मोदी सरकार के 9 साल ..?

 2014 में 7 और 4 साल बाद 21 राज्यों में भाजपा के CM थे; अब 14 राज्यों में भगवा …

“मैं…नरेंद्र दामोदर दास मोदी…” आज ही के दिन साल 2014 में नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन से ये शब्द पूरे देश ने सुने थे। मौका था नई-नवेली सरकार के शपथ ग्रहण समारोह का। समारोह में देश-विदेश के करीब 4 हजार चुनिंदा लोग मौजूद थे। उस वक्त के राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी ने स्टेज पर सबसे पहले नरेंद्र मोदी को शपथ के लिए बुलाया। मोदी ने शपथ ली और इसी के साथ देश को आज ही के दिन अपना 15वां प्रधानमंत्री मिला।

2014 का आम चुनाव इसलिए खास था, क्योंकि 30 साल बाद किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला था। भाजपा ने 282 सीटें जीती थीं। 1984 के आम चुनावों में कांग्रेस ने 414 सीटें जीती थीं। उसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 303 सीटें जीती थीं, जो किसी एक पार्टी द्वारा जीती गईं दूसरी ज्यादा सीटें थीं।

मोदी जब पहली बार पीएम बने थे तब देश के सात राज्यों में भाजपा की सरकार थी। गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा में भाजपा के मुख्यमंत्री थे, जबकि पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और आंध्र प्रदेश में TDP के साथ वह सत्ता की साझेदार थी।

2018 में भाजपा अपने चरम पर थी। तब 21 राज्यों में बीजेपी या सहयोगी पार्टियों की सरकार थी। अब सिर्फ 14 ऐसे राज्य हैं, जहां भाजपा या उसके गठबंधन की सरकार है।

दक्षिण भारत से बीजेपी साफ, नॉर्थ ईस्ट में बीजेपी के 3 सीएम
पूर्वोत्तर भारत (सिक्किम समेत): नॉर्थ ईस्ट के 8 राज्यों में कुल 498 विधायक हैं। इनमें से बीजेपी के 206 विधायक हैं, यानी 41.3%। इसी तरह नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों से कुल 25 सांसद आते हैं। इनमें बीजेपी के 15 सांसद हैं, यानी 60%। असम में हिमंत बिस्वा सरमा की अगुआई में बीजेपी की सरकार है। नगालैंड में NDPP यानी नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी की अगुआई में बीजेपी सत्ता में है। NDPP के ने नेफ्यू रियो सीएम हैं। मणिपुर में बीजेपी स्थानीय पार्टी NPP, NPF और KPA के साथ सत्ता में है। बीजेपी के बीरेन सिंह सीएम हैं।

मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार है और जोरामथंगा वहां मुख्यमंत्री पद पर मौजूद हैं। त्रिपुरा में बीजेपी सत्ता में है। यहां मणिक साहा मुख्यमंत्री हैं। अरुणाचल प्रदेश में बीजेपी सत्ता में है। यहां पेमा खांडू मुख्यमंत्री हैं। सिक्किम में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा सत्ता में है। प्रेम सिंह तमांग सीएम हैं। बीजेपी का राज्य में कोई विधायक नहीं, लेकिन SKM में बीजेपी की अगुआई वाले एनडीए का हिस्सा है।

पश्चिम भारत (महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान): महाराष्ट्र में शिंदे की शिवसेना के साथ बीजेपी सरकार है। गुजरात में बीजेपी की पूर्ण बहुमत सरकार है और राजस्थान में कांग्रेस सरकार है। इन तीनों प्रदेशों के 670 विधायकों में से 331 बीजेपी के हैं, यानी 49%। इसी तरह इन प्रदेशों के कुल 99 सांसदों में से 73 बीजेपी के हैं, यानी 72%।

पूर्वी भारत (बिहार, बंगाल, झारखंड, ओडिशा): बिहार में महागठबंधन की सरकार है, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, झारखंड में जेएमएम की सरकार और ओडिशा में बीजेडी की सरकार है। यानी पूर्वी भारत में कहीं भी बीजेपी की सरकार नहीं है। यहां कुल 722 विधायकों में से 196 बीजेपी के हैं, यानी 27%। इसी तरह इन प्रदेशों के कुल 117 सांसदों में से 54 बीजेपी के हैं, यानी 46%।

उत्तर भारत (दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, यूपी, उत्तराखंड): उत्तर भारत में हरियाणा, यूपी और उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार है। उत्तर भारत से कुल 818 विधायक चुने जाते हैं, जिनमें से बीजेपी के कुल 377 विधायक हैं यानी 46%। इसी तरह कुल 189 सांसदों में से बीजेपी के 98 सांसद हैं, यानी 52%।

मध्य भारत (एमपी, छत्तीसगढ़): मध्य प्रदेश में बीजेपी और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार है। यहां कुल 420 विधायक चुने जाते हैं, जिनमें 144 बीजेपी के हैं, यानी 34%। इसी तरह कुल 40 में से 37 सांसद बीजेपी के हैं यानी 92%।

दक्षिण भारतः कर्नाटक की हार के बाद दक्षिण के 5 में से किसी भी राज्य में बीजेपी सरकार नहीं है। दक्षिण भारत के 5 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश से कुल 130 लोकसभा सांसद आते हैं। इनमें बीजेपी के केवल 29 सांसद है, यानी 22%। इनमें भी 25 सांसद कर्नाटक से और 4 तेलंगाना से हैं।

दक्षिण भारत के इन राज्यों की विधानसभाओं में कुल 923 विधायक हैं। कर्नाटक चुनाव से पहले तक इनमें से भी बीजेपी के पास कुल 135 विधायक थे। कर्नाटक में बीजेपी के 40 विधायक कम होने के बाद यह आंकड़ा भी घटकर 95 बचा है। यानी दक्षिण भारत के कुल विधायकों में बीजेपी के सिर्फ 10% विधायक हैं।

जिन 5 राज्यों से लोकसभा चुनाव में उम्मीद थी, वहां अब बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती
पिछले लोकसभा चुनाव में 303 सीटें हासिल करने वाली बीजेपी 14 राज्यों में अधिकतम सीटें हासिल करने की स्थिति में पहुंच चुकी है।

इन राज्यों में गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल, त्रिपुरा और हरियाणा की सभी सीटें बीजेपी के पास हैं। जबकि कर्नाटक में 28 में 25, मध्य प्रदेश में 29 में 28, बिहार में गठबंधन में 40 में 39, महाराष्ट्र में गठबंधन में 48 में से 41 सीटें जीती थीं। यूपी में 80 में 64, झारखंड में 14 में 12 और छत्तीसगढ़ में 11 में 9 सीटें बीजेपी के पास हैं। मतलब इन राज्यों में पार्टी अधिकतम प्रदर्शन कर चुकी है। कुल मिलाकर आगे नुकसान को देखते हुए बीजेपी को बंगाल, बिहार, तेलंगाना, कर्नाटक और ओडिशा में अपनी सीटें बढ़ने की उम्मीद थी।

अब कर्नाटक में हार से पार्टी को झटका लगा है, जबकि ओडिशा में नवीन पटनायक अब तक अपराजेय हैं। जदयू के अलग होने से बिहार में पुराना प्रदर्शन दोहराना संभव नहीं है। पिछले चुनाव में बंगाल में बीजेपी 18 और तेलंगाना में 4 सीटें जीती थी। अगर ममता कांग्रेस के साथ जाती हैं, तो वहां भी बीजेपी को मुश्किल होगी। कुल मिलाकर आगे इन 5 राज्यों में बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती है।

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