बिजनेस करते हुए दुकानदारों को कभी भी अपना सॉरी लुक या दुखी चेहरा नहीं दिखाना चाहिए

बिजनेस करते हुए दुकानदारों को कभी भी अपना सॉरी लुक या दुखी चेहरा नहीं दिखाना चाहिए

मकर संक्रांति के दिन मैं घर आ रही कुछ महिलाओं के लिए गजरा खरीदने गया, पर कीमत सुनकर चौंक गया, दुकानदार ने एक फुट मोगरे की कीमत 100 रु. बताई। (आमतौर पर सर्दियों में कम आते हैं) मैंने ऑनलाइन कीमत देखी, इसमें 42 से 70 रु. प्रति 100 ग्राम का विकल्प था, सबका दावा था कि उन्होंने बगीचे से तुरंत वो फूल तोड़े हैं।

मैंने दुकानदार से फूल नहीं लिए, क्योंकि इसका कारण कीमत नहीं थी, उनके पास सस्ते विकल्प भी थे पर मूल कारण ये था कि दुकानदार खुद साफ नहीं दिख रहे थे। और मुझे नहीं पता था कि ऑनलाइन आने वाले फूल कितने ताजे होंगे।

इसलिए मैं गाड़ी चलाकर घर से 11 किमी दूर गया, दफ्तर से लौटते हुए अक्सर मैं बेहतर कीमत के चलते यहां से फूल लेता हूं। मैं इस खास विक्रेता को तरजीह देता हूं क्योंकि चेहरे बनाने वाले और हमेशा मुनाफा कम होने का रोना रोने वाले अधिकांश दुकानदारों से उलट यह विक्रेता फूल मांगने से पहले ही ‘स्वामी शरणम्’ कहकर अभिवादन करता है और उसकी दुकान में हमेशा गायत्री मंत्र या कोई श्लोक चलता रहता है।

उस भक्ति भरे माहौल के अनुरूप उसके कपड़े भी साफ सफेद होते हैं, जैसे हम टीवी विज्ञापनों में देखते हैं। माथे पर विभूति के साथ भौंहों के बीच कुमकुम लगी होती है और हाथ जोड़कर नमस्ते के साथ ‘स्वामी शरणम्’ दोहराता है, जिसका मतलब है कि मैं ईश्वर के सामने सिर झुकाता हूंं। उस दुकान के सामने दिव्य अनुभूति होती है।

इसके अलावा वह शायद ही कभी पुराने फूल बेचता है और बाकी से काफी पहले दुकान बंद कर देता है क्योंकि उसका ताजा माल पहले ही खत्म हो जाता है। पर मुझे वहां भी निराशा हुई क्योंकि उसने भी उसी मात्रा की 125 रु. कीमत बताई। मैंने मोलभाव किया और चूंकि मैं उसका रेगुलर कस्टमर हूं तो उसने 90 रु. फुट गजरा दिया, हालांकि दोनों तरफ 22 किमी ड्राइव करके, ईंधन जलाने के बाद कीमत से मतलब नहीं रह जाता।

बेचने की टेक्नीक के कारण दशकों पहले ही मुझे यह विक्रेता भा गया था। सालों पहले मैं अपनी मां के साथ वहां जाता था। एक दिन मैंने मां के लिए गजरा लिया और मां उसे लगाने के लिए उस दिन सेफ्टी पिन लाना भूल गईं, तो उसने सेफ्टी पिन दी। मुझे बताएं कि आज कितने फूल विक्रेता सिर पर गजरा साधने वाली ये छोटी-सी चीज देते हैं।

मूल उत्पाद फूल, जिन पर पूरा बिजनेस टिका है, उन्हें ताजे रखने व खुद को यथासंभव साफ रखने के साथ-साथ उसने महिला खरीदारों को आकृष्ट करने के लिए समय-समय पर नई सुविधाओं के साथ खुद को बदला। चूंकि इन दिनों अधिकांश लोग सेल्फी लेते हैं, ऐसे में उसने इस तरह शीशा रखा है कि सिर पर गजरा लगाने के बाद शीशे की मदद से कंधे तक लटका फूलों का गजरा और चेहरा एक ही फ्रेम में दिखाई दे!

ताज्जुब नहीं कि कई लोग ऑनलाइन फूल खरीदते हैं, जो कि सस्ते होते हैं, ऐसे में ये दुकानदार दुखी चेहरा बना लेते हैं क्योंकि ग्राहकों की संख्या कम होने और इनके रखरखाव की लागत से बाकी बचे फूलों के खराब होने का जोखिम होता है।

चूंकि सड़क किनारे फूल बेचने वाले इन विक्रेताओं के पास पैकिंग का स्मार्ट सामान नहीं होता है, ऐसे में यह सही समय है कि वे दिखने-दिखाने का आउटलुक इस तरह करें कि लोग उनकी ओर आकर्षित हों। उन्हें ग्राहक की सुनने की इंद्रियों को आकर्षित करने के लिए कुछ संगीत जोड़ना चाहिए। पांच में से इन तीन इंद्रियां (देखकर, खुशबू से और सुनकर) उनके पक्ष में काम करेंगी।

फंडा यह है कि बिजनेस करते हुए दुकानदारों को कभी भी अपना सॉरी लुक या दुखी चेहरा नहीं दिखाना चाहिए। उनका दमकता चेहरा और खुशी की भावना अंतत: उनका कारोबार बढ़ाएगी।

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