मेडिकल कॉन्फ्रेंस घोटाले के लिए 2 नहीं, 3 गुप्त खाते खुले …

इंदौर; डॉक्टरों ने डेढ़ करोड़ निकाले, छोड़े सिर्फ 42 पैसे …
फरियादी का दावा- मेडिकल कॉन्फ्रेंस घोटाले के लिए 2 नहीं, 3 गुप्त खाते खुले

ईएनटी के तीन डॉक्टरों डॉ. शैलेंद्र ओहरी, सचिव डॉ. विशाल मुंजाल और संरक्षक डॉ. संजय अग्रवाल द्वारा की गई ढाई करोड़ से ज्यादा की धोखाधड़ी का मामला इन दिनों खूब चर्चाओं में है। इस मामले में अब एक और गड़बड़ी पता चली है। दरअसल, गड़बड़ी करने से पहले दो नहीं तीन खाते खुलवाए गए थे। तीसरे खाते में भी 1 करोड़ 54 लाख 80 हजार रुपए ट्रांसफर किए गए थे। इस पैसे को 50-50 लाख के तीन और 4 लाख 80 हजार रुपए के एक चैक से निकाल लिया था। अब इस अकाउंट में केवल 42 पैसे ही छोड़े।

2018 में द एसोसिएशन ऑफ ऑटोलेरिंगोलॉजिस्ट्स ऑफ इंडिया (AOI) के अध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र ओहरी, सचिव डॉ. विशाल मुंजाल और संरक्षक डॉ. संजय अग्रवाल थे। कोर्ट के आदेश पर तीनों पर तिलक नगर पुलिस ने धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है।

दरअसल, 2018 में जब यह नेशनल कॉन्फ्रेंस हुई थी तब एसोसिएशन 110 सदस्य थे। कॉन्फ्रेंस के बाद पदाधिकारियों को सदस्यों को ऑडिट रिपोर्ट पेश करनी थी, जो नहीं की गई। संस्था का कार्यकाल एक साल का होने के बावजूद ये पदाधिकारी 2015 में चुने गए और 2019 तक काबिज रहे। जानबूझकर चुनाव नहीं कराने के आरोप भी इन पर लगे हैं।

आरोप- फीस का कोई हिसाब-किताब नहीं दिया

डॉ. तारे ने आरोप लगाया कि कॉन्फ्रेंस के लिए 34 करोड़ रुपए इकट्ठा हुए थे। 60 लाख जीएसटी चुकाया गया था। ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर को 3 करोड़ रुपए दिए थे। आयोजन में फीस के रूप में ही करोड़ों रुपए संस्था को मिले थे। आयोजन समाप्त होने के बाद तत्कालीन आयोजकों ने नए खाते को बंद कर दिया। राशि कहां गई, यह नहीं बताया। ऑडिट रिपोर्ट तक नहीं दी गई।

ऑडिट रिपोर्ट का मिलान किया तो पता चला

डॉ. तारे के मुताबिक सीए (एसएसयू एसोसिएट्स) को मामला दिया गया। उन्होंने भी कई बार रिमांइडर भेजे लेकिन जवाब नहीं दिया। इस बीच ढाई साल कोरोना संक्रमण के कारण केस आगे नहीं बढ़ सका। कुछ समय बाद तत्कालीन पदाधिकारियों ने ऑडिट रिपोर्ट दी।

तब कॉन्फ्रेंस में आई राशि और ऑडिट रिपोर्ट का मिलान किया तो गड़बड़ी पता चली। दरअसल पदाधिकारियों ने कॉन्फ्रेंस में रजिस्ट्रेशन फीस, मेडिकल कंपनियों के विज्ञापनों से तीन करोड़ लेना बताया जबकि यह राशि छह करोड़ से ज्यादा की निकली।

पुलिस ने मामला दबाया तो कोर्ट पहुंचे

अप्रैल 2023 में पुलिस से शिकायत की गई लेकिन ई कार्रवाई हुई तो सीएम हेल्प लाइन पर शिकायत की। यहां भी कुछ नहीं हुआ तो कोर्ट में परिवाद दायर किया।

अनाधिकृत रूप से चुन लिए थे नए पदाधिकारी

कॉन्फ्रेंस के बाद जब सदस्यों ने चुनाव को लेकर भी दबाव बनाया तो इन्हीं पदाधिकारियों ने अनधिकृत चुनाव कराकर एग्जीक्यूटिव बॉडी बना ली। इस पर सदस्यों ने आपत्ति ली और उसे अमान्य कर दिया। इसके बाद 2019 में चुनाव हुए जिसमें अध्यक्ष डॉ. प्रकाश तारे, सचिव डॉ. राहिल निदान सहित एग्जीक्यूटिव बॉडी के सात पदाधिकारी चुने गए। इन सभी सदस्यों ने पुरानी कमेटी से ऑडिट रिपोर्ट मांगी। कई पत्र भेजे, फोन किए लेकिन न तो जवाब दिया और न ही ये किसी मीटिंग में शामिल हुए। इस पर एग्जीक्यूटिव बॉडी ने इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्णय लिया।

कोई अनियमितता नहीं हुई, मामला झूठा है

मामला पूरी तरह झूठा है। अभी कोर्ट में विचाराधीन है। हमें न्यायालयीन प्रक्रिया पर पूरा विश्वास है। पूरी कमेटी ने मेहनत से आयोजन को करवाया और किसी भी तरह की आर्थिक अनियमितता नहीं हुई।

– डॉ. संजय अग्रवाल, कॉन्फ्रेंस के ऑर्गनाइजिंग कमेटी सदस्य

जिन डॉक्टरों पर एफआईआर दर्ज हुई वे बोले…

अभी सिर्फ केस, इन्वेस्टिगेशन नहीं
तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र ओहरी का कहना है कि अभी तो कोर्ट के आदेश पर केस दर्ज हुआ है। पुलिस ने इन्वेस्टिगेशन शुरू नहीं किया है। हम अपने वकील के माध्यम से अपना पक्ष रखेंगे। जो आरोप लगाए गए हैं और जो कुछ सामने आया है, सब गलत है। आप उस कॉन्फ्रेंस के मुख्य संयोजक डॉ. संजय अग्रवाल से बात करेंगे तो बेहतर होगा। हम एक-दो दिन में सारी स्थिति स्पष्ट कर देंगे।

वर्तमान अध्यक्ष और सचिव ही सही स्थिति बताएंगे
तत्कालीन सचिव डॉ. विशाल गुंजाल का कहना है कि सारे आरोप गलत हैं। इस बारे में सही स्थिति एसोसिएशन के वर्तमान अध्यक्ष डॉ. बीएस चौहान और सचिव डॉ. नवनीत जैन ही बता सकते हैं। मुझे इस बारे में कुछ नहीं कहना।

जनरल बॉडी की मीटिंग नहीं बुलाई

वर्तमान अध्यक्ष डॉ. बीएस चौहान के मुताबिक मेरे पूर्व 2020-21 की एक्जीक्युटिव बॉडी ने जनरल मीटिंग ही नहीं बुलवाई। पांच सीनियर डॉक्टरों की कमेटी ने उन्हें कई बार रिमाइंड किया था। इसके बाद ढाई साल कोरोना संक्रमण का रहा। एसोसिएशन के कितने खाते हैं इसकी मुझे जानकारी नहीं है। इतना कह सकता हूं कि सारे आरोप गलत हैं। आप तत्कालीन सचिव डॉ. विशाल मुंजाल से बात करें तो बेहतर होगा।

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