ग्वालियर : भ्रष्टों पर कोर्ट सख्त; 17 महीने में 18 केस में फैसला

– पंचसाक्षी व फरियादी के पटलने के बाद भी अभियोजन कहानी हुई सच

– लोकायुक्त व ईओडब्ल्यू के केसों में कोर्ट ने किया है फैसला

खाद्य विभाग के लगाए जुर्माने नहीं टिक पा रहे कोर्ट में, लाखों के रह गए हजारों में

विशेष सत्र न्यायालय ने 17 महीने में लोकायुक्त व ईओडब्ल्यू में भ्रष्टाचार निवारण अधिनयम के तहत दर्ज 18 केसों में फैसले किए हैं। इसमें लोकायुक्त के 14 व ईओडब्ल्यू के दो केसों में सजा हुई है। लोकायुक्त के एक केस में आरोपी दोषमुक्त हुआ है और एक केस आरोपी की मृत्यु होने से समाप्त हो गया। यह अब तक की सबसे अधिक सजाएं हैं। यह सजाएं तब हुई, जब फरियादी, पंचसाक्षी गवाहों से पलट गए। भ्रष्ट अधिकारियों को सजा के बाद जेल की हवा खानी पड़ी है। हाईकोर्ट से भी आसानी से जमानत नहीं मिली। जिन केसों में कोर्ट ने फैसला किया है, उसमें रंगे हाथ रुपए लेते, गबन व आय से अधिक संपत्ति के मामले हैं।

दरअसल भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय बना हुआ है। इसी न्यायालय में लोकायुक्त व ईओडब्ल्यू चालान पेश करती है। कोविड 19 के दौरान न्यायालय बंद था। इस वजह से ज्यादा फैसले नहीं सके, लेकिन 2022 में एक के बाद एक फैसला आया।

2023 के पांच महीने में चार फैसले कर दिए, जिसमें चार में सजा हुई है। विशेष न्यायालय में 21 ट्रायलें बची हैं। स्थिति यह है कि रिश्वत, गबन, आय से अधिक संपत्ति के मामलों में फंसे अधिकारी, कर्मचारी केस लंबा खींचना चाह रहे हैं, क्योंकि कोर्ट का जो रुख है, उसमें सजा की गुंजाइश अधिक है। हालांकि पांच साल से अधिक पुराना केस होने की वजह से कोर्ट ने उन्हें चिह्नित कर लिया था, जिससे ट्रायलें अंतिम स्थिति में है।

ये केस रहे चर्चा में
– आय से अधिक संपत्ति में नगर रक्षा समिति के संयोजक हरीश शर्मा को चार साल की सजा व दो करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया। सजा का काफी समय जेल में काटना पड़ा।
– उप पंजीयक अभिषेक चतुर्वेदी स्टिंग आपरेशन में फंसे थे। इन्हें लोकायुक्त ट्रैप नहीं कर सकी थी। उंगली दिखाते हुए रिश्वत मांगने का स्टिंग आया था। इसमें सजा हुई।
– वन विभाग में ट्रैंच खोदने की राशि में गबन हुआ था। इस गबन के आरोपियों को बुजुर्ग अवस्था में सजा मिली।

गवाही पटलने वालों के खिलाफ भी एमजेसीआर दर्ज
लोकायुक्त के केस मेें जिन पंचसाक्षी व फरियादी ने गवाही पलटी थी, उनको सजा दिलाने के लिए लोकायुक्त ने एमजेसीआर दर्ज कराई है। इनके खिलाफ भी केस चल रहे हैं।

वर्ष – दोषमुक्त -सजा

2014 -1 -0
2015 -3 -2
2016 -2 -3
2017 -0 -1
2018 -3 -7
2019 -5 -17
2020 -1 -2
2021 -1 -0
2022 -1 -14
2023 -0 -4
(2022 में सजा के दो केस ईओडब्ल्यू के शामिल हैं।)
17 महीने में सबसे ज्यादा सजाएं हुई हैं। यह मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इन सजाओं से समाज में अच्छा संदेश गया है। भ्रष्टाचार में फंसने के बाद सजा मिनी है।
– राखी सिंह, विशेष लोक अभियोजक लोकायुक्त

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