नोएडा – कभी जिले में था आतंक, अब बड़े माफिया जेल में …

– 90 के दशक में शुरू हुआ था गैंगवार, धीरे-धीरे स्क्रैप, सरिया, पार्किंग से लेकर ट्रांसपोर्ट पर किया कब्जा

– अब बड़े गैंगस्टर के छोटे गुर्गों पर भी नकेल कसने की तैयारी, पुलिस कमिश्नर कर रही मॉनिटरिंग

नोएडा। गौतमबुद्ध नगर में भी कभी बड़े-बड़े माफिया का आतंक था। अब समय के साथ माफिया के आतंक में कमी तो आई है लेकिन पूरी तरह इनकी जड़ें खत्म नहीं हुई है। माफिया अतीक अहमद और अशरफ की हत्या के मामले में गिरफ्तार किए गए एक आरोपी की गैंगस्टर सुंदर भाटी से जुड़े होने की बात सामने आने पर एक बार फिर जिले के माफिया सुर्खियों में हैं। वहीं पुलिस बड़े माफिया के जेल में होने के बाद इनके गिरोह के छोटे गुर्गों पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है।

जिले में फिलहाल सुंदर भाटी, रणदीप भाटी व अनिल दुजाना जैसे गैंगस्टर के गुर्गे सक्रिय हैं। तीनों अभी प्रदेश की अलग-अलग जेल में बंद है। दरअसल जब नोएडा व ग्रेनो गाजियाबाद जिले में आता था तभी से यहां गैंगवार शुरू हुआ था। तब गैंगस्टर सुंदर भाटी और नरेश भाटी ऐसे ही दो नाम थे, जिनकी दोस्ती के किस्से यूपी, दिल्ली से लेकर हरियाणा तक मशहूर थे। दोनों दोस्त एक-दूसरे पर जान छिड़कते थे। बाद में यह दोस्ती जानी दुश्मनी में बदल गई और दोनों के बीच हुए गैंगवार में गैंगस्टर नरेश भाटी मारा गया

दरअसल 90 के दशक में ग्रेटर नोएडा के रिठोरी का रहने वाला नरेश भाटी प्रॉपर्टी विवाद में परिवार वालों की मौत का बदला लेने के लिए जरायम की दुनिया में उतर गया। उसका संपर्क उस वक्त के गाजियाबाद लोनी के नामी बदमाश सतबीर गुर्जर से हुआ। गिरोह में ग्रेटर नोएडा, घंघोला निवासी सुंदर भाटी भी था। जल्द ही नरेश और सुंदर भाटी अच्छे दोस्त बन गए। नरेश जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ना चाहता था। वहीं सुंदर भाटी की भी चुनाव लड़ने की इच्छा थी। दोनों की यही इच्छा दोस्ती में दरार की बड़ी वजह बन गई। दोनों में गैंगवार शुरू हो गया।

2003 में सुंदर भाटी गैंग का नरेश पर हमला

नरेश भाटी जिला पंचायत अध्यक्ष बन गया था और वह हाई प्रोफाइल तरीके से रहने लगा। 2003 में सुंदर भाटी गैंग ने मेरठ में नरेश पर हमला बोल दिया। हमले में नरेश का गनर और ड्राइवर मारे गए, जबकि खुद नरेश वहां से बचकर भाग निकला। मार्च 2004 में एक बार फिर सुंदर ने घंघौला पुलिया के पास नरेश की गाड़ी को घेरकर गोलियों से भून दिया। मौके पर ही नरेश की मौत हो गई। साथ में उसके दो और साथी भी मारे गए। नरेश की हत्या के बाद उसके भाई रणपाल भाटी ने गैंग की कमान संभाल ली।

सबसे पहले रणपाल ने सुंदर भाटी के भाई प्रताप पटवारी सहित तीन लोगों की हत्या कर भाई नरेश की मौत का बदला लिया। 2006 में पुलिस मुठभेड़ में रणपाल मारा गया। रणपाल के एनकाउंटर के बाद नरेश का सबसे छोटा भाई रणदीप गैंग को संभालने के लिए आगे आ गया। वहीं उसका साथ देने के लिए नरेश का भांजा अमित कसाना भी गैंग में ही शामिल हो गया। इस गैंग में शॉर्प शूटर अनिल दुजाना की इंट्री हो गई। बाद में अनिल दुजाना ने अलग गिरोह बना लिया।

सुंदर भाटी पर कातिलाना हमला

वर्ष 2011 में साहिबाबाद के एक फार्महाउस में सुंदर भाटी के साले की शादी थी। उस समारोह में घुसकर बदमाशों ने एके 47 से ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। इसमें तीन लोग मारे गए थे लेकिन सुंदर भाटी बाल-बाल बच गया था। हमले का आरोप नरेश भाटी के भाई रणदीप, भांजे अमित कसाना व अनिल दुजाना पर लगा था। अनिल जनवरी 2012 में पकड़ा गया। वह जेल से अपने गैंग को चलाने लगा। रणदीप और अमित कसाना मदद करते थे। वह जेल से ही मर्डर और रंगदारी की साजिशों को अंजाम देने लगा। सुंदर भाटी गैंग ने जनवरी 2014 में दुजाना के घर पर हमला कर दिया। ताबड़तोड़ फायरिंग में उसके भाई जय भगवान की मौत हो गई। अनिल के पिता ने सुंदर भाटी समेत आठ को नामजद कराया। दुजाना गैंग ने इसका बदला लेने के लिए सुंदर के गुर्गे राहुल का मर्डर कर दिया था।

कांट्रैक्ट किलर रहा है अनिल दुजाना

साधारण परिवार में पला-बढ़ा अनिल दुजाना की दोस्ती अमित कसाना से हुई और देखते ही देखते कॉंट्रैक्ट किलर बन गया। पुलिस के मुताबिक हत्या करने के लिए पांच से बीस लाख रुपये तक लेता था। कई कंपनियों व व्यापारियों से रंगदारी भी वसूल करता है। बाद में रावण के साथ जुड़े जाने के बाद यह गैंग और भी खतरनाक हो गया था। अनिल दुजाना गैंग के कुछ लोग वसूली के धंधे में सक्रिय है। कंपनियों व बिल्डरों से वसूली, ठेकेदारी, ट्रांसपोर्ट के काम में दुजाना व सुंदर भाटी गैंग के गुर्गों की एक दूसरे से भिड़ंत होती रही है।

स्वचालित हथियारों से लैस हैं बदमाश

सुंदर भाटी हो या अनिल दुजाना का गैंग, इन गैंग के पास एके-47, कारबाइन से लेकर अन्य स्वचालित हथियार हैं। पहले भी कई पुलिस दबिश के दौरान पुलिस को इसके ठिकाने से स्वचालित कारतूस मिलते रहे हैं। सुंदर भाटी, अनिल दुजाना गैंग के पास एके-47, कारबाइन, 9 एमएम पिस्टल, ऑटोमैटिक सेमी, एसएलआर जैसे खतरनाक हथियार हैं।

गैंगस्टर के छोटे गुर्गों पर पुलिस की नजर

पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह का कहना है कि जनपद के अधिकतर हिस्ट्रीशीटर जेल में बंद हैं। कुछ बड़े गैंग के छोटे गुर्गे स्लीपिंग माॅड्यूल बनकर छोटी घटनाएं कर देते हैं। ऐसे में इन गैंग के सक्रिय बदमाशों पर नकेल कसी जाएगी। इसके लिए पुलिस की टीम अलर्ट है और ऐसे बदमाशों की लिस्ट तैयार की गई है। इनको गिरफ्तार किया जाएगा।

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