मध्यप्रदेश में आप का चुनावी बिगुल …!

भोपाल में बना वॉर रूम, 24 घंटे काम कर रही IT-चुनाव मैनेजमेंट टीम; हर सीट के लिए हो रहा अलग सर्वे …

आम आदमी पार्टी (आप) गुजरात की तरह मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों में भी चौंकाना चाहती है। उसने बता दिया है कि गुजरात से लगे मध्यप्रदेश में भी उसे हल्के से लेना कांग्रेस और भाजपा दोनों को भारी पड़ सकता है। आप ने मध्यप्रदेश में जड़ें जमाने के लिए भोपाल में एक सेंट्रल वॉर रूम शुरू कर दिया है। आईटी और चुनावी मैनेजमेंट से जुड़े कई लोगों की टीम यहां 24 घंटे काम कर रही है।

मध्यप्रदेश में अपनी जमीन तलाशने के लिए आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल आज (14 मार्च) भोपाल के भेल स्थित दशहरा मैदान पर जनसभा करेंगे। इस जनसभा में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी भाग लेंगे। मुख्य रूप से इस सभा में प्रदेशभर के 15 हजार पार्टी वर्कर्स को बुलाया गया है। मध्यप्रदेश की जनता को लुभाने के लिए आम आदमी पार्टी दिल्ली और पंजाब में किए काम बताएगी। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप से पार्टी परेशान है, बावजूद इसके पार्टी ने मध्यप्रदेश में अपनी जमीन मजबूत करने की तैयारी कर ली है।

2018 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) 220 सीटों पर लड़ी थी और सभी सीटों पर इसके प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। इस बार आप के रणनीतिकारों ने चुनावी माहौल बनने से महीनों पहले ही वॉर रूम बना लिया है। विधानसभा की हर सीट पर संभावनाओं और चुनौतियों पर सर्वे हो रहा है। पार्टी नेताओं ने इस वॉर रूम का पता बताने से इनकार कर दिया है, लेकिन इतना जरूर बताया है कि आप के राष्ट्रीय महासचिव और पंजाब से राज्यसभा सांसद संदीप पाठक इस वॉर रूम को लीड कर रहे हैं।

यह वॉर रूम मैदान में काम रही सर्वे टीम को बैकअप और संसाधन मुहैया कराता है। उनसे मिले डेटा की समीक्षा कर यहां केंद्रीय नेतृत्व के लिए रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इसने एक वॉलंटियर मैकेनिज्म बनाया है। उनका रजिस्ट्रेशन किया है। विधानसभावार मुद्दों की लिस्टिंग की है। संभावित उम्मीदवारों के बारे में पतासाजी की जा रही है। यही टीम दूसरे राजनीतिक दलों से आप में शामिल होने के इच्छुक लोगों की पहचान और वेरिफिकेशन करके नेतृत्व को पूरी जानकारी दे रही है।

66 हजार बूथों तक विस्तार करेंगे

आप की कोशिश प्रदेश के 66 हजार बूथों तक संगठन विस्तार करने की है। प्रत्येक बूथ पर पांच सक्रिय कार्यकर्ताओं की टीम तैयार की जा रही है। यह चुनावी प्रबंधन में महत्वपूर्ण रोल निभाएगी। फिलहाल नगरीय निकाय चुनावों में पार्टी के एक महापौर, 52 पार्षद हैं। पंचायत चुनाव में भी 10 जिला पंचायत सदस्य, 27 जनपद पंचायत सदस्य और 118 सरपंच आप के समर्थन से चुनाव जीतकर आ चुके हैं। पार्टी को उम्मीद है कि भाजपा सरकार से नाराज लोग, दल बदल की वजह से सरकार गवां चुकी कांग्रेस की बजाय आप पर अधिक भरोसा करेंगे।

ग्वालियर, इंदौर, भोपाल, जबलपुर और रीवा 5 जोन में बांटा प्रदेश

आप ने चुनावी रणनीति के हिसाब से मध्यप्रदेश को पांच जोन में बांटा है। इसमें ग्वालियर, इंदौर, भोपाल, जबलपुर और रीवा आते हैं। सांसद संदीप पाठक ने हर जोन में बैठक कर ली है। उन कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया है, जिन्होंने एक हजार से अधिक सदस्य जोड़े हैं। इस टीम ने गुजरात में तीन महीने के भीतर संगठन तैयार करने से लेकर प्रत्याशी चयन और चुनाव अभियान तक चला लिया था, वहां पांच सीटों पर जीत मिली। 33 सीट पर उनके प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे। 41 लाख वोट मिले जो कुल पड़े वोटाें का करीब 13% है। इसी तर्ज पर यहां भी तैयारी चल रही है। लक्ष्य 25% वोट शेयर पाने की है। अगस्त के आखिरी सप्ताह तक सभी प्रत्याशी तय कर लिए जाने की बात हो रही है।

ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्र रणनीति की कमजोर कड़ी

पार्टी नेताओं का कहना है कि शहरी क्षेत्रों में संगठन काफी मजबूत हो चुका है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी तेजी से लोग जुड़ रहे हैं, लेकिन मध्य प्रदेश का ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्र जीत के लिहाज से अब भी कमजोर कड़ी बना हुआ है। बीएस जून सहित मध्य प्रदेश आप के कई शीर्ष नेताओं का कहना है इस क्षेत्र में नई रणनीति और संवाद शैली के साथ पहुंचने की कोशिश हो रही है। उनके स्थानीय मुद्दों की पड़ताल कर उन्हें आने वाले दिनों में जोर-शोर से उठाया जाएगा। मध्य प्रदेश की 82 सीटें अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए आरक्षित हैं। यहां जिताऊ उम्मीदवार की तलाश भी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरा है।

मध्य प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम और संविदा कर्मियों का मुद्दा

आप नेताओं का कहना है, 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ईमानदार सरकार का संदेश पूरी ताकत से रखेगी। इसमें बेटर गवर्नेंस, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पेयजल, बेरोजगारी और महिला सुरक्षा जैसे कोर इश्यू रहेंगे। इन पर दिल्ली और पंजाब में क्या काम हुआ है उसका रिकॉर्ड भी जनता के सामने रखा जाएगा। उसके अलावा मध्य प्रदेश के स्थानीय मुद्दों को भी प्राथमिकता में रखा जाएगा। उसमें ओल्ड पेंशन स्कीम, संविदा कर्मियों का नियमितिकरण, मिनिमम वेजेस और किसानों का मुद्दा मुख्य होगा। बीएस जून का कहना है, जनता पिछली सरकारों से हताश है, उन्हें उम्मीद है कि वह आप पर भरोसा करेगी।

ऐसी होने वाली है आप की चुनावी रणनीति

प्रबंधन के स्तर पर:

  • हर बूथ पर पांच सक्रिय और प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं की तैनाती।
  • इनके जरिए बूथ के प्रत्येक वोटर की सामाजिक-राजनीतिक कुंडली बन रही है।
  • इसी के आधार पर भाजपा सरकार से असंतुष्ट लोगों को सीधे साधेगा पार्टी नेतृत्व।

संपर्क के स्तर पर:

  • अगले कुछ महीनों तक प्रदेश के सभी प्रमुख सामाजिक, आर्थिक और कर्मचारी संगठनों से सीधा संवाद।
  • पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रदेश, संभाग, जिला और विधानसभा क्षेत्रवार ऐसे संगठनों के साथ बैठक कर अपनी बात रखेंगे।
  • कर्मचारियों, किसानों, आम शहरी के चिन्हित मुद्दों पर आंदोलन खड़ा करने की कोशिश होगी। ऐसे आंदोलनों में दिल्ली-पंजाब के नेता शामिल हो सकते हैं।

प्रचार के स्तर पर:

  • अगले कुछ महीनों में सर्वे रिपोर्ट आ जाएगी, उसके बाद पार्टी प्रचार अभियान के लिए अलग से रणनीति बनाएगी।
  • बड़ा जोर नुक्कड़ सभाओं पर होगा। चुनाव नजदीक आने पर बड़े शहरों में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बड़ी सभाएं और रोड शो होंगे।
  • भाजपा-कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं को खुद से जोड़कर पार्टी बड़े जनाधार का दावा करेगी। मतदाताओं को दिल्ली सरकार का मॉडल दिखाया जाएगा।

पिछले चुनाव में सिंगरौली सबसे मजबूत था, अभी सबक भी

2018 के विधानसभा चुनाव में आप ने प्रदेश की 220 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किये। बड़ी जीत का दावा किया, लेकिन नतीजे निराशाजनक रहे। विंध्य क्षेत्र की सिंगरौली सीट को छोड़कर सभी जगह आप के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। आप ने उस चुनाव में कुल दो लाख 53 हजार 106 वोट हासिल किये थे। उसमें से अकेले सिंगरौली सीट पर 32 हजार 176 वोट थे। यहां से चुनाव जीते भाजपा के रामलालू वैश्य को 36 हजार 706 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार रेणु शाह को 32 हजार 980 वोट मिले।

बाद में हुए नगरीय निकाय चुनाव में आप की विधानसभा उम्मीदवार रहीं रानी अग्रवाल मेयर का चुनाव जीतने में कामयाब रहीं। पार्टी 2023 के चुनाव में यहां खुद को सबसे मजबूत मान रही है। लेकिन एक सबक भी है। रानी अग्रवाल भाजपा से आप में आई हैं। ऐसे में पार्टी भाजपा-कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं पर दांव लगाने पर जोर देगी।

चुनावी संभावनाओं के लिहाज से फोकस बदल भी सकता है

इस साल पांच राज्यों में चुनाव होने हैं। इसमें मध्यप्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़, राजस्थान और कर्नाटक में भी आप चुनाव में उतरने की घोषणा कर चुकी है। अरविंद केजरीवाल 5 मार्च को छत्तीसगढ़ के रायपुर में जनसभा कर अभियान का आगाज कर चुके हैं। 13 मार्च यानी कल वे जयपुर में थे। मंगलवार को भोपाल में शक्ति प्रदर्शन होना है। इस जनसभा में पार्टी 15 हजार लोगों के आने की उम्मीद कर रही है। पार्टी सूत्रों का कहना है, अगले कुछ महीनों में चुनावी संभावनाओं को देखते हुए पार्टी फोकस बदल भी सकती है। ऐसा हिमाचल प्रदेश और गुजरात चुनाव के दौरान दिख चुका है। तब पार्टी ने हिमाचल से फोकस हटाकर गुजरात पर केंद्रित कर लिया था, वहां नतीजे भी दिखे।

विधायक और चुनाव प्रभारी बीएस जून कहते हैं उसकी रणनीतिक वजह थी। हिमाचल के प्रभारी सत्येंद्र जैन को CBI ने गिरफ्तार कर लिया था। उसकी वजह से वहां का अभियान प्रभावित हुआ। ऐसें में पार्टी ने अपना सारा ध्यान गुजरात पर लगा दिया जहां हमारे पांच विधायक जीते। इस साल चुनाव वाले राज्यों में संगठन मजबूत है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में हमने निकाय चुनाव भी लड़े थे। इसमें से मध्य प्रदेश में सीट मिली है। इसलिए यहां विधानसभा में भी ठीकठाक संभावना दिख रही है।

ऐसा है मध्यप्रदेश का चुनावी परिदृश्य

राजनीतिक लिहाज से मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं। इसमें से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति और 35 सीटें अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित हैं। 10 संभागों में बंटे 52 जिलों को राजनीतिक-भौगोलिक तौर पर पांच क्षेत्रों में बांटा जाता है। यह विंध्य क्षेत्र, महाकौशल, बुंदेलखंड, मध्य क्षेत्र और मालवा-निमाड़ हैं । संख्या की दृष्टि से मालवा-निमाड़ क्षेत्र में विधानसभा की 66 सीटें आती हैं, उसमें से अधिकतर आरक्षित सीटें हैं। इसकी राजनीतिक दिशा इंदौर से तय होती है।

महाकौशल दूसरा बड़ा क्षेत्र है, जिसमें 38 सीटें हैं और यह जबलपुर-छिंदवाड़ा से प्रभावित होता है। ग्वालियर-चंबल का क्षेत्र, इसमें विधानसभा की 34 सीटें हैं। मध्य क्षेत्र भोपाल और उसके आसपास की 32 सीटों से बना है। वहीं विंध्य क्षेत्र उत्तर प्रदेश-छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती जिलों की 31 सीटें आती हैं। रीवा इसका राजनीतिक गढ़ है।

तब MP में आप नई पार्टी थी अब हमारे पास दिखाने के लिए काम है कि हमने क्या किया

मध्य प्रदेश में आप के चुनाव प्रभारी बीएस जून का कहना है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में हमारी पार्टी एमपी के लोगों के लिए नई थी। हमने दिल्ली में जो काम शुरू किए थे, उसके नतीजे पूरी तरह से सामने नहीं आए थे। यही कारण था कि हमारे पास लोगों को बताने के लिए तब कुछ नहीं था। बीते पांच साल में आप का पापुलैरिटी ग्राफ तेजी से ऊपर उठा है। दिल्ली के बाद पंजाब में हमारी सरकार है। गोवा और गुजरात में हमारे विधायक हैं। गुजरात में अच्छे नंबर आने के बाद हम क्षेत्रीय पार्टी से एक राष्ट्रीय पार्टी बन चुके हैं। मध्यप्रदेश के लोगों को बताने के लिए हमारे पास दिल्ली और पंजाब में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए काम का डाटा है। इसी बूते पर हम मध्यप्रदेश की 230 सीटों पर लोगों से वोट मांगने जाएंगे।

दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन और मनीष सिसौदिया की गिरफ्तारी और भ्रष्टाचार के आरोपों पर बीएस जून का कहना है, ये आरोप तो फर्जी हैं। जिस एक्साइज घोटाले की बात हो रही है, उसमें मनीष सिसौदिया से एक पैसे की रिकवरी नहीं हुई, न ही कोई अघोषित प्रॉपर्टी मिली। सीबीआई और ईडी दोनों केंद्र के इशारों पर काम कर रहे हैं। दोनों एजेंसियां मनीष को फंसाना चाहती है।

लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता का भी माहौल

चुनावी अभियान के दौरान में आप 2024 के संसदीय चुनाव में विपक्षी एकता की धुरी बनने की भी कोशिश में दिख रही है। बीएस जून का कहना है, विपक्ष के नेताओं पर केंद्रीय एजेंसियों की कार्यवाही का मकसद ही विपक्षी एकता काे खत्म करना है। उनकी कोशिश है कि 2024 के चुनाव में विपक्ष इकट्‌ठा न हो पाए। कल-परसो लालू जी के यहां छापा पड़ा। उसके पहले तेलंगाना के सीएम की बेटी को बुलाया था। इन कार्रवाइयों से केवल विपक्ष को टारगेट किया जा रहा है। उसका मकसद है कि ये लोग यूनाइट न हो पाएं और वोटों का बंटवारा हो जाए।

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