ग्वालियर : 5 मंदिरों से लगी 14 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन राजस्व अफसरों ने निजी लोगों के नाम की

भू-माफिया जमीन की हेराफेरी का मामला …!

5 मंदिरों से लगी 14 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन राजस्व अफसरों ने निजी लोगों के नाम की

भू-माफिया जमीन की हेराफेरी में अब भगवान को भी नहीं बख्श रहा है …

भू-माफिया जमीन की हेराफेरी में अब भगवान को भी नहीं बख्श रहा है। ऐसे एक दो नहीं, कई मामले सामने आए हैं जिनमें सरकारी मंदिरों से अटैच जमीन बिक गई और अब पांच मंदिरों की 14.182 हेक्टेयर सरकारी प्राइवेट हो चुकी है। राजस्व अमले ने रिकॉर्ड में अमल भी कर दिया है। मामला गंभीर इसलिए भी है कि माफी के हर मंदिर से लगी जमीन के प्रबंधक कलेक्टर हैं। जमीनों की देखरेख का जिम्मा इन्हीं पर है।

यह सब मंदिर के पुजारी और राजस्व अमले की सांठगांठ के बिना संभव नहीं है। उल्लेखनीय है कि तत्कालीन रियासत काल द्वारा जिले के 840 से ज्यादा मंदिर सरकार को नियंत्रण में दिए गए थे। इनमें से 430 के पास कृषि भूमि थी जो अब धीरे-धीरे कम होती जा रही है।

ऐसे समझें- मंदिर की जमीन की कैसे की गई हेराफेरी

मालनपुर में अलग-अलग सर्वे नंबरों की 11.655 हेक्टेयर जमीन कई साल पहले तक माफी औकाफ मंदिर के नाम दर्ज थी। अब 0.209 हेक्टेयर को छोड़कर बाकी जमीन प्राइवेट लोगों के नाम हो चुकी है।

रामकुई में रामजानकी मंदिर के नाम 3.165 हेक्टेयर जमीन थी अब यह घटकर 2.006 हेक्टेयर रह गई है। बाकी जमीन जगन्नाथ, जयालाल, काशीराम के भूमि स्वामी के नाम पर दर्ज हो चुकी है।

कोटा लश्कर में मंदिर सिक्स्त की 1.567 हेक्टेयर जमीन मंदिर और निजी नाम पर चढ़ चुकी है। मूर्ति साहब की बगिया की जमीन के अभिलेख में अम्रेश्वरी और छत्री की जमीन में रामसिंह का नाम जुड़ गया है।

प्रबंधक का जिम्मा कलेक्टर के पास

माफी के मंदिरों से लगी जमीन को पुजारी अपने नाम नहीं करा सकते हैं। प्रदेश के धर्मस्व विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देकर कलेक्टर ग्वालियर को पुजारियों के नाम हुई जमीन फिर से माफी के नाम पर करने को कहा है।

संभाग आयुक्त दीपक सिंह ने छह से अधिक माफी के मंदिरों की जमीनों का राजस्व अभिलेख से मिलान कराया। सभी में राजस्व अभिलेख में प्राइवेट लोगों के नाम हो चुकी जमीन मिली हैं। इसके बाद उन्होंने कलेक्टर को दोषियों पर कार्रवाई के लिए कहा है।

अब संभाग के जिलों के मंदिरों की भी जांच करेंगे
“मंदिरों से लगी भूमि की जांच 1950 के राजस्व अभिलेख के आधार पर की गई। ग्वालियर में कुछ मंदिरों की जमीन के अभिलेख में राजस्व, माफी और पुजारी तो कुछ की जमीन निजी लोगों के नाम दर्ज है। यह कैसे हुआ, इसकी जांच कलेक्टर करेंगे। संभाग के अन्य जिलों में भी ये जांच कराएंगे।”
-दीपक सिंह, संभाग आयुक्त

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