अंटार्कटिका यात्रा
उस सुबह हम वहां पहुंचे, जहां से जहाज हमें प्रकृति की गोद में ले जाने वाला था। हवा बहुत तेज थी तो बजाय सिंग्युलर होटल की छोटी नावों पर ले जाने के होटल ने बड़े जहाज पर ले जाने का इंतजाम किया। उस पर अलग-अलग होटल के यात्री भी जा सकते थे। जहाज पर सब तरह का इंतजाम था और कप्तान इतना अनुभवी कि उसने जहाज को आगे-पीछे दाएं-बाएं घुमा कर हर यात्री को पहाड़ और झरने इतने करीब से दिखाए कि सब की खुशी का मानो ठिकाना न था। एक तो हवा इतनी तेज थी उस पर कड़ाके की ठंड, फिर भी हर एक यात्री जहाज की खुली छत पर थोड़ी-थोड़ी देर में जाता ताकि हर पल प्रकृति के उस करीबी नजारे को कैमरे में कैद कर सके। चिली का यह इलाका दो बड़े ग्लेशियर के लिए मशहूर है द्ग बालमासेडा और सेरानो।
जंगल के बीच सेरानो ग्लेशियर जो कि चिली के इस क्षेत्र के दो बड़े ग्लेशियरों में से एक है (ऊपर बाएं), एक पहाड़ी पर समुद्री शेर यानी सील का घर (ऊपर दाएं) और कोरमोरेंट चिड़ियों की एक पूरी बस्ती (नीचे बाएं), जहां इंसानी बस्तियों जैसी चहल-पहल थी। ये सभी कभी न भुलाने वाले पल थे।
हम सेरानो के काफी पास तक जहाज से उतर कर जाने वाले थे, पर उससे पहले देखी हमने कोरमोरेंट चिड़िया की बस्ती और समुद्री शेर यानी कि सील की मांद। कोरमोरेंट तो अपने देश में बहुत बार देख रखी थी पर उनकी पहाड़ पर पूरी बस्ती तो पहली बार देखी। क्या चहल पहल थी उस बस्ती में, जैसे कि इंसानों की बस्ती में होती है! वहीं हमारे कप्तान साहब ने हर यात्री को अपने हैरतअंगेज अंदाज में जहाज को घुमा-घुमा कर उस बस्ती को करीब से दिखाया। एक पहाड़ी पर सीलों की मांद तो मेरे लिए अजूबा थी। मैंने सील तो देखी थी पर उनका अनूठा घर पहले कभी नहीं देखा था। बड़ा मजा आया उन्हें देखने में, वे कभी पानी से निकल कर चढ़ते तो कभी वापस फिसलते!
इस सब के बीच आया वह कभी न भुला पाने वाला पल, जब देखा पानी पर इंद्रधनुष। अद्भुत! उसके बाद हमारा जहाज रुका बरनार्डो ओ हिगिंस राष्ट्रीय उद्यान के किनारे, जहां उतरने के बाद कुछ कदम चलने पर ही आप जंगल के अंदर आ जाते हैं। इस पार्क का नाम उस नेता के नाम पर पड़ा, जिसे आज भी बड़े सम्मान से याद किया जाता है जिसने चिली को स्पेन के शासन से मुक्त करवा कर देश की बागडोर संभाली थी। ये चिली का सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र है। खैर यहां आप सिर्फ जहाज और हेलिकॉप्टर से आ सकते हैं। अंदर दो मार्ग बनाए गए हैं द्ग एक छोटा है और दूसरा लम्बा और थोड़ा कठिन, पर दोनों से होकर आप सेरानो ग्लेशियर को बिल्कुल पास से देख सकते हैं। लेकिन वहां भी हवा की गति तय करती है कि आप कहां पहुंचते हैं और कितनी देर ठहरते हैं।
ग्लेशियर घने जंगलों से घिरा था और सामने की ओर दो पहाड़ों के बीच से निकल रहा था और नीचे थी एक झील। वहां से हम गए एक एस्टांसीया पर। पशुपालन के लिए बनाए गए खेत स्पेनिश भाषा में एस्टांसीया कहलाते हैं तो अंग्रेजी में रेंच। इनमें घोड़ों और भेड़ों का पालन तो आज भी होता है पर अब इनका उपयोग पर्यटन के लिए किया जाने लगा है। हमारे दोपहर के खाने का इंतजाम वहीं था। एक बड़े हॉल में हमारे जहाज के यात्रियों के अलावा भी लोग थे। पूरा इंतजाम संभाल रखा था एक ही परिवार के सदस्यों ने। उन्होंने सब अपने हाथों से बनाया और खिलाया। कमाल की फुर्ती और रख रखाव। फिर वापसी का सफर शुरू हुआ। जहाज की खुली छत पर लग रहा था कि पेटागोनिया में तीन दिन तो पलक झपकते ही निकल गए। अगली सुबह फिर साढ़े तीन घंटे कार से सफर कर हम पुंटा एरेनास पहुंचे और वहां से हवाई जहाज से लौटे सेंटियागो क्योंकि अंटार्कटिका की यात्रा डेस्क पर शाम होने तक हमें अपनी उपस्थिति दर्ज करनी थी।