1667 करोड़ रुपये सालाना बचाने के लिए सरकार ने बंद कर दिया बुजुर्गों को रेल किराये पर छूट देना!

 हालांकि लोकसभा में पूछे गए प्रश्न में रेल मंत्री ने ये नहीं बताया कि सब्सिडी खत्म किए जाने के बाद बीते दो वर्ष में सरकार ने कितने रकम बचाये हैं.

लोकसभा में रेल मंत्री से सवाल पूछा गया था कि सीनियर सिटीजन को रेल यात्रा करने के लिए जो रेलवे द्वारा टिकट पर जो सब्सिडी दी जा रही थी उसे वापस लेने के बाद रेलवे को कितने रकम की कमाई हुई है.  इस प्रश्न के लिखित जवाब में रेल मंत्री ने कहा कि 2019-20 में सीनियर सिटीजन को पैसेंजर फेयर में छूट दिए जाने से रेलवे को 1667 करोड़ रुपये राजस्व से हाथ धोना पड़ा था. हालांकि रेल मंत्री ने ये नहीं बताया कि रेल किराये पर छूट खत्म किए जाने के बाद सरकार ने बीते दो सालों में कितने रुपये की कमाई की है.

रेल मंत्री से ये भी प्रश्न पूछा गया कि क्या सीनियर सिटीजन को रेल किराये पर छूट फिर से दिए जाने पर सरकार क्या विचार कर रही है? तो इस प्रश्न का जवाब देते हुए  रेल मंत्री ने कहा कि 20 मार्च 2020 से वरिष्ठ नागरिकों को रियायती रेल टिकट की सुविधा खत्म कर दी गई है. सीनियर सिटीजंस  के रेल सफर (Rail Travel) करने पर रियायती टिकट की सुविधा को फिर से बहाल किए जाने पर सीधे तौर पर अपने जवाब में उन्होंने कुछ भी नहीं कहा है.

हालांकि उन्होंने कहा कि 2019-20 में पैसेंजर्स टिकट पर रेलवे को सब्सिडी के तौर पर 59000 करोड़ रुपये खर्च करना पड़ा है. उन्होंने कहा कि रेल में सफऱ करने वाले हर व्यक्ति पर सरकार औसतन 53 फीसदी सब्सिडी देती है और ये सब्सिडी सभी पैसेंजरों को दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त सरकार दिव्यांगजन, छात्रों, मरीजों को रेल यात्रा पर अलग से सब्सिडी देती है.

कोविड-19 महामारी के समय से ही सीनियर सिटीजन को ट्रेन के किराए में छूट को खत्म कर दिया गया है और अभी तक इसकी शुरुआत नहीं की गई है. हाल ही में संसदीय स्थाई समिति ने वरिष्ठ नागरिकों को किराए में छूट के लिए सिफारिश की है. पहले भारतीय रेलवे सीनियर सिटीजन को पुरुष कैटेगरी में 40 फीसदी की छूट 60 साल के उम्र या उससे अधिक उम्र के लोगों को देती  था.

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