बच्चे को गर्भ में ही सुनाई जाएगी गीता-रामायण …!

RSS से जुड़े संगठन ने शुरू किया गर्भ संस्कार अभियान, ताकि बच्चे भारतीय संस्कृति से जुड़ें …

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ी शाखा संवर्धिनी न्यास ने बच्चों को मां के गर्भ में ही संस्कार देने के लिए ‘गर्भ संस्कार’ अभियान शुरू किया है। इसमें गर्भवती महिलाओं को गीता, रामायण, शिवाजी महाराज और स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन और संघर्ष के बारे में जानकारी दी जाएगी, ताकि गर्भ में पल रहे बच्चे भारतीय संस्कृति के बारे में सीख सकें।

रविवार को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में संवर्धिनी न्यास के एक कार्यक्रम में इसकी जानकारी दी गई, इस दौरान AIIMS सहित 12 राज्यों के 70-80 डॉक्टर भी मौजूद रहे। JNU की कुलपति शांतिश्री धूलिपुडी को कार्यक्रम का चीफ गेस्ट बनाया गया था, हालांकि वे नहीं पहुंचीं।

इस अभियान में महिला रोग विशेषज्ञों, आयुर्वेदिक डॉक्टरों और योग प्रशिक्षकों को शामिल किया गया है। वे गर्भवती महिलाओं के पास जाकर उन्हें गीता और रामायण पढ़ने और योग करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। ये महिलाओं के पास जाकर उन्हें बताएंगी कि वो अपने बच्चे को कैसे गर्भ से ही भारतीय संस्कृति के बारे में सीख दे सकती हैं।

यह पोस्टर गर्भ संस्कार वर्कशॉप के प्रोग्राम का है, जो 5 मार्च को JNU में की गई।
यह पोस्टर गर्भ संस्कार वर्कशॉप के प्रोग्राम का है, जो 5 मार्च को JNU में की गई।

गर्भ में 500 शब्द सीख सकता है बच्चा
राष्ट्रीय आयोजन सचिव माधुरी मराठे ने कहा कि महिलाओं को प्रेग्नेंसी में ही बच्चों को संस्कार देने का काम शुरू कर देना चाहिए। उन्होंने बताया कि मां के गर्भ में एक बच्चा 500 शब्द सीख सकता है। यह अभियान महिला की प्रेग्नेंसी से शुरू होगा, जो बच्चे की उम्र दो साल होने तक चलेगा। इस अभियान के जरिए 1000 महिलाओं तक पहुंचने की योजना है।

माधुरी मराठे ने जीजा बाई का उदाहरण देकर बताया कि कैसे उन्होंने एक लीडर को जन्म देने के लिए प्रार्थना की थी। आज भारत में माओं को जीजा बाई की तरह ही प्रार्थना करनी चाहिए, जिससे बच्चों में हिंदू शासकों के गुण आ सकें।

AIIMS के एनएमआर विभाग की प्रमुख डॉ. रामा जयसुंदर ने कहा कि विकलांग और ऑटिज्म के साथ पैदा होने वाले बच्चों की संख्या बढ़ रही है। ये उन पैरेंट्स के साथ होता है, जो आर्थिक रूप से मजबूत होते हैं और आरामदायक जिंदगी जीते हैं। जब कोई कपल बच्चे के बारे में सोचता है, तभी गर्भ संस्कार कार्यक्रम शुरू हो जाता है। उन्होंने बताया कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को संस्कृत पढ़ना चाहिए।

गर्भ संस्कार से बदला जा सकता है बच्चे का DNA
जयसुंदर ने दावा किया कि सही ‘गर्भ संस्कार’ करने पर गर्भ में बच्चे का DNA भी बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश में अपराध बहुत ज्यादा हैं। आजकल खबरें आती हैं कि बच्चे अपने माता-पिता की हत्या कर रहे हैं। रेप के मामले बढ़ रहे हैं। अगर महिलाएं राम जैसे बच्चों को जन्म देती हैं तो उन्हें खुशी होगी।

MP में 2014 में शुरू हुई ऐसी पहल
अक्‍टूबर 2014 मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ऐसी ही एक पहल शुरू हुई थी। भोपाल के गर्भ संस्‍कार तपोवन केंद्र का दावा था कि यहां हिंदू संस्कारों और गर्भ संवाद के जरिए गर्भवती महिलाओं की स्वस्थ्य बच्चे को जन्म देने में मदद की जाती है। यहां गर्भवती महिलाओं के लिए पूरा कोर्स नौ महीने का है।

जिसमें महिलाओं को भारतीय संस्‍कार, गर्भधारण से पहले की तैयारी, ध्‍यान, मंत्र, प्रार्थना, गर्भ संवाद के बारे में बताया जाता है। इस केंद्र की प्रेरणा गुजरात के बाल विश्‍वविद्यालय से ली गई थी। गुजरात में भी ऐसी ही एक पहल शुरू की गई थी, जिसमें अच्छे नतीजे देखने को मिले थे।

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