ग्वालियर. नगर निगम में आउटसोर्ट भर्ती घोटाले की जांच के लिए गठित जांच समिति अब मजाक बनकर रह गई है। चार महीने बीत जाने के बाद भी समिति को निगम अधिकारी रिकार्ड उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। उधर समिति के सदस्य भी बैठकों में सिर्फ अधिकारियों को चेतावनी दे रहे हैं। 22 सितंबर 2022 को मेयर इन काउंसिल (एमआइसी) द्वारा घोटाले की जांच के लिए समिति का गठन किया गया था। अब समिति की आखिरी बैठक 16 फरवरी को आयोजित की जाएगी।

आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती में हुए घोटाले की आंच भोपाल में बैठे अधिकारियों तक पहुंच गई थी। आउटसोर्स भर्ती के लिए रिश्वत लेने के आरोप भी लगे थे। इसके बाद निगमायुक्त ने अपर आयुक्त की अध्यक्षता में जांच कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर कई कर्मचारियों की सेवा समाप्त करने के साथ ही दो नियमित कर्मचारियों को निलंबित भी किया गया था। इसके अलावा कई कर्मचारियों के प्रभार भी बदले गए थे। इसी दौरान मेयर इन काउंसिल द्वारा आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती के घोटाले की जांच करने की घोषणा की गई। मेयर इन काउंसिल ने सात सदस्यीय कमेटी का गठन भी किया, लेकिन इस कमेटी द्वारा बार बार अधिकारियों को निर्देश देने के बाद भी सदस्यों को दस्तावेज उपलब्घ नहीं कराए जा रहे हैं। ऐसे में मामले को दबाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। जांच समिति की एक दिन पहले ही बैठक हुई थी, लेकिन बैठक में सिर्फ सदस्य निर्देश देते ही नजर आए। जांच कमेटी के सदस्यों ने इस बैठक में अधिकारियों से कहा कि आप लोग निचले अमले को बचाने के लिए छह महीने बाद भी समिति को रिकॉर्ड उपलब्ध क्यों नहीं करा पा रहे हैं। यदि 16 फरवरी से पहले रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया गया तो आयुक्त, नगरीय प्रशासन मुख्य सचिव व मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की जाएगी। समिति सदस्यों ने सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों से कहा कि हर हाल में 16 फरवरी से पूर्व रिकार्ड उपलब्ध कराए। इससे जांच समिति अपनी जांच रिपोर्ट आयुक्त को सौंपे। यदि रिकार्ड उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो अभी तक दिए गए दस्तावेजों के आधार पर समिति अपनी रिपोर्ट तैयार कर 16 फरवरी को फाइनल जांच रिपोर्ट आयुक्त व महापौर को सौंप देगी।