इंदौर – आइटी इंडस्ट्री में अब कंपनियां मांग रहीं सायबर सिक्योरिटी !

आइटी इंडस्ट्री में अब कंपनियां मांग रहीं सायबर सिक्योरिटी, क्लाउड, डेटा साइंस व एआइएमएल जैसी विशेषज्ञता
IT Sector Demand: अब प्लेन कंप्यूटर साइंस से काम नहीं चलेगा, प्लेसमेंट प्रक्रिया के पहले ही कंपनियां कालेजों को बता रहीं अपनी जरूरत।

इंदौर। देश-दुनिया में आइटी क्षेत्र में तेजी से टेक्नोलाजी बदल रही है। इसका असर इंदौर में होने वाली पढ़ाई पर भी देखने को मिल रहा है। आइटी कंपनियां अब केवल कंप्यूटर साइंस में बीई और बीटेक नहीं बल्कि इसके साथ सायबर सिक्योरिटी, क्लाउड, डेटा साइंस, एआइएमएल आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता मांग रही हैं। दो से तीन साल में तकनीक में हुए तेज बदलाव के चलते यह स्थिति बनी है। अब कंपनियां कैंपस इंटरव्यू और प्लेसमेंट की प्रक्रिया के पहले ही कालेजों को अपनी जरूरत बता रही हैं और कालेज भी विद्यार्थियों को उन जरूरतों के हिसाब से ही तैयार कर रहे हैं।

IT Sector Demand: बदल रहा पढ़ाई का ट्रेंड…बदल रही रणनीति
इंदौर में कंप्यूटर साइंस में करीब 20 हजार विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। इनमें से 90 फीसद ऐसे हैं, जो सामान्य कंप्यूटर साइंस और आइटी ब्रांच में इंजीनियरिंग कर रहे हैं। ऐसे में कंपनियों की डिमांड पूरी नहीं हो पा रही है। नई टेक्नोलाजी को देखते हुए आइआइटी इंदौर ने भी डेटा साइंस और स्पेस टेक्नोलाजी में बीटेक कोर्स शुरू किए हैं। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में भी नए कोर्स करवाए जा रहे हैं।
निजी विश्वविद्यालय के अलावा निजी इंजीनियरिंग कालेजों में भी स्पेशलाइजेशन डिग्री कराई जा रही है। शहर से हर वर्ष तीन हजार से ज्यादा विद्यार्थियों को प्लेसमेंट प्रक्रिया से नौकरी मिल रही है। इसमें सबसे ज्यादा नौकरियां प्राप्त करने वालों में एसजीएसआइटीएस संस्थान का नाम आगे है। यहां के औसतन एक हजार युवाओं को हर वर्ष नौकरियां मिल रही हैं।
सामान्य काम के लिए बीएससी कंप्यूटर साइंस भी चलेंगे
कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग करने वाले विद्यार्थियों के साथ ही बीएससी कंप्यूटर साइंस वालों की मांग भी बढ़ी है। कंपनियां इन्हें भी अच्छे पैकेज में नौकरियां दे रही हैं। पहले कंपनियां कंप्यूटर साइंस में बीई और बीटेक वाले विद्यार्थियों की तलाश में रहती थीं। फिर बाद के वर्षों में बीएससी वालों का चयन करने लगीं, लेकिन अब बीई और बीएससी कंप्यूटर साइंस वालों को वरीयता से लिया जा रहा है।
भारत में काम की कमी नहीं
जानकारों का कहना है कि भले बाहर के कुछ देशों की आर्थिक स्थिति ठीक न हो, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर होती जा रही है। पूरी दुनिया में साफ्टवेयर तैयार करने में भारत अग्रणी है। ऐसे में यहां की कंपनियों के पास काम की कमी नहीं है। अकेले इंदौर में 300 से ज्यादा आइटी कंपनियां हैं और इसमें 50 हजार युवा कार्य कर रहे हैं।हर कंपनी में नए युवाओं के लिए नौकरी के विकल्प सालभर खुले रहते हैं। इंफोसिस और टीसीएस जैसी बड़ी कंपनियां भी अब सीधे युवाओं को नौकरी प्राप्त करने के मौके दे रही हैं। ये कंपनियां अपने पोर्टल पर आवेदन आमंत्रित कर रही हैं।
तकनीकी के इन क्षेत्रों में बढ़ रही मांग
रूबी एंड रेल्स, जेंगो, टेबल्यू, रोबोट प्रोसेस आटोमेशन (आरपीए), इमेज प्रोसेसिंग, यूआइ इंटरफेस, सेल्सफोर्स, एंगूलर, नोड जीएस, पायथन, एचटीएमएल अन्य तकनीकी में अच्छी मांग बनी हुई है। क्लाउड, सायबर सिक्योरिटी, नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेशन, डेटा साइंस, इंटरनेट आफ थिंग्स और अन्य तरह के प्रोफाइल की मांग कंपनियों में काफी ज्यादा है।
औसत पैकेज पहुंचा 6.50 लाख
तीन से चार साल में विद्यार्थियों के पैकेज पर भी असर पड़ा है। पहले कंपनियां शुरुआती पैकेज 3.50 से चार लाख रुपये वार्षिक आफर करती थीं। अब औसत पैकेज 6.50 लाख तक पहुंच चुका है। इस वर्ष आइटी क्षेत्र में प्रोडक्ट डेवलपमेंट में शहर के बेहतर इंजीनियरिंग कालेजों में विद्यार्थियों का उच्चतम पैकेज 45 लाख रुपये के आसपास रहा है।
आने वाला समय इलेक्ट्रानिक्स का
कंपनियां अब प्लेसमेंट प्रक्रिया के पहले कालेज को कह रही हैं कि उन्हें ऐसे विद्यार्थी चाहिए जो उनकी जरूरत वाले क्षेत्रों में विशेषज्ञ हों। सामान्य कंप्यूटर साइंस के साथ जो विद्यार्थी एआइ, क्लाउड, सायबर सिक्योरिटी, डेटा साइंस और कई तरह के विषयों में बेहतर हैं, उन्हें अच्छी वरीयता मिल रही है। आने वाले समय में इलेक्ट्रानिक्स क्षेत्र में बूम आएगा। इसमें क्वांटम कंप्यूटिंग, वीएलएसआइ, रोबोटिक्स, ईवी और अन्य क्षेत्रों में बेहतर करियर के विकल्प मौजूद रहेंगे।
– अतुल भरत, ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट अधिकारी
कंपनियों को चाहिए बीटेक के साथ एमबीए
हाल ही में आइआइएम इंदौर में बेहतर प्लेसमेंट होने के पीछे यह भी कारण है कि कई विद्यार्थियों ने बीटेक करने के बाद एमबीए की शिक्षा ली है। ऐसे विद्यार्थियों को कंपनियों ने वरीयता दी है। ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनियां अब ऐसे विद्यार्थियों का चुनाव कर रही हैं, जिन्हें टेक्नोलाजी के साथ मैनेजमेंट करना भी आए। बड़ी कंपनियां ऐसे विद्यार्थियों को लाखों रुपये के पैकेज देने के लिए तैयार रहती हैं। यहीं कारण है कि अब बीटेक के बाद आइआइएम जैसे बड़े संस्थान से एमबीए करने वालों की संख्या बढ़ रही है।
– सचिन भटनागर, करियर काउंसलर
इंजीनियरिंग के बाद इतने फीसद यहां जा रहे
विषय – प्रतिशत
कोडिंग और प्रोग्रामिंग -40
टेस्टिंग – 20
इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेस – 20
हायर स्टडी – 20

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