खतरे की जद में शहर की पांच लाख आबादी, आग लगने पर नहीं पहुंच पाती फायर ब्रिगेड
कैंची-छोला, जुमेराती और लखेरापुरा समेत एक दर्जन स्थानों पर दमकलों के जाने का नहीं है रास्ता
Bhopal News: भोपाल। वातावरण में गर्माहट आ गई है। मार्च माह के शुरु होते ही शहर में आग लगने की घंटनाएं बढ़ जाती है। लेकिन शहर में एक दर्जन से अधिक स्थान हैं, जहां दमकलों के पहुंचने का रास्ता नहीं है। ऐसे में यदि यहां आग लग जाए तो सबकुछ जल जाने के बाद भी फायर ब्रिगेड नहीं पहुंच पाती है। इनमें कैंची-छोला, जुमेराती, चौक बाजार, लखेरापुरा, जहांगीराबाद बाजार, बैरागढ़ बाजार और बाग फरहत अफजा समेत अन्य स्थान शामिल हैं। यहां पांच लाख से अधिक आबादी निवास करती है।
राजधानी की सघन बस्तियों के बीच कैंची छोला क्षेत्र की 50 हजार आबादी तीन ओर से रेलवे पटरियों से घिरी है। दो रेलवे फाटक बंद होने और नए बनाए अंडरपास की ऊंचाई कम होने से बड़े वाहनों के निकलने की जगह नहीं है। जिससे बीते दस वर्षों से यहां एक भी नई बोरिंग भी नहीं हो पा रही है। आग जैसी दुर्घटनाओं में फायर ब्रिग्रेड नहीं पहुचने पर लोगों को निजी टैंकर और नाले के पानी से आग बुझानी पड़ती है। तब तक आग से सब कुछ तबाह हो चुका होता है। हालांकि वर्ष 2013 से पहले तक कैंची-छोला पहुंचने के लिए दो रेलवे फाटक का इस्तेमाल होता था। जिसे यहां दो नए रेलवे अंडपास बनने के बाद इन्हें बंद कर दिया गया है। लेकिन इन अंडरपास की ऊंचाई इतनी कम हैं कि वहां से बड़े वाहनों को निकलना मुश्किल है। ऐसे में कैंची-छोला, अटल अयूब नगर, न्यू ब्लाक, श्री रामनगर, आदर्श नगर और माता की मढ़िया समेत अन्य आसपास के क्षेत्र में बड़े वाहनों का प्रवेश बंद हो गया है। अब यहां एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, ट्रक, डीजे बैंड, बाेरिंग मशीन और क्रेन समेत अन्य बड़े वाहनों के जाने का रास्ता नहीं है।
चौक बाजार में लगाए वाटर हाइड्रेंड भी ध्वस्त
चौक बाजार में भी आग लगने के बाद यहां राहत और बचाव के लिए दमकलों के जाने का रास्ता नहीं है। हालांकि यहां बीते तीन वर्ष पहले अग्निसुरक्षा को लेकर वाटर हाइड्रेंड और अंडरग्राउंड होज पाइप बिछाई गई थी। लेकिन इसका काम गुणवत्ता पूर्ण नहीं होने से कुछ वर्षों में ही यह सिस्टम ध्वस्त हो गया। अब ये काम नहीं कर रहे हैं। इसका एक कारण यह भी है कि आग के मामले में अग्निशमन शाखा के कर्मचारियों को गहन जानकारी होने के बाद यहां होज पाइप और वाटर हाइड्रेंड लगाने की जिम्मेदारी जलकार्य शाखा को दिया गया था। इनके पास फायर से संबंधित मामलों के विशेष नहीं हैं।
आग के लिए संवेदनशील है पुराना भोपाल
आग जैसी घटनाओं के मामले में पुराने भाेपाल के अधिकतर गली-मोहल्ले संवेदनशील हैं। पुरानी बसाहट होने से यहां योजनाबद्ध विकास नहीं हो पाया है। लेकिन लोगों ने यहां चार से छह फीट की गलियों में बहुमंजिला इमारतें तान दी हैं। जिससे बाजार में खरीदारों के वाहन खड़े होने से बड़े वाहनों के जाने का रास्ता नहीं बचता है। इनका भवनों का हर वर्ष फायर आडिट भी नहीं होता है।
इनका कहना
पुराने शहर में गलियां संकरी होने से यहां दमकलों के जाने का रास्ता नहीं है। जिससे इन स्थानों पर आग बुझाना कठिन होता है। हालांकि वाटर टैंकर और फायर फाइटिंग बाइक से अग्नि दुर्घटनाओं में राहत और बचाव किया जाता है।
– रामेश्वर नील, प्रभारी अग्निशमन शाखा नगर निगम