सतपुड़ा भवन में लगी आग का जिम्मेदार कौन? आग में जल गई ‘भ्रष्टाचार’ की फाइलें …
मध्य प्रदेश: सतपुड़ा की आग में जल गई ‘भ्रष्टाचार’ की फाइलें…, कांग्रेस के इस दावे में कितना दम?
सतपुड़ा भवन में लगी आग ने भोपाल के 13 हजार से ज्यादा सरकारी फाइलों को अपने आगोश में समेट लिया है. जिसके कारण राज्य की सियासत में गर्मी बढ़ गई है.
सतपुड़ा भवन में लगी आग का जिम्मेदार कौन?
12 जून की शाम करीब 3.30 बजे, भोपाल के दूसरे सबसे बड़े सरकारी दफ्तर सतपुड़ा भवन में आग लग गई. शॉट सर्किट की वजह से आग तीसरी मंजिल से शुरू हुई और छठी मंजिल तक पहुंच गई. इस भीषण आग को मंगलवार दोपहर 12 बजे बुझाया गया. अब पूरे 10 घंटे बाद सतपुड़ा भवन में लगी आग तो बुझ गई है लेकिन इसने मध्यप्रदेश सरकार और राज्य के सीएम शिवराज सिंह चौहान को कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया है.
दूसरी तरफ राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी इस घटना के बाद भोपाल के कलेक्टर आशीष सिंह, कमिश्नर मालसिंह भयड़िया और नगर निगम को नोटिस भेजे हैं. नोटिस में आयोग ने आग लगने की घटना पर तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है. आयोग ने सवाल उठाया है कि निगम की फायर ब्रिगेड में 80 फीसदी दमकलकर्मी होने के बाद भी इस आग को बुझाने में पूरे 10 घंटे क्यों लग गए?
पहले जानते हैं किस फ्लोर पर आग लगी और वहां कौन से दफ्तर हैं
इस भवन में सबसे पहले तीसरी मंजिल पर आग लगी. सतपुड़ा भवन के तीसरे मंजिल पर अनुसूचित जनजाति क्षेत्रीय विकास योजना का दफ्तर है. आग तीसरी मंजिल से फैलकर चौथे, पांचवें और छठे फ्लोर तक पहुंच गई. इन तीनों ही मंजिल पर स्वास्थ्य विभाग के दफ्तर हैं.
सतपुड़ा भवन में लगी आग की आंच पहुंची शिवराज सरकार तक
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में पांच महीने से भी कम समय बचा हुआ है. ऐसे में सरकारी कार्यालय में लगी आग को बुझाने में 10 घंटे का समय लगना चुनावी इवेंट मोड में चल रही सरकार की पोल खोल कर रख दी है.
इस आग को बुझाने के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली से भी मदद की गुहार लगाई थी.
शिवराज सिंह मध्य प्रदेश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बना चुके. उन्हें सबसे अनुभवी राजनेता भी माना जाता है. ऐसे में एक इमारत में लगी आग बुझाने में इतना समय लगना यह साफ दिखाता है कि बड़े हादसों से निपटने में राज्य सरकार की मशीनरी सक्षम ही नहीं है.
दिसंबर 2018 और साल 2013 में भी लग चुकी है आग
बता दें कि इससे पहले 14 दिसंबर 2018 को विधानसभा चुनाव से ठीक बाद इसी सतपुड़ा भवन में आग लगी थी. उस वक्त भी बड़ी संख्या में संवेदनशील और गोपनीय दस्तावेज जलकर राख हो गए थे.
इससे पहले साल 2013 में विधानसभा चुनाव के पहले भी इसी भवन की तीसरी मंजिल पर आग की लपटों ने फाइलें जला दी थीं. अब एक बार फिर विधानसभा चुनाव के लगभग चार महीने पहले यहां आग लगी है. यही कारण है कि सूबे का विपक्ष दल बीजेपी लगातार हमला बोल रहा है.
बार बार लग रही आग पर क्या बोली शिवराज सरकार
मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने एबीपी से बात करते हुए कहा, “पहली बात तो इससे पहले आग सरकार बनने के बाद लगी थी. दूसरी बात, अगर मान लीजिए चुनाव के पहले आग लगी भी थी तो फिर भी चुनाव के बाद आप (कांग्रेस) आए थे तो आप पंद्रह महीने क्या करते रहे?
नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि आग इनके समय में लगी थी लेकिन इन्हें तो कुछ भी बोलना है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस तथ्य पर बात नहीं करते.
सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
राज्य के दूसरे सबसे बड़े सरकारी भवन में आग लगने के बाद अब सरकार के पास सबसे बड़ी चुनौती उन जले हुए डेटा को इकट्ठा करना और नए सिरे से दफ्तर को शुरू करना होगा.
कहा जा रहा है कि इस घटना में विभागों में रखे स्वास्थ्य सेवाओं के दस्तावेज, शिकायत शाखा और विधानसभा प्रश्न से जुड़े दस्तावेज भी जल गए हैं. यहां तक की इसी भवन में कोरोना काल के समय स्वास्थ्य विभाग में की गई खरीदी और अस्पतालों को किए गए भुगतान से जुड़ी फाइलें भी थीं. हालांकि इस बात की आधिकारिक पुष्टि भी नहीं हुई है.
बता दें कि बीते मई के महीने में ही जबलपुर के अधिवक्ता मनोज कुमार की जनहित याचिका के बाद हाई कोर्ट ने इस राज्य में फायर एंड इमरजेंसी सर्विस एक्ट लागू करने का आदेश सुनाया है.
सतपुड़ा भवन में लगी आग की घटना में लापरवाही इतनी थी कि इस सरकारी इमारत का फायर ऑडिट तक नहीं करवाया गया था. जिसके कारण आग को बुझाने में इतनी देरी हो गई.
सीएम शिवराज का एक्शन
इस घटना के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सीएम हाउस में रिव्यू मीटिंग की. स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी के अनुसार, ‘सीएम ने जांच के लिए हाई लेवल कमेटी गठित की है.’
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने कांग्रेस के आरोपों पर कहा, ‘वहां कोई भी ऐसे महत्वपूर्ण दस्तावेज नहीं थे, जो इस तरह का काम किया जाए. कांग्रेस के आरोप बेबुनियाद है. सतपुड़ा भवन में 4000 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं, कोई इस तरह की साजिश क्यों करेगा.’