सरकारी जमीनों को खुर्दबुर्द करने के खेल से बचाएं

सरकारी जमीनों को माफिया की गिद्ध दृष्टि बचाने के बजाय प्रमुख स्थानों की बेशकीमती भूमि को लेकर हो रहा हेरफेर …

बे शकीमती जमीन पर माफिया की गिद्ध दृष्टि हमेशा लगी रहती है, लेकिन हैरानी की बात है कि राज्य में जमीन माफिया को फायदा पहुंचाने के लिए हेरफेर का खेल सरकारी स्तर पर रचा जा रहा है। सरकारी जमीन के प्रबंधन के बहाने ऐसा बड़े स्तर पर हो रहा है। कृषि कॉलेज की ढाई सौ एकड़ से अधिक जमीन, जो शहर के ईको सिस्टम के लिए जरूरी है, उसके हेरफेर का मामला इंदौर देख चुका है। सभी को याद है कि विद्यार्थियों सहित शहर के बुद्धिजीवियों के विरोध प्रदर्शन के बाद ही सरकार को इस प्रस्ताव से हाथ खींचने पड़े थे। इसी से मिलती-जुलती साजिश नए नियमों के तहत शुरू हो गई है। यह सब लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग के पेम पोर्टल पर बाकायदा जमीनों की गाइड लाइन या कच्ची जमीन के आधार पर रिजर्व प्राइज पर बोली लगवाकर किया जा रहा है। कहने को तीन गुना तक बोली आने पर जमीन बेची जा रही है, लेकिन वास्तविकता में यह सरकार के लिए नुकसान का सौदा है, क्योंकि इस जमीन का वास्तविक बाजार मूल्य इससे कई गुना ज्यादा है। चौंकाने वाली बात यह है कि विभाग को सरकारी अनुपयोगी जमीनें बेचना है। इंदौर में पेम पोर्टल पर डालने योग्य जमीन जयरामपुरस्थित खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की थी। अन्य जमीनें तो सरकारी खसरे की हैं, जिनका उपयोग भविष्य में नागरिक सुविधाएं विकसित करने के लिए हो सकता है। औने-पौने दाम में जमीन देने का एक उदाहरण तलावली चांदा की जमीन है। गाइड लाइन के आधार पर कीमत 250 रुपए वर्गफुट आंकी गई, बोली आई 1200 रुपए, जबकि इस क्षेत्र में कच्ची जमीन का ही बाजार मूल्य 2000 रुपए से ज्यादा है। कमोबेश यही हाल पेम पोर्टल पर ब्रिकी के लिए डाली गई सभी जमीनों का है। हैरानी की बात यह है कि कैबिनेट से फैसला होकर प्रशासन के पास रजिस्ट्री करवाने की जानकारी आती है। सरकार का लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग यह कार्य कर रहा है। सरकार को अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए और दूरगामी सोच के साथ देखना चाहिए कि जिन जमीनों को अनुपयोगी घोषित किया जा रहा है, वे वास्तव में अनुपयोगी हैं भी कि नहीं। क्योंकि इन्हें बेचने के बाद भविष्य में नागरिक सुविधाएं विकसित करने के लिए ये उसके पास उपलब्ध नहीं होंगी। इस दृष्टिकोण से पुख्ता होने के बाद ही इन्हें बेचा जाए, लेकिन इसमें मौजूदा बाजार मूल्य के बराबर इनकी कीमत आंकी जाए। इन्हें औनेे-पौने दामों पर बेचकर भारी भरकम नुकसान न उठाया जाए।

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