भोपाल। राजनीति में परिवारवाद की खिलाफत के बीच मध्य प्रदेश में भाजपा ऐसे दूसरे विधानसभा चुनाव का सामना करने जा रही है, जिसमें नेताओं के पुत्र-पुत्रियों को मौका मिलने की संभावनाओं पर संकट के बादल छा गए हैं। 2018 में भी कई मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं के पुत्रों को मौका नहीं दिया गया था। इस साल भी कोई बदलाव होता नहीं दिखने से नेता और उनके पुत्र-पुत्री मायूस हैं। दोनों पीढ़ियों में चिंता की लकीरें गहरी हो गईं हैं।

कई वरिष्ठ चुनाव राजनीति से बाहर

भाजपा में एक दर्जन नेता से अधिक, जिनमें आधे दर्जन से अधिक दिग्गज नेता हैं, जिन्होंने राजनीतिक विरासत अगली पीढ़ी को सौंपने की तैयारी कई वर्षों पहले से शुरू कर दी थी। मगर, 2013 से मोदी-शाह युग की शुरुआत हो गई। भाजपा ने कांग्रेस को परिवारवाद के मुद्दे पर घेरने के लिए हमले शुरू किए। इसे अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए पार्टी में भी लक्ष्मण रेखा खींची गई। नतीजा, 2018 के विधानसभा चुनाव में कुछ ही नेता पुत्रों या परिवार के सदस्यों को मौका मिला। 75 वर्ष की उम्र पार करने के फार्मूले पर भी कई वरिष्ठ चुनावी राजनीति से बाहर कर दिए गए।

पहले सक्रिय थे, अब नजर नहीं आ रहे

फिलहाल, इस पूरे प्रकरण पर खुलकर बोलने की स्थिति में कोई नहीं है। हर किसी का यही कहना है कि राजनीतिक विरासत पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्पष्ट संदेश के बाद कहने के लिए कुछ नहीं बचता। उधर, मैदानी स्तर पर असर दिखाई देने लगा है। जो नेता पुत्र पहले जमकर सक्रिय थे, वे अब नजर नहीं आ रहे हैं। यदि परिवारवाद पर रोक का असर टिकट वितरण पर दिखा, तो दिग्गजों और उनके पुत्रों के राजनीतिक अरमान ठंडे हो जाएंगे। उधर, चुनावों में किस्मत आजमाने की आस लगाए बैठे नेता-नेता पुत्रों को पार्टी का यह दावा भी निराश करने वाला है कि पिछले दिनों जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए, वहां भाजपा को मिली जीत परिवारवाद को बढ़ावा नहीं देने की वजह से हुई है।

पार्टी हमेशा परिवारवाद के खिलाफ रही है। जो भी आगे आना चाहता है, जनता के बीच संगठन का कार्य करे, यही एकमात्र रास्ता है। – डा. हितेष वाजपेयी, प्रवक्ता, भाजपा, मध्य प्रदेश

दिग्गजों के बच्चे ….

नेता – – पुत्र-पुत्री

शिवराज सिंह चौहान — कार्तिकेय

ज्योतिरादित्य सिंधिया — महाआर्यमन

नरेंद्र सिंह तोमर — देवेंद्र सिंह

गोपाल भार्गव — अभिषेक

डा. नरोत्तम मिश्रा — सुकर्ण

कमल पटेल — सुदीप

प्रभात झा — तुष्मुल

गौरीशंकर बिसेन — मौसम (पुत्री)

जयंत मलैया — सिद्धार्थ