भोपाल। राजनीतिक गलियारे ही नहीं, ब्यूरोक्रेसी को लेकर दिग्गजों के बदले अंदाज भी मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के संकेत देने लगे हैं। सत्तारूढ़ भाजपा जहां वरिष्ठ अधिकारियों को लेकर साफ्ट दिख रही है, वहीं कांग्रेस का अंदाज आक्रामक हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वरिष्ठ अधिकारियों को टीम एमपी से बढ़कर अपने परिवार का सदस्य बताया है, तो पूर्व मुख्यमंत्री प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ कार्यकर्ताओं को निर्देश दे रहे हैं कि जो अधिकारी तकलीफ दे रहे हों, उनके नाम नोट करके रखें, सरकार आने पर हिसाब किया जाएगा।

साल के अंत तक होना है चुनाव

दरअसल, राजनीतिक दलों और नेताओं से वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों की करीबी किसी से छिपी नहीं रही है। अघोषित तौर पर कई चेहरे अपनी निष्ठा के लिए हमेशा से चिह्नित भी रहे हैं। इसका इनाम और खामियाजा प्रदेश ने समय-समय पर देखा है। इस वर्ष के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसे लेकर राजनीतिक जमावट के साथ अधिकारियों की अंदरूनी तैयारियां रंग दिखाने लगी हैं। संकेत शिवराज और पूर्व कमल नाथ के बयानों से भी मिलते हैं।

लापरवाही पर सजा, अच्छे काम पर तारीफ

सीएम शिवराज सिंह चौहान ने आइएएस सर्विस मीट के दौरान उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी की तारीफ करते हुए कहा कि कई अधिकारी तो दिन-रात भी नहीं देखते और समर्पण के साथ काम करते हैं। इतना ही नहीं, चौहान अधिकारियों और कर्मचारियों को लापरवाही पर निलंबित या बर्खास्त करते हैं, तो अच्छे काम करने पर पुरस्कृत करने में भी नहीं चूकते। लंबे समय तक प्रदेश का मुखिया होने के नाते कई अधिकारियों की उनके प्रति निष्ठा के मामले सामने आते रहे हैं। कांग्रेस के 15 महीने का कार्यकाल छोड़ दिया जाए और अखिल भारतीय सेवा में देखा जाए तो 2005 काडर के बाद जितने अधिकारी आए, उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में अधिकांश वक्त सिर्फ शिवराज सिंह चौहान को ही देखा है।

तकलीफ देने वालों का नाम नोट कर लो

इस बीच डेढ़ साल के लिए कमल नाथ सरकार के कार्यकाल में उन अधिकारियों के चेहरे भी सामने आए, जिनकी निष्ठा कांग्रेस के प्रति मानी जाती है। इधर, कांग्रेस साल की शुरुआत से ही प्रचारित कर रही है कि नए साल में नई सरकार यानी कमल नाथ की सरकार बनेगी। कमल नाथ कार्यकर्ताओं में सत्ता में वापसी का जोश भरते हुए आह्वान कर रहे हैं कि जो अधिकारी प्रताड़ित कर रहे हों, तकलीफ दे रहे हों, उनका नाम नोट कर लें। सरकार बनेगी, तब उनका हिसाब होगा। कमल नाथ इशारों में कई अधिकारियों को निशाने पर लेते रहे हैं। ऐसे में चुनावी साल में शिवराज और कमल नाथ के ब्यूरोक्रेसी पर जुदा अंदाज की चहुंओर चर्चा है।