ग्वालियर.। न्यायालय की फटकार के बाद बड़ागांव स्थित विजयालक्ष्मी नर्सिंग कालेज को डी समूह में शामिल किया गया। क्योंकि विजयलक्ष्मी नर्सिंग कालेज से संबद्ध 180 बेड का अस्पताल गालव सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल कागजों संचालित है। हकीकत में अस्पताल अस्तित्व में हैं ही नहीं। जिस भवन में विजयालक्ष्मी कालेज संचालित हो रहा है उसी 30 हजार फीट के भवन में दूसरा नर्सिंग कालेज एमएलबी और तीन साढ़े 5 सौ बेड के अस्पताल भी कागजों में चल रहे हैं। इसके बाद भी मध्य प्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल और जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने आंख मूंदकर कालेज को सत्र 2020-21 के लिए मान्यता दे दी। मापदंडो पर खरे न उतरने वाले डी कैटेगिरी के दस नर्सिंग कालेजों को मान्यता दी जा चुकी है और इतने ही कालेज को मान्यता देने की तैयारी है।

मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर ने मापदंड पर खरे न उतरने वाले नर्सिग कालेजों को 1000 रुपये के स्टांप पर संबद्धता दे डाली। गजब की बात यह है कि इन कालेजों में न तो कभी छात्रों की कक्षा लगाई गई और नहीं क्लीनिकल प्रशिक्षण दिया गया। सत्र 2020-21 की संबद्धता जिन नर्सिंग कालेजों को दी गई है उनके पास खुद के अस्पताल तक नहीं है। कागजों में चलने वाले अस्पतालों का भंडा खुद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट कर चुकी है। फिर भी मनमर्जी से मेडिकल यूनविर्सिटी के अफसरों ने संबद्धता दी और अब सफाई दे रहे हैं मापदंड पर खरे न उतरने वाले डी समूह के कालेजों की अब निरीक्षण कराएंगे और सीधा प्रसारण कार्यपरिषद सदस्यों को दिखाएंगे। यह खाना पूर्ति भी इसलिए है कि वह डी समूह के कालेजों केा मान्यता देकर खुद फस चुके हैं। इन गड़बड़ियों के कारण ही मान्यनीय उच्च न्यायालय ग्वालियर खंडपीठ द्वारा परीक्षा नियंत्रक एवं कुलपति को फटकार लगाई गई और सीबीआई जांच कर रही है। केयर स्कूल आफ नर्सिंग मंडला,ज्ञान स्कूल आफ नर्सिंग धार, एनएस इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस छिंदवाड़ा,पंचसील इंस्टीट्यूट आफ नर्सिंग श्योपुर, कोरे कालेज आफ नर्सिंग एंड पैरामेडिकल इंदौर, स्नेह इंस्टीट्यूट आफ नर्सिंग हास्पिटल भोपाल, थ्री एम पैरामेडिकल कालेज भोपाल, विजयलक्ष्मी कोलज आफ नर्सिंग ग्वालियर, श्री विनायक नर्सिंग कालेज रतलाम और द होली पैथ इंस्टीट्यूट आफ नर्सिंग भोपाल को संबद्धता दी जा चुकी है।