भोपाल अब प्रदेश के निजी स्कूल अपने आस-पास के एक गांव, वार्ड या फिर मोहल्ले को गोद लेंगे। इन निजी स्कूलों के शिक्षक और विद्यार्थी गोद लिए गए मोहल्ले या गांव के असाक्षर लोगों को साक्षर बनाने की दिशा में काम करेंगे।इसके लिए इन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। असाक्षर व्यक्ति को पठन-पाठन कराने वाले को अक्षर साथी नाम दिया जाएगा। दरअसल, सरकार के नव भारत साक्षरता कार्यक्रम से अब निजी स्कूलों को भी जोड़ा जा रहा है। राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा प्रदेशभर के कलेक्टर्स को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। जारी आदेश में कहा गया है कि इस कार्यक्रम में सभी सरकारी स्कूल के शिक्षक और विद्यार्थियों का सहयोग मिल रहा है। अब साक्षरता कार्यक्रम में सहयोग प्राप्त करने के लिए प्रदेश में संचालित सभी निजी स्कूलों के शिक्षक और विद्यार्थियों का सहयोग भी लिया जाएगा। बता दें, कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अध्याय 21 के प्रविधानों के अनुसार प्रदेश में साक्षरता दर बढ़ाने के लिए 15 वर्ष से अधिक आयुवर्ग के असाक्षरों को नवसाक्षर करने के लिए नव भारत साक्षरता कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, इस कार्यक्रम के अंतर्गत असाक्षर व्यक्ति के चिन्हांकन, पठन-पाठन, मूल्यांकन एवं व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए प्रदश के विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं स्वयंसेवकों से सहयोग लिया जा रहा है। प्रदेश में असाक्षर व्यक्ति को पठन-पाठन कराने वाले को अक्षर साथी नाम दिया गया है।

कार्यक्रम के लिए प्रौढ़ शिक्षा एप तैयार किया गया है। एप के बारे में जिला, विकासखंड और संकुल स्तर के अधिकारियों द्वारा प्रत्येक निजी स्कूल के एक शिक्षक को प्रशिक्षण दिया जाएगा और नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। यह नाेडल अधिकारी अपने स्कूल के सभी शिक्षकों और आठवीं से बारहवीं तक के विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।विभागीय अधिकारी इसमें सहयोग करेंगे।कार्यक्रम के अंतर्गत समय-समय पर विभिन्न स्तरों पर अक्षर साथियों, संगठनों, संस्थानों को उत्तम योगदान के लिए प्रोत्साहन स्वरूप प्रशस्ति पत्र और पुरस्कार भी दिए जाएंगे