एनएच-719 : हर साल 250 के लगभग होते हैं हादसे …
एनएच-719 का चौड़ीकरण… एक साल पहले डीपीआर की स्वीकृति मिली, एजेंसी अब तक तय नहीं …
नेशनल हाइवे-719 की ग्वालियर-भिंड- इटावा रोड के चौड़ीकरण का कार्य कछुआ गति से चल रहा है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने एक साल पहले इस हाइवे को फोरलेन अथवा सिक्सलेन बनाए जाने के लिए डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाने की स्वीकृति प्रदान की थी। लेकिन अब तक एजेंसी नियुक्त नहीं हो पाई है। जबकि पूरा एक वर्ष बीत चुका है। ऐसे में इस हाइवे के चौड़ीकरण का कार्य दिनोंदिन लेट हो रहा है।
बता दें कि ग्वालियर-भिंड-इटावा रोड का निर्माण करीब 13 साल पहले हुआ था। वर्तमान में यह हाइवे टू-लेन हैं। 10 मीटर चौड़े इस हाईवे पर ट्रैफिक का काफी दबाव रहता है, जिससे इस पर आए दिन हादसे होते हैं। यातायात पुलिस के रिकार्ड के अनुसार एक वर्ष में इस हाईवे पर 250 के करीब हादसे घटित हो जाते हैं। ऐसे में इसे फोरलेन किए जाने की मांग लंबे समय से उठ रही थी। इसके बाद पिछले साल जनवरी में केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने उक्त हाईवे पर भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए फोरलेन अथवा सिक्सलेन बनाए जाने के लिए डीपीआर बनाने की अनुमति प्रदान की थी। साथ ही यह जिम्मेदारी एमपीआरडीसी को दी गई थी।
अब तय हुई तो डीपीआर बनने में लगेगा एक और साल
नेशनल हाईवे- 719 के फोरलेन अथवा सिक्सलेन किए जाने के लिए एमपीआरडीसी दो बार टेंडर बुला चुका है। लेकिन अब तक एजेंसी नियुक्त नहीं हो पाई है। बताया जा रहा है कि दूसरी बार में 10 कंपनियों ने टेंडर डाले हैं। वहीं भोपाल मंत्रालय में इन कंपनियों का वेल्युएशन का कार्य चल रहा है। लेकिन यह कार्य काफी धीमी गति से किया जा रहा है। इसके पीछे वजह मंत्रालय में स्टाफ की कमी होना बताया जा रहा है। ऐसे में एजेंसी तय होने में अभी एक से डेढ़ महीने का समय ओर लगना बताया जा रहा है। वहीं जानकारों की मानें तो यदि एक से डेढ़ महीने बाद एजेंसी नियुक्त भी होती है तो हाईवे की डीपीआर बनने में एक साल का समय लग जाएगा। यानि साल 2023 पूरा बीत जाएगा।
अभी एक महीना और लग सकता है
एनएच- 719 के फोरलेन अथवा सिक्सलेन बनाने की डीपीआर बनाए जाने के लिए दूसरी बार टेंडर बुलाए थे। 10 कंपनियां आई हैं। अभी उनका वेल्युएशन चल रहा है। अभी एजेंसी नियुक्त होने में करीब एक महीने का समय ओर लग सकता है।
महाप्रबंधक, एमपीआरडीसी, ग्वालियर
हर रोज 20 हजार पीसीयू ट्रैफिक है हाइवे पर
108 किलोमीटर लंबे इस टू-लेन हाइवे (ग्वालियर-भिंड-इटावा ) पर हर रोज 20 हजार पीसीयू (पैसेंजर कार यूनिट) ट्रैफिक गुजरता है। जबकि भारत सरकार के नए नियमों के अनुसार यदि किसी रोड पर 15 हजार पीसीयू प्रतिदिन ट्रैफिक हैं तो उसे फोरलेन बनाया जाता है। ऐसे में ट्रैफिक के हिसाब से हाईवे की चौड़ाई कम होने के कारण इस पर हर रोज हादसे हो रहे हैं। पुलिस रिकार्ड के अनुसार एक साल में इस रोड पर 250 से अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। ऐसे में यदि यह हाइवे चोड़ा होता है तो इस पर होने वाले हादसों में काफी कमी आएगी।
12 से 46.5 मीटर चौड़ा होगा हाइवे
एमपीआरडीसी के अधिकारियों की मानें तो वर्तमान में ग्वालियर-भिंड-इटावा रोड की औसत चौड़ाई 12 मीटर है, इसमें 10 मीटर पर रोड बनी है। वहीं सड़क के दोनों ओर एक-एक मीटर चौड़ाई के सोल्डर हैं। लेकिन यदि यह सड़क फोरलेन बनी तो 10-10 मीटर की प्रत्येक लेन के अनुसार 40 मीटर की सड़क होगी। इसके बाद बीच में ढाई मीटर का डिवाइडर होगा। साथ ही दो-दो मीटर के सड़क के दोनों ओर सोल्डर बनेंगे। यानि सड़क की कुल चौड़ाई 46.5 मीटर हो जाएगी। सिक्स लेन होने पर हाईवे की चौड़ाई 20 मीटर ओर बढ़ जाएगी।
2025 तक है हाइवे निर्माता कंपनी से अनुबंध
प्रदेश सरकार ने ग्वालियर भिंड इटावा हाईवे का निर्माण बीओटी (बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर) प्रोजेक्ट के तहत कराया था। इसके चलते इस हाईवे पर 2025 तक टोल वसूलने का अनुबंध है। एक वजह यह भी मानी जा रही है सरकार इस हाईवे को फोरलेन बनाने में देरी कर रही है। वहीं हाईवे पर हो रहे हादसों और एमपीआरडीसी की ओर से लगातार भेजे जा रहे प्रस्तावों व जनप्रतिनिधियों की मांग के बाद केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इसे फोरलेन अथवा सिक्सलेन बनाने की सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर दी थी। लेकिन अब तक इसकी टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है।