भोपाल अगर कोई स्कूल अभिभावकों पर एक निश्चित दुकान से कापी-किताब खरीदने या गणवेश लेने का दबाव डालता है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यह आदेश जिला प्रशासन ने 20 फरवरी को जारी किए थे, लेकिन निजी स्कूल इस आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं। निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों को दुकानों का नाम बताया जा रहा है। ऐसे में राजधानी में कुछ बड़ी दुकानों पर अभिभावकों की भीड़ किताबें और यूनिफार्म खरीदने के लिए जुट रही है। दुकान पर पहुंचने पर स्कूल और कक्षा का नाम बताए जाने पर उन्हें किताबों का पूरा सेट दिया जा रहा है। अगर अभिभावक स्कूल द्वारा बताए गए दुकान पर नहीं जा रहे हैं तो वहां किताबें नहीं मिल रही हैं। इसके बावजूद जिला प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
जिला प्रशासन ने यह भी आदेश दिए थे कि सीबीएसई स्कूल किताबों की सूची पोर्टल पर अपलोड करेंगे, लेकिन सिर्फ 60 प्रतिशत स्कूलों ने ही सार्वजनिक की है। पालक महासंघ का कहना है कि इस साल जिला प्रशासन ने आदेश जारी करने में देरी की। हर साल अभिभावकों को परेशान होना पड़ता है, लेकिन कार्रवाई नहीं होती है।
छोटे किताब व्यापारियों ने दी भूख हड़ताल की चेतावनी
छोटे किताब व्यापारियों ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर मांग की है कि सभी निजी स्कूलों की सभी कक्षाओं में एनसीईआरटी की किताबें लागू की जाएं, ताकि हर साल अभिभावकों को मंहगी किताबें खरीदनी ना पड़े। यह भी मांग की है कि हर साल निजी स्कूल दिसंबर व जनवरी में ही किताबों की सूची सार्वजनिक कर दें, ताकि जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से निरीक्षण का कार्य जल्द से जल्द पूरा कर कार्रवाई की जा सके। अभी किताबें बड़ी दुकानों में ही मिल रही है। सभी स्कूलों से बड़े दुकानदारों की साठ-गांठ है। छोटे व्यापारी निराश हैं। हमलोगों की रोजी-रोटी खत्म हो चुकी है। अगर हमारी सुनवाई होती है तो इसके खिलाफ भूख-हड़ताल करेंगे।
जिला प्रशासन को दिसंबर या जनवरी में आदेश जारी करना था। इससे तो साफ है कि इस बार भी स्कूल और बड़े बुक डिपो के बीच साठ-गांठ का खामियाजा अभिभावकों को भुगतना पड़ेगा। स्कूल सूची सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं।
– एमएस खान, अध्यक्ष, छोटे किताब व्यापारी संघ
जिला प्रशासन ने किताबों की सूची वेबसाइट पर अपलोड करने के निर्देश देर से दिए हैं। इसके बावजूद भी अभी तक करीब 40 प्रतिशत स्कूलों ने सूची सार्वजनिक नहीं की है। इससे अभिभावकों को महंगी किताबें इस साल भी खरीदनी पड़ रही हैं। इस संबंध में जिला प्रशासन को ज्ञापन देंगे।
-प्रबोध पंड्या, महासचिव, पालक महासंघ
करीब 60 प्रतिशत स्कूलों ने किताबों की सूची अपलोड की है। सभी स्कूलों का निरीक्षण कर कमियां पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।
-नितिन सक्सेना, जिला शिक्षा अधिकारी, भोपाल