ये वक्त है छाछ को भी फूंक-फूंककर पीने का!

इस रविवार को जब हम राजस्थान के अलवर में शाम के समय एक ऐसे बिजनेस प्लान पर चर्चा करने बैठे थे, जो मई के मौसम पर आधारित था, कि बारिश होने लगी। मैंने एक जैकेट मंगाई। खुद को 1.8 मिमी बारिश से बचाने के लिए नहीं, बल्कि इसलिए क्योंकि तापमान गिरकर 19 डिग्री हो गया था। जब मैंने मई के महीने में राजस्थान के उस शहर के अपेक्षित तापमान के बारे में ऑनलाइन खोज की तो पाया कि 8 मई तक न्यूनतम तापमान 24 डिग्री तक बना रहेगा, जबकि अधिकतम तापमान 36 डिग्री के आसपास जा सकता है।

व्यवसायी ने वह मीटिंग इसलिए बुलाई थी, क्योंकि महज 12 घंटे पहले ही अखबारों में यह चिंतित कर देने वाली खबर छपी थी कि इस साल मई के महीने में भारत के अधिकतर हिस्सों में एक्स्ट्रीम हीट वेव्ज़ चलेंगी। अखबारों ने वह खबर मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय मोहापात्रा के हवाले से छापी थी, जिन्होंने उन विभिन्न क्षेत्रों और विशेषकर पूर्व के लोगों को हीट वेव्ज़ के बारे में चेताया था, जहां अप्रैल के महीने में ही तापमान 42 से 44 डिग्री तक पहुंच गया था।

इस दौरान, बीते तीन दिनों में मैंने अनेक लोगों को यह कहते हुए सुना कि अनियमित मौसम में उनकी आगामी बिजनेस स्ट्रैटेजी क्या होनी चाहिए। इनमें भोपाल की एक सड़क पर गन्ने का रस बेचने वाले से लेकर एसी और एयर कूलर बेचने वाले भी शामिल थे। क्योंकि चाहे 30 रुपए का जूस हो या 30 हजार रुपए का एसी, दोनों के ही यहां ग्राहकों की संख्या उत्साहजनक नहीं थी।

वास्तव में, भोपाल में गन्ने का रस बेचने वाले ने बड़े व्यंग्यपूर्ण तरीके से मुझसे कहा कि बीते दो दिनों में लोगों ने मुझसे गन्ने के रस के बजाय यह अधिक पूछा कि क्या मेरे पास छाता है? इसका कारण यह था कि पिछले हफ्ते शहर में खासी बारिश हुई थी, जिससे तापमान काफी गिर गया था। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि हर वो कारोबारी आज कितना कंफ्यूज्ड होगा, जो इतने वर्षों से मौसम के अनुसार अपने उत्पाद बेचता आ रहा था।

क्या आप यकीन करेंगे कि अप्रैल में मराठवाड़ा में 25 लोगों की मृत्यु बिजली गिरने से हुई थी! वहीं इस साल गर्मियों से सम्बंधित समस्याएं समय से पूर्व ही दिखाई देने लग गई थीं, जब मुम्बई में हीट स्ट्रोक से 14 लोगों की मृत्यु हो गई थी और इसी कॉलम में उनके बारे में चर्चा की गई थी। पिछले हफ्ते कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में एक नए अध्ययन में कहा गया है कि भारत अनेक प्रकार की जलवायु-सम्बंधी चुनौतियों का सामना करने जा रहा है। जहां आज एक तरफ अनेक राज्यों में घने बादल छाए हैं, वहीं मोहापात्रा ने देश के अनेक हिस्सों में असामान्य हीट-वेव्ज़ की चेतावनी दी है।

आज गन्ना-विक्रेता को पता नहीं है कि उसे और गन्ने का ऑर्डर करना चाहिए या नहीं और व्हाइट गुड्स स्टॉकिस्ट कंफ्यूज्ड हैं कि उन्हें और कूलिंग गैजेट्स का स्टॉक करना चाहिए या नहीं। तापमान में उतार-चढ़ाव से आजीविका, इकोनॉमी और कृषि- सभी को नुकसान होने वाला है। आप कह सकते हैं कि मई में किसी महत्वपूर्ण फसल की बुवाई नहीं की जाती है।

लेकिन याद रखें कि केंद्रीय जल आयोग ने दावा किया है जलाशयों का स्तर अप्रैल के महीने में 4 प्रतिशत नीचे गिर गया है और विशेषज्ञों को पता है कि हीट-वेव्ज़ से पानी वाष्पीकृत हो सकता है, जिससे जलस्तर घटेगा। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि मानसून सही समय पर आए और वह सामान्य भी हो। नहीं तो खरीफ की बुवाई पर इसका बुरा असर पड़ सकता है।

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