पति-पत्नी की झिकझिक में बनी 17 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनी …!
पति-पत्नी की झिकझिक में बनी 17 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनी
ब्लेजर नहीं मिलने पर झगड़े, पत्नी बोली-ये हर घर की कहानी; तभी आया बिजनेस आइडिया
पति-पत्नी के एक झगड़े ने इंदौर में 17 करोड़ रुपए सालाना के टर्नओवर वाली कंपनी खड़ी कर दी। जिसकी चर्चा अब देशभर में हो रही है। हाल ही में ये कपल टीवी शो ‘शार्क टैंक’ में पहुंचा, जहां इनके आइडिया से खुश होकर बिजनेस ग्रुप्स ने इनकी कंपनी में 70 लाख रुपए इन्वेस्ट कर दिए। यह कंपनी घर की अलमारी से लेकर किचन तक का सामान सिस्टमैटिक रखने के लिए प्रोडक्ट बेचती है।
घर-घर में समय पर सामान नहीं मिलने के लिए होने वाले झगड़े से यह आइडिया कैसे आया… 22 साल पहले ट्यूशन में साथ पढ़े इन दोनों स्टूडेंट्स का प्यार कैसे परवान चढ़ा… क्यों दोनों को नौकरी छोड़ना पड़ी..
जानिए गैरेज से शुरू हुई इस कंपनी और उसके फाउंडर्स कपल आकाश मेहता और पत्नी प्रियंका की रोचक कहानी…
शुरुआत बिजनेस पार्टनर कपल की प्रेम कहानी से
कम्पनी के फाउंडर्स और पार्टनर्स इंदौर के आकाश मेहता और उनकी पत्नी प्रियंका हैं। दोनों की पहली मुलाकात 22 साल पहले इंदौर की एक ट्यूशन क्लास में हुई थी। आकाश डेली कॉलेज में पढ़ रहे थे तो प्रियंका सत्य सांई स्कूल में, लेकिन दोनों 10वीं की कोचिंग साथ कर रहे थे। यहीं पर उनकी दोस्ती हो गई। हालांकि 12वीं के बाद एजुकेशन के लिए दोनों के रास्ते अलग हो गए। यह बात 2002-03 के बीच की होगी।
आकाश बीकॉम करने के लिए मुंबई चले गए तो प्रियंका पुणे, लेकिन दोनों पहले की तरह संपर्क में रहे। चैटिंग पर एक-दूसरे से बात कर अपना हाल शेयर करते थे। दोनों ही बीकॉम कर रहे थे, इसलिए पढ़ाई की बात भी आपस में होती रहती थी। इस बीच एक दिन प्रियंका ने अपने दिल की बात कह दी। उन्होंने आकाश को प्रपोज किया तो ट्यूशन से शुरू हुई यह दोस्ती प्यार में बदल गई। इसके बाद पढ़ाई पूरी कर दोनों ने बैंकिंग, इंश्योरेंस सेक्टर में जॉब शुरू कर दी और 2009 में दोनों ने शादी कर ली।
मैं कभी अपने कपड़े जमाकर नहीं रखती थीं, यही बनती थी झगड़े की वजह…
शादी के 2 साल बाद घर में बच्ची का जन्म हुआ तो प्रियंका ने टाइम मैनेज नहीं हो पाने के कारण जॉब छोड़ दी। वह पूरी तरह हाउस वाइफ हो गई और घर खर्च चलाने का पूरा जिम्मा आकाश पर आ गया।
प्रियंका मानती हैं कि उन्होंने आज तक अपने कमरे को ठीक से जमाकर नहीं रखा। इंदौर से लेकर पुणे तक उनका कमरा हमेशा बिखरा रहता था। यही हाल ससुराल में भी हो गया था, इस कारण कई बार कपड़े समय पर नहीं मिलने से आकाश से झगड़ा होता था। सामान को संभालकर रखने में प्रियंका की सास एक्सपर्ट थीं।
इधर, आकाश दिल्ली, भोपाल और जबलपुर में चार साल जॉब करते रहे। फिर उनका ट्रांसफर इंदौर हो गया। लाइफ ठीक चल रही थी, लेकिन इंटरनल पॉलिटिक्स की वजह से कॉर्पोरेट कंपनी में उनका प्रमोशन नहीं हुआ। यह जानकर वे रो पड़े और पिता से बात करके जॉब को अलविदा कह दिया।
जॉब छोड़ने के बाद उन्होंने अपना बिजनेस करने की इच्छा जाहिर की। मार्केटिंग से जुड़ी फील्ड में अलग-अलग काम ट्राय किए पर संतुष्टि नहीं मिली।
सबसे पहले इवेंट मैनेजमेंट कंपनी शुरू की। दोनों ने मिलकर तीन शादी प्रोग्राम करवाए, लेकिन प्रियंका तब प्रेग्नेंट थीं। इस कारण उन्हें ब्रेक पर जाना पड़ा तो सारा वर्कलोड आकाश पर आ गया। इस कारण धीरे-धीरे इसे वाइंडअप करना पड़ा।
बड़ी और ब्रांडेड कंपनीज के आइटम्स भी ऑनलाइन बेचना शुरू किए पर कुछ वक्त बाद लगा कि इसमें हमें फायदा कम हो रहा है, और कंपनियों को ज्यादा..।
मीटिंग में हुए लेट तो झगड़कर आपस में बात बंद हो गई
2015 की बात है, जब आकाश को एक मीटिंग में जल्दी जाना था, लेकिन बच्ची की जिम्मेदारी आने के बाद बेडरूम से लेकर किचन तक का हाल बेहाल रहने लगा था।
ब्लेजर नहीं मिलने पर उस दिन आकाश और प्रियंका में जमकर झगड़ा हो गया। इसी दौरान प्रियंका ने यह भी कहा था कि कौन सी नई बात है, यह तो हर घर में होता है। घर-घर की कहानी है..। हालांकि, पति मीटिंग के लिए लेट हो गए। इस कारण दो से तीन दिन तक आपस में बात भी बंद रही।
प्रियंका मेहता का पारा आसमान पर था तभी सोचा कि यदि ये वाकई हर घर की प्रॉब्लम है, तो इस समस्या को दूर करने के लिए कुछ सोचती हूं। घर की अलमारी में सामान को सिस्टमैटिक रखने के प्रोडक्ट ढूंढ़ना शुरू किए। पर ऐसा कुछ मिला नहीं। विदेशों में जरूर ऐसे कुछ प्रोडक्ट मिलते थे, जो डस्ट फ्री रहते थे। भारत या इंदौर के लिहाज से उनकी न उपलब्धता थी, न धूल के लिहाज से सही थे।
उन्होंने मन में सोचा कि मेरे जैसी और भी महिलाएं होंगी जो इस तरह बिखरे सामान के कारण परेशान होती होंगी..। इस पर कुछ ट्राय करना चाहिए। बिजनेस बैकग्राउंड वाले परिवार से आने वाली प्रियंका ने आकाश को अपना आइडिया शेयर किया तो वे मुस्कुरा दिए। दोनों को लगा कि स्टार्टअप शुरू करना है, तो इसी में क्यों न हाथ आजमाकर देखें। इसे शुरू करने से पहले सात महीने तक मार्केट रिसर्च की और फीडबैक लिए थे।
इसके बाद शुरू हुई कंपनी में आज अंडर बेड ऑर्गेनाइजर, वार्डरोब ऑर्गेनाइजर (साड़ी, शर्ट, ट्राउजर), एसेसरीज ऑर्गेनाइजर (कॉस्मेटिक, ज्वेलरी, मेंस एसेसरीज), ड्रावर ऑर्गेनाइजर, लॉन्ड्री ऑर्गेनाइजर, किचन ऑर्गेनाइजर उपलब्ध कराए हैं।
4 स्टेप में समझिए, अलमारी के कबर्ड से निकला आइडिया को ऐसे कंपनी में बदला
पहली स्टेप- 1 : सबसे पहले साड़ी रखने के लिए आइटम्स ढूंढ़े
इंदौर के बाजार में हमने अलमारी में साड़ी जमाने के आइटम तलाशना शुरू किए। पता चला कि इसके लिए कवर मिलते हैं लेकिन एक या दो ही कलर हैं। प्लास्टिक के डिब्बे भी दिखे लेकिन वो भी ऐसे ही रूटीन निकले। कोई व्यवस्थित प्रोडक्ट नहीं मिला। जो थे, उनकी क्वालिटी ठीक नहीं थी। जब ऑनलाइन सर्च किया तो विदेशी प्रोडक्ट्स मिले जो इंडिया के हिसाब से सूटेबल नहीं हैं। वहां ओपन कबर्ड होती है। इससे यह पक्का हो गया कि इस बिजनेस में दम हो सकता है।
स्टेप-2 : अलग-अलग शहरों में जाकर 100 गृहणियों से मिले
आकाश और प्रियंका ने इसके बाद अलग-अलग शहरों में 100 गृहणियों से मुलाकात कर उनकी अलमारी देखने का फैसला किया। कबर्ड भी देखे। इसके लिए इंदौर के अलावा बेंगलुरु, दिल्ली जैसे शहरों में भी गए। 80 पर्सेंट महिलाओं की अलमारी के कबर्ड सिस्टमेटिकली नहीं जमे हुए थे। कुछ महिलाओं की यहां हालत इतनी खराब थी कि पहले तो उन्होंने कबर्ड दिखाने से ही मना कर दिया था। इसके बाद तय कर लिया कि इसी दिशा में कुछ शुरू करते हैं।
स्टेप-3 : घर में 100 स्क्वेयर फीट गैरेज से की शुरुआत
घर के 100 स्क्वेयर फीट के गैरेज में ऑफिस खोला। एक टेलर मास्टर को बुलवाया और उन्हें साड़ी कवर बनाने के लिए कहा। इसके लिए इंदौर के ही क्लॉथ मार्केट से कई रंगों के कपड़े के थान खरीदे। सभी कलर हमारी रिसर्च के अनुसार लाइट कलर के थे। साड़ी कवर अपनी आंखों के सामने तैयार करवाए। फिर उसे ऑनलाइन अपलोड कर बेचना शुरू किया। फिलहाल कंपनी 40 हजार वर्गफीट एरिया में काम कर रही है।
स्टेप-4 : कीमत तय करने और बेचने की चुनौती
हमें अच्छा प्रोडक्ट भी देना था और लोगों तक पहुंचना भी था। रिसर्च कर साड़ी कवर के एक पैकेट की कीमत 125 रुपए रखी। इसे तीन के पैक में बनाया। ऑनलाइन सेलिंग पहले कर चुका था, इसलिए पूरा नेटवर्क पहले से पता था। यही अनुभव यहां काम आया। इसके बाद ऑर्डर मिलना शुरू हो गए। साड़ी कवर के बाद ब्लैंकेट कवर, अंडर द बेड ऑर्गेनाइजर सहित अन्य प्रोडक्ट जोड़ते चले गए। प्रियंका ने प्रोडक्ट पर फोकस किया और आकाश ने ऑनलाइन सेलिंग पर..।
कंपनी का मौजूदा स्टेटस
- पहले साल 2 करोड़ का टर्नओवर था, अब 17 करोड़ पहुंचा। इस बार 25 करोड़ तक होने का अनुमान।
- ऑनलाइन बुकिंग के आधार पर 100 से अधिक शहरों में 200 से ज्यादा प्रोडक्ट सप्लाई। ये सभी बेडरूम, किचन, ट्रैवलिंग, किड्स से जुड़े सामान को ऑर्गेनाइज करने के काम आते हैं।
- कंपनी में 75 लोगों का स्टाफ हो चुका है, इनमें 50 महिलाएं।
- अब तक 15 लाख से ज्यादा ऑर्डर डिलीवर किए।
- गैराज से शुरू हुआ, ऑफिस अब 40 हजार स्क्वायर फीट में चलता है।
- 600 परिवार जुड़े हुए हैं।
कंपनी का टर्नओवर का ग्राफ यूं बढ़ा
साल | टर्नओवर |
2016 | 2.2 करोड़ रु. |
2017 | 7.5 करोड़ रु. |
2018 | 9.5 करोड़ रु. |
2021 | 17 करोड़ रु. |
कम्पनी बना रही ये प्रोडक्ट
अंडर बेड ऑर्गेनाइजर, वार्डरोब ऑर्गेनाइजर (साड़ी, शर्ट, ट्राउजर), एसेसरीज ऑर्गेनाइजर (कॉस्मेटिक, ज्वेलरी, मेंस एसेसरीज), ड्रावर ऑर्गेनाइजर, लॉन्ड्री ऑर्गेनाइजर, किचन ऑर्गेनाइजर।
यूनिक बिजनेस मॉडल के कारण किया शॉर्ट लिस्ट
आकाश और प्रियंका ने हाल ही में टीवी चैनल पर प्रसारित होने वाले शो शार्क टैंक में हिस्सा लिया। उनके यूनिक बिजनेस मॉडल के कारण उन्हें शॉर्ट लिस्ट किया गया था। यहां उन्होंने पिच किया था, जिस पर शादी डॉट कॉम के फाउंडर अनुपम मित्तल से उन्हें 70 लाख रुपए का फंड बिजनेस की ग्रोथ के लिए मिला है। यहीं से दोनों सुर्खियों में आए हैं।
ऐसे पहुंचे शार्क टैंक तक
प्रियंका ने बताया उन्होंने IIM बेंगलुरु से वुमन एम्पावरमेंट का कोर्स किया है। IIM से सभी स्टूडेंट को शार्क टैंक में अप्लाय करने के लिए मैसेज भेजा गया था। इसके बाद प्रियंका और आकाश दोनों ने इस बारे में बात की। प्रियंका ने कहा कि ट्राय करना चाहिए। कुल 4 राउंड हुए। फर्स्ट राउंड में ऑनलाइन अप्लाई किया। एक डेढ़ महीने बाद शार्क टैंक से रिप्लाई आया और सेकेंड राउंड में डिटेल के साथ पूरा बिजनेस प्लान मांगा गया। फिर शॉर्ट लिस्ट कर थर्ड राउंड हुआ और मुंबई बुलाया गया। फिर लास्ट फोर्थ राउंड में शार्क के सामने दोनों को पिच करने का मौका मिला और सफलता हाथ लगी।
ऐसे पहुंचे शार्क टैंक तक
- शार्क टैंक सोनी लिव डॉट कॉम के जरिए पहले फॉर्म भरकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन sharktank.sonyliv.com पर किया। इसमें पर्सनल और बिजनेस से जुड़ी डिटेल शामिल थी।
- दूसरी बार में शार्क टैंक की टीम की तरफ से डिटेल के साथ पूरा बिजनेस प्लान मांगा गया।
- इसके बाद तीसरी बार में शॉर्ट लिस्ट कर मुंबई बुलाया गया, जिसमें बिजनेस का प्रजेंटेंशन देखा गया।
- चौथी बार में फिर मुंबई बुलाकर शार्क के सामने दोनों को पिच करने का मौका मिला और सफलता मिली।
- पांचवें राउंड में एग्रीमेंट की प्रक्रिया पूरी हुई।