महिला-पुरुष दोनों में मिल रही प्रजनन संबंधी समस्याएं, देरी से शादी बड़ा कारण
बढ़ रही नि:संतानता, आईवीएफ सेंटर्स पर आठ वर्ष में 200% मामले बढ़े ….
प्रदेश में दंपतियों में नि:संतानता बढ़ रही है। इस कारण इन विट्रो फर्टिलाइजेशन ट्रीटमेंट (आईवीएफ) सेंटर्स पर प्रजनन संबंधी समस्याएं लेकर पहुंच रहे दंपतियों की संख्या भी बढ़ रही है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के अनुसार देश में 10 से 15 फीसदी जोड़ों में प्रजनन संबंधी समस्याएं मिल रही हैं। राज्य के आईवीएफ सेंटर्स पर पिछले आठ वर्ष में इन मामलों में करीब 200 फीसदी की वृद्धि हुई है। पहले जहां केवल महिलाओं में बांझपन के केस अधिक आते थे, अब इसके पैटर्न में बदलाव हुआ है। महिलाओं जितने केस ही पुरुषों के भी आ रहे हैं।
महिला चिकित्सालय में संचालित सेंटर में 70-80 और निजी आईवीएफ सेंटर पर 100 से ज्यादा केस हर दिन आ रहे हैं। इनमें से 40 फीसदी केस पुरुषों में नपुंसकता के हैं, वहीं 40 फीसदी मामले ही महिलाओं में बांझपन के और 20 प्रतिशत केस में दोनों में समस्या होती है। कोरोना काल के बाद यह संख्या अपेक्षाकृत तेजी से बढ़ी है। आईवीएफ करवाने वालों में 60-65 फीसदी मामलों में सफलता मिल रही है। कम उम्र के दंपती भी आईवीएफ तकनीक से बच्चा पैदा कर रहे हैं। राज्य में 40 से ज्यादा आईवीएफ सेंटर चल रहे हैं।
पुरुषों में नपुंसकता के बड़े कारण
वर्ष केस (प्रतिदिन)
2009 10 से 15
2014-15 25 से 30
2022-2023 180 से 200
(आंकड़े राज्य में संचालित विभिन्न निजी व सरकारी आईवीएफ सेंटर से प्राप्त)
महिलाओं में बांझपन के बड़े कारण
देरी से शादी होना
शादी के बाद भी करियर के कारण कई वर्ष तक बच्चे पैदा नहीं करना
खराब लाइफस्टाइल
ओवरी में अंडाणुओं में कमी
(विशेषज्ञों के अनुसार)
हमारे पास जो केस आ रहे हैं, उनमें 40-40 फीसदी महिला-पुरुष दोनों में परेशानी मिल रही है। वहीं 20 फीसदी मामलों में दोनों में समस्या होती है। शादी में देरी, खराब जीवनशैली इसके प्रमुख कारण हैं। – डॉ. अनिता शर्मा, इंचार्ज, आईवीएफ सेंटर, महिला चिकित्सालय
ढाई लाख रुपए तक खर्च
आईवीएफ का खर्च एक से ढाई लाख रुपए तक हो रहा है। जयपुर में न केवल प्रदेश से बल्कि हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश से भी लोग इलाज करवाने आ रहे हैं। विदेशों में रहने वाले वो लोग जो राजस्थान के निवासी हैं, वे भी इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।