौरभ शर्मा ने भ्रष्टाचार की काली कमाई को सफेद करने के लिए अविरल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी बनाई थी। जिस चेतन सिंह गौर को सौरभ का महज ड्राइवर समझा जा रहा था, उसके साथ शरद जायसवाल और रोहित तिवारी इस कंपनी में डायरेक्टर हैं।
22 नवंबर 2021 को शुरू की गई यह कंपनी मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स के ग्वालियर स्थित दफ्तर से पंजीकृत हुई थी। कंपनी भोपाल के अरेरा कालोनी ई-7 के पते पर रजिस्टर्ड कराई गई। यहीं, लोकायुक्त पुलिस की टीम ने दो दिन पहले छापा मारकर करोड़ों रुपये और सोना-चांदी बरामद किया।
(सौरभ शर्मा और उनकी पत्नी दिव्या, जिनके भोपाल स्थित घर पर लोकायुक्त ने छापा मारा था।)
पूर्व मंत्री की भूमिका पर भी उठे सवाल
- कंपनी की शुरुआती लागत 10 लाख रुपये थी। कंपनी का टर्न ओवर नहीं खोला गया है। 31 मार्च 2023 को कंपनी की आखिरी एनुअल मीटिंग हुई थी। ऐसा कहा जा रहा है कि शरद सौरभ का साझीदार है और दोनों की मुलाकात एक पूर्व मंत्री ने कराई थी।
- सौरभ परिवहन विभाग में ही कार्यरत स्टेनो का रिश्तेदार है। अनुकंपा नियुक्ति कराने के लिए इसी रिश्तेदार ने तार जोड़े, फिर स्टेनो के जरिए ही उसने परिवहन विभाग के दाव-पेंच सीखे और रिश्तेदार को दरकिनार कर एक पूर्व मंत्री का खास बन गया।
- सौरभ ने पहले अपने स्टेनो रिश्तेदार के जरिए चिरूला बैरियर को ठेके पर लेकर चलवाया। उसे कमाई का चस्का लगा तो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के सभी बैरियर का ठेका वह लेता था।
- फिर अपने हिसाब से टीएसआई, आरटीआई को बैरियर का ठेका देता था। बाकायदा बैरियर की बोली लगवाता था, लेकिन प्राइवेट कटर इसी के रहते थे। जो पूरा हिसाब-किताब रखते थे। इस पर आने वाले पूरे पैसे का हिसाब रखकर खुद ही पैसा बांटता था।
- उसकी इस मनमानी का विरोध विभाग में ही होने लगा था। कई टीएसआई, आरटीआई ने इस तरह काम करने से इन्कार कर दिया तो फिर सौरभ ने परिवहन विभाग की नौकरी से इस्तीफा दे दिया।
दो बार पीएससी मुख्य तक पहुंचा, अनुकंपा नियुक्ति से लगापैसा कमाने का चस्का प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले मनोज शर्मा बताते हैं कि सौरभ पढ़ने में बहुत होशियार था। कोचिंग के टेस्ट में अव्वल आता था। उसमें प्रतिभा थी। दो बार उसने एमपीपीएससी दी और प्रारंभिक परीक्षा में सफलता हासिल की मुख्य परीक्षा तक पहुंचा।
एक बार साक्षात्कार में रह गया। इसी दौरान पिता के निधन के बाद उसकी अनुकंपा नियुक्ति परिवहन विभाग में हो गई। यहां से उसे पैसा कमाने का चस्का लगा।
राजदार ही मुखबिरसामने आया है कि सौरभ के दो राजदार ही सबसे बड़े मुखबिर हैं। मेंडोरी के जंगल में सोने और रुपये से भरी गाड़ी की सूचना इन्हीं के जरिए पहुंचाई गई। परिवहन विभाग में आने के बाद सबसे पहले जो सौरभ का करीबी था, उसने एक साझेदार से सारे राज उगलवाए, फिर एजेंसियों तक यह जानकारी पहुंचाई।
जिस साझेदार ने राज खोले, उसके नाम से भी सौरभ द्वारा संपत्तियां लिए जाने की बात कही जा रही है। इसके यहां छापे नहीं पड़े, क्योंकि यह मुखबिर है। टाइल्स के नीचे चांदी की सूचना भी इसी के जरिए लोकायुक्त पुलिस की टीम तक पहुंची थी।
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7 करोड़ के बंगले में रहता था सौरभ शर्मा…..दिवाली पर रिश्तेदार-दोस्तों को बांटे एलईडी टीवी; स्पेशल नोटशीट पर मिली थी RTO में नौकरी
लोकायुक्त और आयकर विभाग की टीम ने आरटीओ विभाग के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा के ठिकानों से अब तक 7.98 करोड़ रुपए की संपत्ति बरामद की है। वह भोपाल के शाहपुरा में जयपुरिया स्कूल की फ्रेंचाइजी खोलने वाला था। इसमें चेतन सिंह गौर भी साझेदार है। चेतन के नाम से रजिस्टर्ड कार में ही आयकर विभाग को 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए नकद मिला था।
सौरभ की मां उमा शर्मा ने अफसरों को बताया कि वह स्कूल की फ्रेंचाइजी के सिलसिले में मुंबई गया है। हालांकि, जांच के दौरान उसके दुबई में होने का पता चला है। लोकायुक्त की रेड के दौरान सौरभ के ठिकाने से चांदी की 200 सिल्लियां भी मिली थीं, जो उसने अपने ऑफिस में जमीन के अंदर गाड़ रखी थी। रेड के दौरान और क्या-क्या बरामद हुआ…प
सौरभ शर्मा के किस ठिकाने पर क्या मिला
मकान E-7/78 से ये सामान मिला
- एक कार सहित घर का सामान: 2.21 करोड़ रुपए।
- सोने और हीरे के जेवरात: 50 लाख रुपए।
- नकद राशि: 1.15 करोड़ रुपए।
- कुल बरामदगी: 3.86 करोड़ रुपए।
मकान E-7/657 से 30 लाख का सामान मिला लोकायुक्त की टीम ने चेतन सिंह गौर के मकान E-7/657 से कुल 30 लाख रुपए का घरेलू सामान बरामद किया। इसमें बेड, टीवी, फ्रिज, पर्दे, कपड़े और इंटीरियर आइटम्स शामिल हैं।
- नकद राशि: 1.72 करोड़ रुपए।
- चांदी: 234 किलो, कीमत: 21 लाख रुपए।
- कुल बरामदगी: 4.12 करोड़ रुपए।
सवा दो करोड़ में खरीदा था बंगला जहां सौरभ वर्तमान में रहता है, अरेरा कॉलोनी स्थित वह बंगला E-7/78 उसने 2015 में सवा दो करोड़ रुपए में खरीदा था। हालांकि, सौरभ इसे अपने बहनोई का बंगला बताता है। बंगले की वर्तमान कीमत लगभग 7 करोड़ रुपए है। सूत्रों के मुताबिक, नौकरी करते समय खरीदा गया ये बंगला सौरभ ने किसी अन्य के नाम से खरीदा था।
दिवाली पर रिश्तेदारों-दोस्तों को LED टीवी बांटी लोकायुक्त टीम को जयपुरिया स्कूल की बन रही बिल्डिंग से 40 पेटी पैक एलईडी टीवी मिलीं। सभी 43 इंच की हैं। सूत्रों के अनुसार, सौरभ शर्मा ने दिवाली के दौरान सैकड़ों टीवी अपने संबंधियों को गिफ्ट के तौर पर बांटी थीं। बाकी टीवी उसने स्कूल की इमारत में छिपाकर रखी थीं।
आरक्षक से बिल्डर बना सौरभ शर्मा परिवहन विभाग में पदस्थ सीनियर अफसर बताते हैं कि सौरभ के पिता स्वास्थ्य विभाग में थे। साल 2016 में उनकी अचानक मृत्यु के बाद उनकी जगह अनुकंपा नियुक्ति के लिए सौरभ की तरफ से आवेदन दिया गया। स्वास्थ्य विभाग ने स्पेशल नोटशीट लिखी कि उनके यहां कोई पद खाली नहीं है।
अक्टूबर 2016 में कॉन्स्टेबल के पद पर भर्ती सौरभ की पहली पोस्टिंग ग्वालियर परिवहन विभाग में हुई। मूल रूप से ग्वालियर के साधारण परिवार से संबंध रखने वाले सौरभ का जीवन कुछ ही वर्षों में पूरी तरह बदल गया। नौकरी के दौरान ही उसका रहन-सहन काफी आलीशान हो गया था, जिससे उसके खिलाफ शिकायतें विभाग और अन्य जगहों पर होने लगीं।
कार्रवाई से बचने के लिए सौरभ ने वॉलंटरी रिटायरमेंट स्कीम के तहत सेवानिवृति ले ली। इसके बाद उसने भोपाल के नामी बिल्डरों के साथ मिलकर प्रॉपर्टी में बड़े पैमाने पर निवेश करना शुरू कर दिया।
चेतन बोला- मैं वर्कर की हैसियत से काम करता था
आयकर विभाग को दिए बयान में चेतन सिंह गौर ने खुद को सौरभ शर्मा का साधारण वर्कर बताया है। चेतन का कहना है-
सौरभ जहां कहता था, मैं वहां साइन कर दिया करता था। मेरे दस्तावेज वह अलग-अलग काम बताकर ले लेता था।
चेतन ने यह भी बताया कि वे दोनों पुराने परिचित थे और उसे काम की जरूरत थी। इसी कारण उसने सौरभ से कभी कोई सवाल नहीं किया। चेतन के अनुसार, सौरभ ने इसी भरोसे का फायदा उठाकर उसके दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। चेतन ने कहा- सौरभ ने उसके नाम से कार खरीद ली। चेतन के दस्तावेजों पर पेट्रोल पंप का आवंटन करा लिया। इसके अलावा भी कई संपत्तियां चेतन के नाम से खरीदीं।
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लोकायुक्त और इनकम टैक्स के छापों में आरटीओ के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है। सौरभ शर्मा के ठिकानों से 235 किलो चांदी सहित कुल 8 करोड़ के नकदी और आभूषण मिले हैं। ये भी पता चला है कि सौरभ जल्द ही शाहपुरा के बी सेक्टर में जयपुरिया स्कूल की फ्रेंचाइजी खोलने वाला था।
दैनिक भास्कर ने जब सौरभ के जयपुरिया स्कूल की फ्रेंचाइजी की पड़ताल की तो पता चला कि जिस जमीन पर स्कूल की बिल्डिंग बन रही है, वो 2004 में बीडीए ने एक एनजीओ को आवंटित की थी। स्कूल की चेयरपर्सन उसकी मां और डायरेक्टर पत्नी हैं।
वहीं, मेंडोरी के जंगल में बरामद 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए नकद के साथ जो कार पकड़ी गई थी, उसका मालिक चेतन सिंह गौर जयपुरिया स्कूल की समिति में सचिव है।
दफ्तर में मिला फ्रेंचाइजी का बोर्ड उसकी मां उमा शर्मा ने अफसरों को बताया कि सौरभ जयपुरिया स्कूल की फ्रेंचाइजी के सिलसिले में मुंबई गया है। हालांकि, वह इस समय दुबई में है। अरेरा कॉलोनी के जिस दफ्तर में लोकायुक्त की टीम ने छापा मारा, वहां जयपुरिया स्कूल की फ्रेंचाइजी का बोर्ड भी लगा मिला।
इसी दफ्तर के फ्लोर के नीचे बने खुफिया लॉकर से लोकायुक्त ने 2.35 क्विंटल चांदी की सिल्लियां बरामद की है। संडे स्टोरी में पढ़िए, कैसे सौरभ ने एनजीओ की जमीन पर स्कूल की बिल्डिंग बनाई? किस तरह से अपने रसूख का इस्तेमाल किया…
2004 में बीडीए ने एनजीओ को आवंटित की थी जमीन दैनिक भास्कर की पड़ताल में पता चला कि 15 मार्च 2004 को भोपाल विकास प्राधिकरण (बीडीए) ने राजमाता शिक्षा समिति को शाहपुरा में 19942 वर्गफुट जमीन स्कूल बनाने के लिए आवंटित की थी। इस समिति की अध्यक्ष बीडीए के पूर्व उपाध्यक्ष रहे सुनील शर्मा की मां थीं।
जमीन आवंटन की एक शर्त ये भी थी कि यहां 3 साल के भीतर स्कूल बना दिया जाएगा। सुनील शर्मा की मां के एनजीओ के नाम जमीन थी, लेकिन मौके पर पार्क बना था।
रहवासियों का तर्क- जमीन ओपन स्पेस थी शाहपुरा हाउस ऑनर्स एसोसिएशन का तर्क है कि बीडीए ने 1984 में जब ये कॉलोनी बनाई तो इस जमीन को ओपन स्पेस बताया था। साल 2014 में जब बीडीए ने कॉलोनी की लीज रिन्यू की, तब भी यहां खुला एरिया था। नवंबर 2022 में अचानक जमीन पर निर्माण काम शुरू हो गया, तब रहवासियों को पता चला कि इस जमीन पर नगर निगम ने बिल्डिंग परमिशन दे दी है।
रहवासियों ने इसके बारे में पता किया तो सामने आया कि परमिशन सौरभ शर्मा को मिली है। यहां वो जयपुरिया स्कूल की फ्रेंचाइजी खोलने जा रहा है। रहवासियों की ये आशंका इसलिए भी सही साबित होती दिख रही है क्योंकि इसकी चेयरपर्सन सौरभ की मां उमा शर्मा और डायरेक्टर पत्नी दिव्या तिवारी शर्मा हैं।
पार्क से पाथ वे, झूले हटाए, पेड़ कटवाए बिल्डिंग परमिशन के बाद जमीन पर स्कूल का निर्माण शुरू हुआ। रहवासियों के मुताबिक नगर निगम ने यहां पार्क बनाया था। इसमें हाइमॉस्ट, झूले और ओपन जिम भी लगा था। बिल्डिंग का काम शुरू हुआ तो पेड़ काट दिए गए, झूले और पाथवे भी हटा दिए।
रहवासियों का सवाल है कि बीडीए ने जब जमीन लीज पर दी थी, तब तीन साल में स्कूल बनाने की शर्त जोड़ी थी, फिर 2022 में बिल्डिंग परमिशन कैसे दी गई? रहवासियों ने नगर निगम से सवाल पूछा कि जब निजी जमीन थी तो पार्क कैसे बना? तो निगम का तर्क था कि 1994 में बीडीए ने इसे हैंडओवर किया था।
इस पर बीडीए ने तर्क दिया कि उन्होंने मेंटेनेंस के लिए जमीन को नगर निगम को दिया था। इस मामले पर भास्कर ने बीडीए के सीईओ प्रदीप जैन से संपर्क किया तो उन्होंने इसे पुराना केस बताते हुए जानकारी होने से इनकार कर दिया।
निगम कमिश्नर ने काम बंद करवाया तो हाईकोर्ट से आदेश रद्द शाहपुरा हाउस ऑनर्स एसोसिएशन के रहवासियों का कहना है कि जब उन्होंने इस मामले की शिकायत तत्कालीन कमिश्नर वीएस कोलसानी चौधरी से की तो उन्होंने 18 फरवरी 2023 को बिल्डिंग परमिशन पर रोक लगा दी। कमिश्नर के आदेश के खिलाफ स्कूल निर्माण करने वाली राजमाता शिक्षा समिति ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई।
हाईकोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि बिल्डिंग परमिशन पर रोक लगाने से पहले समिति का पक्ष नहीं सुना गया। इस आधार पर बिल्डिंग परमिशन बहाल हो गई। इसके बाद फिर तेजी से काम शुरू हुआ। रहवासियों ने इसके बाद नगर निगम कमिश्नर, महापौर को शिकायत की कि स्कूल निर्माण के दौरान बिल्डिंग परमिशन के नियमों को दरकिनार किया जा रहा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
2025 के शैक्षणिक सत्र में स्कूल शुरू करने की थी प्लानिंग स्कूल बिल्डिंग का काम दिन रात बहुत तेजी से जारी है। 50 से ज्यादा मजदूर काम कर रहे हैं। भास्कर टीम अंदर पहुंची तो देखा कि बिल्डिंग का काम अब अंतिम दौर में है। बिल्डिंग में काम कर रहे लोगों से पता चला कि सारे काम के टेंडर पहले ही हो चुके हैं। कौन सा मटेरियल कहां से आएगा यह भी डील हो चुकी है।
साल 2025 सेशन से स्कूल में एडमिशन प्रक्रिया शुरू करने का टारगेट है। एडमिशन और टीचिंग से जुड़ी जानकारी के लिए अरेरा कॉलोनी में कंसल्टेशन ऑफिस शुरू किया था। वहीं स्कूल में दिन-रात जारी निर्माण कार्य से आसपास के रहवासी बुरी तरह परेशान हैं।
भास्कर की टीम को देखते ही स्कूल के सामने वाले मकान में रहने वाले अकबर आए और बोले- बीडीए की ओर से हमें दिए गए नक्शे में इसे ओपन स्पेस दिखाया गया था। हमारी रजिस्ट्री के साथ नक्शे आज भी लगे हैं, सामने पार्क भी बना था, लेकिन हमारे मकान के सामने चार मंजिला बिल्डिंग खड़े होने से खुला हिस्सा खत्म हो गया है।
स्कूल के सेटअप में 10 करोड़ खर्च का अनुमान भास्कर ने स्कूल जयपुरिया स्कूल की वेबसाइट पर मौजूद नंबर पर कॉल किया तो पता चला कि स्कूल की फ्रेंचाइजी लेने वाले स्कूल के सेटअप के लिए कम से कम 10 करोड़ रूपए के निवेश की जरूरत है। इसमें जमीन की कीमत शामिल नहीं है।