इंटेक का सर्वे:शहर में 612 पुराने पेड़, इसमें 183 पेड़ की उम्र 100 साल से ज्यादा; 80 प्रतिशत डेंजर जोन में
- 45 दिन में 100 लोगों की टीम ने किया ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पेड़ों का सर्वे
- ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लगभग 612 पेड़ों में से 80 प्रतिशत को संस्था ने डेंजर जोन में रखा
इससे पता चला कि शहर में पुराने पेड़ों की संख्या घट रही है। ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लगभग 612 पेड़ों में से 80 प्रतिशत को संस्था ने डेंजर जोन में रखा है। इनमें से शहर के विकास के नाम पर इन पेड़ों का काटा जा सकता है। संस्था के संयोजक डॉ. नीलकमल माहेश्वरी ने कहा कि पुराने पेड़ों का संरक्षण किया जा सके इसलिए संस्था की ओर से यह सर्वे कार्य कराया गया है। इसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन और नगर निगम को दी जाएगी।
किस प्रोजेक्ट में कितने प्रतिशत पेड़ आएंगे
- 30% पेड़ों को सिटी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट में आ गए हैं। यहां प्रदेश सरकार की ओर काम किया जाएगा।
- 20% पेड़ों को पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट के प्रोजेक्ट में इन पेड़ों को काटा जाना है।
- 15% पेड़ों को रोड के चौड़ीकरण के लिए काटा जाएगा।
- 10% प्राइवेट लैंड में होने के कारण इन पेड़ों को काटा जा सकता है।
- 25% पेड़ों को नगर निगम के प्रोजेक्ट के तहत काटा जाना हैं।
यहां हैं 100 साल पुराने पेड़
शहर में 100 साल पुराने पेड़ों में सबसे ज्यादा पीपल व बरगद के हैं। महाराज बाड़ा पर पीपल वाले हनुमान मंदिर, छत्री मड़ी, शिव मंदिर नई सड़क, रेलवे कॉलोनी माता मंदिर, शिव हनुमान मंदिर रेलवे कॉलोनी, हनुमान मंदिर मेला, जेबी मंघाराम परिसर, शिव मंदिर लाइन नंबर-3 में हैं।
उम्र नापने की दाे तकनीक
- पहली तकनीक- पेड़ की मुख्य शाखा की परिधि को इंच में मापकर उसकी उम्र निकाली जा सकती है। शाखा को मापते समय उसका 4.5 फुट (1.4 मीटर) ऊंचाई वाला हिस्सा लेना चाहिए।
- दूसरा तकनीक- इसमें पेड़ को काटकर उसकी उम्र पता लगाई जाती है। इसमें पेड़ के तने में उभरे हुए छल्लों (चक्रों) के आधार पर इसकी उम्र का पता लगाया जा सकता है। छल्लों (चक्रों) की संख्या हमें यह बताती है कि उस पेड़ की उम्र कितने साल की रही होगी। ज्यादातर पेड़ सालाना दो रंग के (दोरंगे) छल्ले (चक्र) बनाते हैं