ग्वालियर। कुर्सी का ऐसा मोह कि सरकार के आदेश भी धरे रह गए। ग्वालियर में तहसीलदारी के आगे तबादला आदेश हो या रिलीव करने की प्रक्रिया, सब छोटी है। राजस्व विभाग ने तबादला आदेश तो कई नायब तहसीलदार और तहसीलदारों के लिए जारी किए, लेकिन सबके पालन करने की गारंटी नहीं होती। जिले के कलेक्टर हों या अपर कलेक्टर, वह तक खुद अमल में पीछे हट जाते हैं।

ग्वालियर में मौजूदा स्थिति में दो नायब तहसीलदार ऐसे हैं, जो शासन के आदेश के बाद भी कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं हैं। पर्दे के पीछे कहानी तो नेतागीरी की है। मुरार तहसील में पदस्थ नायब तहसीलदार कुलदीपक दुबे जो तहसीलदार के चार्ज में हैं, यह पहले नंबर पर हैं। दूसरे नंबर पर हैं सिटी सेंटर तहसील के वृत्त सिरोल में पदस्थ नायब तहसीलदार महेश सिंह कुशवाह। सीधी बात इन दो अफसरों की तहसीलदारी सब पर भारी है।

यहां यह बता दें कि राजस्व विभाग मप्र शासन ने जुलाई और नवंबर 2022 में नायब तहसीलदारों के तबादले आदेश जारी किए थे। इसमें प्रदेशभर के तहसीलदार शामिल रहे। वहीं छह नवंबर 2022 को शासन की ओर से तबादला आदेश जारी हुआ, जिसमें महेश कुशवाह को जिला राजगढ़ में तबादला कर भेजा गया था। इसी तरह नायब तहसीलदार कुलदीपक दुबे का तबादला मुरैना जिले के लिए कर दिया गया था, यह आदेश जुलाई 2022 में आया था। दोनों आदेश फाइल में ही धरे रह गए और कहीं कोई नहीं गया। इसके अलावा नायब तहसीलदार पूजा मावई, बृजमोहन आर्य, दीपक शुक्ला, श्यामू श्रीवास्तव के भी आदेश आए थे। इन्हें रिलीव कर दिया गया था, लेकिन इन्हें भी कोई रिलीव नहीं कर पा रहा है।

पद नायब तहसीलदार, जिम्मा तहसीलदारी? कुलदीपक दुबे नायब तहसीलदार हैं और इनके पास तहसीलदार का चार्ज है। इन्हें पहले भितरवार, फिर सिटी सेंटर और इसके बाद वर्तमान में मुरार में तहसीलदारी का जिम्मा दुबे को ही क्यों मिला, इस सवाल का जवाब अधिकारी नहीं दे सके। नायब तहसीलदार को हमेशा तहसीलदार का चार्ज क्यों, यह भी बड़ा सवाल है। बताया जाता है कि नायब तहसीलदार यहां एक पूर्व विधानसभा के पूर्व विधायक के नजदीकी हैं।

मुरार में तहसीलदार के चार्ज में नायब तहसीलदार और सिरोल के नायब तहसीलदार के तबादला होने के बाद भी यहां पदस्थ होने के मामले को मैं देखने के बाद ही बता सकूंगा, फिलहाल कुछ नहीं कह सकेंगे।

अक्षय कुमार सिंह कलेक्टर, ग्वालियर