स्कूलों को हिदायत: 5 दिन में सुधारो बस की हालत, सिर्फ फीस वसूलना काम नहीं
स्कूली वाहनों में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन जरूरी , खामियां मिलीं तो कार्रवाई तय
स्कूलों को हिदायत: 5 दिन में सुधारो बस की हालत, सिर्फ फीस वसूलना काम नहीं
ग्वालियर. कैंसर पहाड़ी की घाटी उतरते वक्त मंगलवार को बच्चों से भरी स्कूल बस पलटने के बाद फिर पड़ताल शुरू हो गई है कि कितने स्कूली वाहन सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं। गुरुवार को पुलिस ने निजी स्कूलों के संचालकों को समझाया कि उनका काम सिर्फ फीस लेना नहीं है। बच्चों की सुरक्षा भी उनकी जिम्मेदारी है। इसलिए स्कूली वाहनों के लिए जो गाइडलाइन सुप्रीम कोर्ट ने तय की है। उसके हिसाब से ही वाहन चलेंगे। जिन वाहनों में खामियां हैं स्कूल 5 दिन में उन्हें दुरुस्त करें। उसके बाद लापरवाही मिली तो कार्रवाई होगी।
यातायात पुलिस के अधिकारी और निजी स्कूलों के संचालक की गुरुवार को पुलिस कंट्रोल के सभागार में बैठक हुई। इसमें करीब 90 स्कूलों के संचालक आए थे। यातायात एएसपी मोती उर रहमान ने कहा पढ़ाई के साथ बच्चों की सुरक्षा उतनी जरूरी है। इसकी जिम्मेदारी पुलिस, नगरनिगम, आरटीओ के अलावा स्कूल संचालकों पर भी है। दो दिन पहले कैंसर घाटी पर जो घटना हुई। उसमें किसकी गलती है जांच में सामने आएगा। सुप्रीम कोर्ट ने स्कूली वाहनों के लिए गाइडलाइन तय की है। उनका स्कूली वाहनों में पालन होगा, जिन स्कूलों की गाड़ियों में गाइडलाइन के हिसाब से खामियां हैं। उनके पास 5 दिन का वक्त है। वाहनों को गाइडलाइन के हिसाब से तैयार करें। फिर उन्हें सुधारने का मौका नहीं दिया जाएगा
वाहनों में सुरक्षा के इन बिंदुओं का पालन जरूरी …
● स्कूली वाहन का रंग पीला होना चाहिए, उस पर बडे़ अक्षरों में स्कूल बस, वैन लिखा हो।
● वाहन किराए का हो तो उस पर स्कूल सेवा लिखना जरूरी है।
● स्कूली वाहन में तय संख्या से ज्यादा बच्चे नहीं बैठेंगे।
● वाहन में फर्स्ट एड बॉक्स और अग्नि शमन यंत्र होना चाहिए।
● वाहन की खिड़कियों पर आड़ी गिल जरूरी है
● वाहन पर स्कूल का मोबाइल, टेलीफोन नंबर के साथ अन्य आवश्यक नंबर दर्ज होना चाहिए।
● वाहन के दरवाजे पर चटकनी, लॉक होना चाहिए।
● बस के चालक को कम से कम 5 साल का अनुभव जरूरी। चालक हल्के नीले रंग की शर्ट और इसी रंग के पेंट की ड्रेस पहनेगा, उसके नाम का आइडी शर्ट पर दिखना चाहिए।
● वाहन चालक पर अपराधिक, यातायात के नियम तोड़े हों वह स्कूल वाहन नहीं चलाएगा।
● वाहन में बच्चों के स्कूल बैग रखने के लिए पर्याप्त जगह होना चाहिए
● वाहन 40 किमी की रफ्तार से तेज नहीं चलेंगे। उनमें स्पीड गर्वनर जरूरी है। वाहन के साथ अटेंडेंट होना चाहिए।
● वाहन में सुरक्षा के मापदंड को परखने के लिए बच्चों के माता पिता, शिक्षक भी स्कूल वाहन में सफर कर सकते हैं।
● वाहन में 12 साल से कम उम्र के बच्चे स्कूल जाते हैं तो वाहन में बैठने वालों की तय संख्या से डेढ़ गुना ज्यादा हो सकती है। 12 साल से ज्यादा के बच्चों को एक व्यक्ति माना जाएगा।
● वाहन चालक के पास बच्चों के नाम पते और ब्लड ग्रुप और घर से स्कूल के रूट तथा स्टॉपेज की सूची होना चाहिए।
● स्कूल 6 महीने में वाहन चालकों का नेत्र और मेडिकल चेकअप कराएगा। चालकों का पुलिस वेरीफिकेशन भी स्कूल की अनिवार्य जिम्मेदारी है।
● वाहन में जीपीएस सिस्टम, दो कैमरे एक वाहन के आगे और एक पीछे होना चाहिए।
● वाहन के दस्तावेज वाहन में होना चाहिए।
ऑपरेटर पर नहीं फोड़ो ठीकरा
यातायात डीएसपी विक्रम सिंह कनपुरिया ने बताया ज्यादातर स्कूल संचालक घटना के बाद वाहन ऑपरेटर की जिम्मेदारी बताकर पल्ला झाड़ने की कोशिश करते हैं। उन्हें समझाया गया है बच्चों के घर से स्कूल और वापस घर पहुंचते तक सुरक्षा की जिम्मेदारी स्कूल संचालक की भी है। इसमें लापरवाही नहीं बरतें।
स्कूल वाहन सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन करेंगे। स्कूल संचालकों को बताया गया है। इन्हें पूरा करने के लिए 5 दिन का वक्त दिया है। उसके बाद स्कूली वाहन में गाइडलाइन का पालन नहीं मिला तो कार्रवाई होगी। उसके लिए स्कूल संचालक को भी जिम्मेदार माना जाएगा।
यातायात एएसपी