ग्वालियर  पड़ाव स्थित रेस्टोरेंट पर हमले के आरोपित को छुड़ा ले जाने वाले आरोपित की पुलिस घटना के तीसरे दिन भी पहचान नहीं कर सकी है। हालांकि इस मामले में सिरोल थाने के एसआइ रास्नेही कुशवाह का अब भी यही कहना है कि आरोपित को छुड़ाने वाला प्रद्युम्न सिंह तोमर (ऊर्जा मंत्री) का बेटा ही है। उधर मंत्री के बेटे रिपुदमन ने खुद एसएसपी से मिलकर घटना से उनका कोई नाता न होने और जांच कराने की बात कही है। पुलिस का जोर भी वारदात में एफआइआर दर्ज करने के बजाए इस बात की जांच पर है कि थाने के रोजनामचे में ऊर्जा मंत्री के बेटे का नाम क्यों लिखा गया?

सुरक्षा गार्ड बोले- धमकाकर डीवीआर निकालकर ले गए

गार्डन पैलेस हाउसिंग सोसायटी में सिक्युरिटी गार्ड अश्वनी चौबे का कहना है साथी गार्ड देवेश और विवेक शनिवार रात को ड्यूटी पर थे। रात करीब दो से 2.30 बजे पुलिस की गाड़ी आई। उन्होंने गौरव गुर्जर को बुलाने के लिए कहा, जो फ्लैट नंबर 917 में रहते हैं। मैंने उन्हें बुला लिया। वह पुलिस से बद्तमीजी करने लगे। गौरव ने अपने दोस्तों को बुला लिया। सफेद रंग की कार आई थी। वो गुर्जर को अपने साथ ले गए। जबरन गार्ड रूम में घुसकर डीवीआर निकाल ले गए। गार्ड का कहना है रोका तो बोला, चुपचाप बैठे रहो। अंजाम बुरा होगा। हम बहुत बड़े लोग हैं।

कार्रवाई न होने से पुलिस की मंशा पर उठ रहे सवाल

1. आरोपित को छुड़ाने वाला ऊर्जा मंत्री का बेटा नहीं है तो कौन है? तफ्तीश में पुलिस कोताही क्यों बरत रही है? क्या ऊर्जा मंत्री का नाम आने से पुलिस अधिकारी एफआइआर करने से बच रहे हैं?

2. आरोपित छुडाने की वारदात में अब तक एफआइआर दर्ज क्यों नहीं की गई, जबकि आरोपित को छुड़ाने के साथ हाउसिंग सोसायटी के गार्ड रूम से सीसीटीवी कैमरों की डीवीआर भी निकाली गई।

3.एसआइ का कहना है सफेद रंग की फार्च्युनर से प्रद्युम्न सिंह तोमर का बेटा ही आया था। उसने धमकाया और बर्खास्त कराने की धमकी देकर अपनी कार में आरोपित को ले गया।

रेस्त्रां में मारपीट, तोड़फोड़ करने के आरोपित खुद थाने पहुंचे

द्यतोष रेस्त्रां में सुरक्षा गार्ड, बाउंसर से मारपीट करने और तोड़फोड़ करने के आरोपित सौरव और गौरव गुर्जर सोमवार को खुद चलकर पड़ाव थाने पहुंचे। दोनों आरोपितों ने कहा शनिवार रात भी वे खुद सिरोल थाने गए थे, लेकिन थाने में टीआइ नहीं मिले तो लौट आए थे। आरोपितों ने कहा पड़ाव थाने भी खुद आए हैं। आरोपितों ने पूछने पर कहा रात में फोन कर दोस्त तो बुलाए थे, लेकिन कौन दोस्त थे, नहीं बताया। हालांकि यह भी कहा कि वे ऊर्जा मंत्री के बेटे को जानते हैं। अब जिस तरह आरोपित थाने पहुंचे इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि बिना राजनीतिक सपोर्ट यह पुलिस के सामने दबंगी से कैसे जा सकते हैं?