भारत की सुप्रीम कोर्ट दुनिया की सबसे व्यस्त … ? सिस्टम मॉडर्न बनाना जरूरी …
सिंगापुर के चीफ जस्टिस बोले- इसकी वजह भारी केसलोड; सिस्टम मॉडर्न बनाना जरूरी …
सिंगापुर के चीफ जस्टिस सुंदरेश मेनन ने कहा कि भारत की सुप्रीम कोर्ट दुनिया की सबसे व्यस्त अदालत है। इसकी वजह कोर्ट पर भारी केसलोड का होना है। मेनन शनिवार को नई दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के 73वां स्थापना दिवस कार्यक्रम में मेहमान के रूप में शामिल हुए थे।
कौन हैं सुंदरेश मेनन?
भारतीय मूल के सुंदरेश मेनन सिंगापुर में जन्मे पहले और देश के चौथे चीफ जस्टिस हैं। उन्हें 6 नवंबर, 2012 में सिंगापुर के सुप्रीम कोर्ट में बतौर मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। सिंगापुर की सरकारी वेबसाइट के मुताबिक, मेनन ने 1986 में नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर से लॉ में बैचलर डिग्री हासिल की थी। साथ ही 1991 में हावर्ड लॉ स्कूल से लॉ में मास्टर्स किया था। मेनन ने 1987 में सिंगापुर में वकालत शुरू की थी।
जस्टिस को मॉडर्न बनाना जरूरी
मेनन ने अपनी स्पीच में कहा कि केसलोड घटाने और सहजता से न्याय देने के लिए कोर्ट की प्रोसेस को मॉडर्नाइज करना जरूरी है। उन्होंने बताया कि भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के सभी कोर्ट इस वक्त कई चुनौतियों से गुजर रहे हैं। इनसे भविष्य में नए लीगल चैलेंज बनने की आशंका भी है। मेनन के मुताबिक, आज के दौर में केसेस कॉम्प्लेक्स होते जा रहे हैं। उनमें टेक्निकल और सबूतों से जुड़ी मुश्किलें बढ़ रही हैं।
CJI चंद्रचूड़ बोले- 3 महीने में 12 हजार केस निपटाए
कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ समेत कई पूर्व चीफ जस्टिस और जज भी शामिल रहे। चंद्रचूड़ ने कहा- भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश हरीलाल जे कनिया ने शुरुआत में ही सुप्रीम कोर्ट की भूमिका साफ कर दी थी। कोर्ट हमेशा संविधान की व्याख्या करने के साथ संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करेगा।
चंद्रचूड़ ने आगे बताया- शुरू में सुप्रीम कोर्ट में जजों के स्वीकृत पद 8 थे। सुनवाई के दौरान 5-6 वकील ही मौजूद रहते थे। आज कोर्ट में जजों के स्वीकृत पद 34 है। कोर्ट रूम ही नहीं, बाहर का गलियारा तक वकीलों से भरा रहता है। पिछले 3 महीनों में सुप्रीम कोर्ट ने 12,471 मुकदमे निपटाए हैं।
SC में 10 साल में 11 हजार मामले पेंडिंग
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने 8 दिसंबर को राज्यसभा में बताया था कि पिछले 10 सालों में सिविल और क्रिमिनल पेंडिंग केस की तो ये जिला स्तर पर 34 लाख से ज्यादा हैं। हाई कोर्ट में ये लिस्ट 12.5 लाख ज्यादा की है और सुप्रीम कोर्ट में कुल 11 हजार मामले हैं। हालांकि सितंबर 2022 तक देशभर की निचली अदालतों में 1.76 करोड़ से ज्यादा मामलों का निपटारा किया है। हाई कोर्ट ने लगभग 15 लाख, वहीं सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2022 तक 29 हजार से ज्यादा मामले निपटाए।
बढ़ सकता है लंबित मामलों का भार
रिजिजू ने कहा था कि कई अदालतों में लंबित मामलों की संख्या कुछ महीनों में 5 करोड़ के आंकड़े तक पहुंच सकती है। लंबित मामलों के मुद्दे पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा था कि ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट्स में कमी आ सकती है, लेकिन असली चुनौती निचली अदालतों में है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जजों के 6 पद खाली हैं। वहीं सभी हाई कोर्ट में जजों के कुल 334 पद खाली हैं। इसमें इलाहाबाद में सबसे ज्यादा 60 वैकेंसीज हैं।