हद है!183 थानों में महिला कर्मियों के लिए टॉयलेट नहीं !

हर थाने में महिला कर्मचारी फिर भी नहीं हैं लेडीज टॉयलेट …..

ड्यूटी बनी आफत: प्रदेश के 183 थाने ऐसे, जहां महिलाकर्मियों के लिए टॉयलेट तक नहीं …

भोपाल. देश के हर राज्य में महिला पुलिसकर्मियों की अधिक से अधिक भर्ती के लिए गृह मंत्रालय 2013 से लगातार राज्यों को पत्र लिख रहा है। कुल पुलिस बल में 33% महिलाओं की सहभागिता न होने पर पुलिस मॉर्डनाइजेशन के लिए दिए जाने वाली केंद्रीय राशि को रोके जाने की भी बात कही है, लेकिन मप्र में महिला पुलिसकर्मियों की मौजूदगी अभी 7.3% पर अटकी है, जबकि प्रदेश में पुलिस बल 1.26 लाख है। देश में महिला पुलिसकर्मियों का औसत 11.75 है। इधर, मौजूदा महिला पुलिसकर्मियों को भी थानों में ही बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। हालात ये हैं कि मप्र के 183 थानों में महिलाओं के लिए अलग से टॉयलेट नहीं हैं। 31 थानों में जीर्ण-शीर्ण हो चुके हैं। सबसे बुरी स्थिति जीआरपी थानों की है। प्रदेश में 3 सेक्शन यानी भोपाल, इंदौर, जबलपुर में 28 जीआरपी थाने हैं, इनमें से 21 में महिलाओं के लिए टॉयलेट नहीं हैं। बता दें, मप्र में 1150 थाने संचालित हो रहे हैं।

पुलिस में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण होने के बाद से जिले के तकरीबन सभी थानों में महिला कर्मचारियों को तैनात किया गया है। इन कर्मचारियों में महिल आरक्षक से लेकर एसआई तक हैं, लेकिन इन महिला कर्मचारियों के लिए थानों में अलग से टॉयलेट नहीं हैं। ऐसे में महिला कर्मचारियों को थाने पर ड्यूटी के लिए खासा परेशान होना पड़ता है। बावजूद इसके उनकी परेशानी के लिए न तो पुलिस अफसरों ने ध्यान दिया है ओर न ही थाना प्रभारियों ने।

उल्लेखनीय है कि सरकार खुले में शौच को रोकने के लिए टॉयलेट बनाने के लिए योजना चला रही है और संभव प्रयास कर रही है कि हर घर में व हर दफ्तर में टॉयलेट बनाए जाएं, लेकिन जिले के सभी 25 थानों में टॉयलेट तो हैं, लेकिन महिलाओं के लिए नहीं। केवल पुरुषों के लिए ही हैं

इंदौर के आधे से अधिक थाने सुविधाहीन

इंदौर, उज्जैन, भोपाल में ऐसे थाने ज्यादा हैं, जहां महिलाओं के लिए अलग टॉयलेट नहीं हैं। इंदौर के 48 में सबसे अधिक 26 थाने, उज्जैन के 32 थानों में से 10 में तो भोपाल के 44 में 9 थानों में अलग टॉयलेट नहीं हैं। झाबुआ, देवास, आगर, जबलपुर, टीकमगढ़, छतरपुर, निवाड़ी, मंडला और हरदा जिले के सभी थानों में टॉयलेट उपलब्ध हैं। मुरैना, श्योपुर, दतिया, बुरहानपुर, आलीराजपुर, मंदसौर, रतलाम, नीमच, सतना, सीधी, उमरिया जिले के 1-1 थानों में महिलाओं के लिए अलग से टॉयलेट नहीं हैं। भिंड, नरसिंहपुर, कटनी, सागर, पन्ना, राजगढ़, और बालाघाट के दो-दो थानों में महिलाओं के लिए अलग से टॉयलेट नहीं हैं।

31 तो उपयोग लायक नहीं

प्रदेश में 31 थानों में महिला पुलिसकर्मियों के लिए अलग से टॉयलेट की व्यवस्था तो है, पर जीर्ण-शीर्ण होने से ये उपयोग लायक नहीं हैं। गुना जिले में सबसे अधिक 5, भोपाल में ऐसे थानो की संख्या 4 है। आलीराजपुर, रतलाम, टीकमगढ़ जिले में 3-3 तो भिंड, उज्जैन, देवास, नरसिंहपुर में 2-2 थानों में टॉयलेट उपयोग लायक नहीं हैं। इंदौर, खंडवा, शाजापुर, शहडोल, इंदौर (जीआरपी) के 1-1 थानों में यही स्थिति है।

सुविधाविहीन थानों की जिलावार स्थिति

   जिला थाने 0 टॉयलेट जर्जर

इंदौर                   48  26  01

भोपाल                44  09  04

ग्वालियर             41  06  00

भोपाल (रेल)        10  07  00

इंदौर (रेल)          10  06  01

जबलपुर (रेल)    08  08  00

विदिशा             24  08  00

रायसेन             24  05  00

अशोक नगर     15  04  00

नर्मदापुरम       19  04  00

गुना               19  03  05

सीहोर           19  03  00

इंदौर-भोपाल के इन थानों में सुविधा नहीं

भोपाल के अशोकागार्डन, कटारा हिल्स, कोतवाली, निशातपुरा, छोला मंदिर, बागसेवनिया, बिलखिरिया, नजीराबाद, हबीबगंज थाने में टॉयलेट नहीं हैं। कमलानगर, स्टेशन बजरिया, अयोध्यानगर व यातायात थाने का टॉयलेट जीर्ण-शीर्ण हैं।

इंदौर के सदर बाजार, राऊ, राजेंद्र नगर, परदेशीपुरा, एमआइजी समेत 26 थानों में टॉयलेट नहीं हैं।

 

हर थाने में महिला कर्मचारी फिर भी नहीं हैं लेडीज टॉयलेट …..

पुलिस में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण होने के बाद से जिले के तकरीबन सभी थानों में महिला कर्मचारियों को तैनात किया गया है …

Mon, 20 Nov 2017
……। पुलिस में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण होने के बाद से जिले के तकरीबन सभी थानों में महिला कर्मचारियों को तैनात किया गया है। इन कर्मचारियों में महिल आरक्षक से लेकर एसआई तक हैं, लेकिन इन महिला कर्मचारियों के लिए थानों में अलग से टॉयलेट नहीं हैं। ऐसे में महिला कर्मचारियों को थाने पर ड्यूटी के लिए खासा परेशान होना पड़ता है। बावजूद इसके उनकी परेशानी के लिए न तो पुलिस अफसरों ने ध्यान दिया है ओर न ही थाना प्रभारियों ने।

उल्लेखनीय है कि सरकार खुले में शौच को रोकने के लिए टॉयलेट बनाने के लिए योजना चला रही है और संभव प्रयास कर रही है कि हर घर में व हर दफ्तर में टॉयलेट बनाए जाएं, लेकिन जिले के सभी 25 थानों में टॉयलेट तो हैं, लेकिन महिलाओं के लिए नहीं। केवल पुरुषों के लिए ही हैं।

इसलिए है समस्या

जिले में तकरीबन सभी थानों के भवन काफी पुराने हैं। भवन उस समय के हैं, जब पुलिस बल में महिलाओं की संख्या न के बराबर हुआ करती थी। ऐसे में शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के थानों के भवनों में महिलाओं की जरूरत के मुताबिक टॉयलेट बनवाए ही नहीं गए। केवल पुरुष कर्मियों के लिए ही टॉयलेट बनवाए गए हैं। अब जब पुलिस बल में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण है और तकरीबन हर थाने पर महिला एसआई से लेकर आरक्षक पदस्थ हैं तो भी थानों में टॉयलेट बनवाने पर सरकार व अफसरों का ध्यान नहीं गया।

कैदियों के लिए हवालात में ही टॉयलेट

थानों के भवनों में पुलिस कर्मियों के लिए टॉयलेट की व्यवस्था है। यहां तक कि कई थाने जिनके भवन नए बने हैं, उनमें कैदियों को रखने के लिए बनाई गई हवालातों में भी टॉयलेट बनाया गया है, लेकिन महिलाओं की समस्याओं को दूर करने के लिए टॉयलेट नहीं बनाया गया।

शहरी व कस्बाई क्षेत्र के थानों में सबसे अधिक समस्या

मुरैना शहर के तीन थाने शहर कोतवाली, सिविल लाइन व स्टेशन रोड थाने हैं। इसके अलावा जौरा, कैलारस, सबलगढ़, अंबाह पोरसा कस्बाई थानें हैं। इन थानों में महिला पुलिस कर्मियों की संख्या भी अधिक है। साथ ही थानों में महिला फरियादी आदि भी आते हैं, लेकिन टॉयलेट न होने से महिलाओं को परेशानी उठानी पड़ती है।

यह करना पड़ता है महिला कर्मचारियों को

महिला कर्मचारियों को टॉयलेट के लिए थानों के आसपास बने पुलिस कर्मियों के आवास पर जाना पड़ता है या फिर अपने आवास पर ही जाना पड़ता है। अन्यथा उन्हें संयम ही रखना पड़ता है।

थाना प्रभारियों के कक्षों के होते हैं रेनोवेशन, नहीं बनते टॉयलेट

जिले के थानों में खासबात यह है कि यहां पर तकरीबन हर थाना प्रभारी बदलता है तो वह अपने कक्ष का रेनोवेशन कराता है। यानी कमरे में नव निर्माण से लेकर सजावट होती है, लेकिन लेडीज टॉयलेट कोई भी थाना प्रभारी नहीं कराता।

मामला कोर्ट में जाने के बाद अफसर हुए सक्रिय

हाईकोर्ट ने थानों में टॉयलेट बनवाने के लिए सक्रिय हुआ है। हालांकि अभी किसी भी थाने में लेडीज टॉयलेट नहीं बने हैं, लेकिन अब पुलिस जिला पंचायत के द्वारा हर थाने में लेडीज टॉयलेट बनवाने का प्रयास कर रहा है।

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