गांधी जयंती: रबीन्द्रनाथ टैगोर ने नहीं, जीवराम शास्त्री ने सबसे पहले बापू को कहा था ‘महात्मा’

Mahatma Gandhi’s 150th Birth Anniversary: आज देशभर में ‘राष्ट्रपिता’ महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई जा रही है. इस मौके पर देश भर में लोग बापू के अहिंसा और सत्य के विचारों को एक बार फिर याद कर रहे हैं और उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. आज उनके जयंती के दिन हम आपको बताने जा रहे है कि बापू को महात्मा सबसे पहले किसने कहा था. अगर आपसे पूछा जाए तो ज्यादातर लोग रबीन्द्रनाथ टैगोर का नाम लेंगे लेकिन यह सही नहीं है. बापू को सबसे पहले महात्मा कहकर जीवराम शास्त्री ने पुकारा था.

किसने कहा था सबसे पहले महात्मा

बहुत कम लोग जानते हैं कि गांधीजी को पहली बार सौराष्ट्र प्रायद्वीप में गोंडल राज्य के शाही चिकित्सक द्वारा आयोजित एक छोटे से समारोह में महात्मा ’कहा गया था. 27 जनवरी, 1915 को, गोंडल में एक कार्यक्रम के दौरान उन्हें पहली बार महात्मा कह कर संबोधित किया गया था. इस कार्यक्रम में गांधी जी मुख्य अतिथि थे. यहां गांधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा के लिए एक भव्य स्वागत की व्यवस्था की गई थी. उस वक्त गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से लौटे थे. किसी को नहीं पता था कि यह समारोह गांधीजी के जीवन के इतिहास में मील का पत्थर बन जाएगा.

स्वागत भाषण में रसशाला के संस्थापक जीवराम शास्त्री, जो तत्कालीन रियासत गोंडल के शाही चिकित्सक भी थे, उन्होंने गांधी जी को महात्मा कहकर बुलाया. जीवराम शास्त्री ने 1908 से 1914 तक दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ गांधी जी के ऐतिहासिक आंदोलन के संदर्भ में उन्हें ‘महात्मा’ कहा था. ‘महात्मा’ शब्द बाद में गांधीजी के लिए एक सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत पर्याय बन गया और वह विश्व इतिहास में’ महात्मा गांधी ‘के रूप में अमर हो गए.

आम धारणा है कि रवींद्रनाथ टैगोर ने पहले बापू को महात्मा कहा था. हालांकि, लगभग सात साल पहले अहमदाबाद में साबरमती आश्रम एक दस्तावेज लेकर आया था जिसमें पता चला था कि गांधी जी को गोंडल रससला के संस्थापक जीवराम शास्त्री द्वारा महात्मा के रूप में सबसे पहले संदर्भित किया गया था. यह दस्तावेज गांधीवादी मनुभाई पारेख द्वारा पेश किया गया और उसमें कहा गया कि टैगोर द्वारा बापू को महात्मा कहे जाने से काफी पहले आयोजित एक सार्वजनिक समारोह में उन्हें जीवराम शास्त्री ने महात्मा कहकर बुलाया गया था.

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