इंदौर,  अभी हम नर्मदा का जो पानी पी रहे हैं, वह संभवत: विश्व में सबसे महंगा है। इस पानी को नागरिकों तक पहुंचाने में करीब 25 रुपये प्रति लीटर की लागत आ रही है। इसके लिए नगर निगम को हर महीने करीब 20 करोड़ रुपये बिजली के भुगतान करना पड़ रहे हैं। इसके बाद भी शहर में करीब 40 प्रतिशत पानी की पूर्ति हमें भूमिगत जल से करना पड़ रही है। इसलिए हमें वर्षा की हर बूंद को सहेजना होगा। हर घर और हर व्यक्ति की जवाबदारी और हिस्सेदारी तय करना होगी।
भविष्य में होने वाली पानी की कमी की समस्या पर जैन इंजीनियरिंग सोसायटी ने किया आयोजन
नगर निगम की आयुक्त हर्षिका सिंह ने संक्षेप में शहर के पानी का यह हिसाब-किताब सामने रखा है जो चिंता पैदा करने वाला है। वे वर्षा जल संचयन और जल बचत तकनीक पर रविवार को एक परिचर्चा में प्रस्तुतीकरण दे रही थीं। परिचर्चा का आयोजन जैन इंजीनियर्स सोसाइटी के इंदौर चैप्टर द्वारा शहर के संतोष सभागृह में रखा गया था। निगम आयुक्त ने निगम की ओर से जल अभियान-2025 का खाका सामने रखा।
उन्होंने कहा कि हमें अभी 15 जून से पहले वर्षा जल को सहेजने और भूजल संरक्षण को अभियान के रूप में चलाने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य करना होगा। सभी आवासीय सोसायटी और रहवासी संघ का सहयोग लेना होगा। इसमें जैन इंजीनियर्स सोसायटी जैसी तकनीकी सोसाइटी का सहयोग हमारे अभियान में बहुत मददगार साबित होगा।
जनभागीदारी की अद्भुत मिसाल
परिचर्चा के द्वितीय सत्र में कलेक्टर इलैया राजा टी ने कहा कि इंदौर छह बार देशभर में स्वच्छता का सरताज बना। इंदौर की जनता जल संचय का महत्व समझती है और जल के उपयोग को लेकर सतर्क है। इंदौर जनभागीदारी की अद्भुत मिसाल पेश करता है। जल की गुणवत्ता के साथ-साथ सांस लेने योग्य हवा की गुणवत्ता में सुधार के बारे में भी इंदौर में काम हो रहा है। तमिलनाडु में इतिहास की पुस्तकों में जिक्र आता है कि पहले माह में तीन बार वर्षा होती थी। पानी धीमा आता था, जमीन में उतरता था, लेकिन अब वैसा नहीं रहा… तो जिम्मेदार कौन है? पैसे की दौड़ में क्वालिटी लाइफ पीछे छूट गई है। हमें आने वाली पीढ़ी के लिए जिम्मेदार बनना होगा।
एसजीएसआइटीएस के प्रोफेसर संदीप नारूलकर ने जल संरक्षण बढ़ाने और जल के अपव्यय को कम करने के तरीकों के बारे में बताया। उन्होंने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के रखरखाव और भूजल की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए वर्षा जल को प्रदूषण से बचाने के लिए रखी जाने वाली सावधानी के बारे में भी बताया। जल सरंक्षण अभियान से जुड़े समरेंद्र पांडे ने अपने अनुभव साझा किए।
600 से 150 फीट पर आ गया भूजल स्तर
संस्था के संस्थापक अध्यक्ष राजेंद्र सिंह जैन ने कहा कि घर-घर में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के वजह से कंचनबाग में भूजल स्तर 600 फीट से उठकर 150 फीट तक आ गया है। संचालन प्रो. अंजना जैन किया। अतिथियों का स्वागत संस्था अध्यक्ष सुनील जैन और सचिव संदीप जटाले ने किया।
शीघ्र ही शुरू करेंगे स्वजन उपहार योजना
संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष निकेतन सेठी ने बताया कि सोसायटी शीघ्र ही स्वजन उपहार योजना शुरू करेगी। इसके तहत घरों से इस्तेमाल योग्य वस्तुएं एकत्रित कर समाज के जरूरतमंद लोगों को उपलब्ध कराई जाएगी। सामग्री वितरण के लिए एमजी रोड स्थित एक बहुमंजिला इमारत में सेंटर शुरू किया जाएगा।
311 एप के माध्यम से देंगे सहयोग
कलेक्टर और निगम आयुक्त ने बताया कि अब हम सकारात्मक पहल करने जा रहे हैं जिसमें 311 एप के माध्यम से वाटर रिजार्चिंग का तकनीकी सहयोग भी उपलब्ध कराया जाएगा। इसमें जल संरक्षण के लिए सेवाभाव से काम करने वाली संस्थाओं और वालंटियर के नाम भी जोड़े जाएंगे।
नगर निगम शुरू करेगा ट्रिपल आर सेंटर

निगमायुक्त हर्षिका सिंह ने कार्यशाला में जानकारी दी कि इंदौर नगर निगम शीघ्र ही पूरे शहर में ट्रिपल आर सेंटर शुरू करेगा। इनके माध्यम से घर-घर से अनुपयोगी सामग्री जैसे कपड़े, किताबें, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रानिक उपकरण, मशीनरी आदि एकत्र कर जरूरतमंदों को वितरित की जाएगी। शहर में जल भराव की जगह पर वाटर रिचार्ज पिट बनाए जा रहे हैं। इससे दो फायदे मिलेंगे। एक तरफ जल भराव से मुक्ति मिलेगी, वहीं दूसरी तरफ भूजल स्तर ऊपर आएगा। उन्होंने शहर की जनता से घर घर में वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगाने का आव्हान किया।