ग्वालियर : पुलिस पर जनता का भरोसा कम होता … ?

पुलिस पर आई आंच तो धीमी पड़ गई जन शिकायतों पर जांच …

.पुलिस पर सवाल उठते तो बात जांच पर आती है, लेकिन जांच आसानी से पूरी नहीं होती। ऐसे तमाम मामले हैं, जिनमें लोगों ने पुलिस की शिकायतें की है, लेकिन इंसाफ के इंतजार…

ग्वालियर.पुलिस पर सवाल उठते तो बात जांच पर आती है, लेकिन जांच आसानी से पूरी नहीं होती। ऐसे तमाम मामले हैं, जिनमें लोगों ने पुलिस की शिकायतें की है, लेकिन इंसाफ के इंतजार में हैं। इन मामलों की विवेचनाओं में पुलिस की अपनी दलीलें है। अधिकारी कहते हैं पुलिस पर लगे आरोप गंभीर माने जाते हैं इसलिए उनकी जांच हर पहलू पर होती है। उसमें वक्त तो लगता है, दोषियों पर कार्रवाई भी होती है।
केस-1: हस्तिनापुर में पांच लोगों को खुले में शराब पीने का दोषी मानकर हवालात में बैठाया। शांति भंग का केस दर्ज किया गया। राजनीतिक दल ने इसे पुलिस की साजिश मानकर विरोध किया। इस एपिसोड को हस्तिनापुर थाने के पूर्व आरक्षक अंकित राणा को दोषी बताया। जनता के विरोध पर पुलिस ने भरोसा दिलाया कि मामले की जांच होगी। पुलिसकर्मी की साजिश सामने आई तो उस पर कार्रवाई होगी। सात दिन बाद भी जांच वही थमी है।
केस-2: शहर में भारी वाहनों की आवाजाही रोकने के नयागांव और सिकरौदा पर नए नाके बनाए गए हैं। लेकिन शहर में भारी वाहनों की नो एंट्री में आवाजाही है। गोल पहाडिय़ा से तिघरा रोड की घाटी चढ़ते समय तीन दिन पहले प्याज से भरा ट्रक संजय नगर बस्ती में मकान पर पलट गया। प्याज की बोरियां लुढ़ककर प्रीति परिहार के मकान पर गिरी। उनकी टीन की छत बोरियों का वजन सहन नहीं कर पाईं। दनादन बोरियां कमरे में गिरीं तो प्रीति और उनकी ढाई साल की मासूम बेटी पलक दब गईं। पलक की वहीं मौत हुई। ट्रक नो एंट्री में कैसे आया पुलिस की लापरवाही मानकर जांच के आदेश दिए गए। लेकिन दोषी की पहचान नहीं हुई।
केस-3: बलात्कार के आरोपी को अग्रिम जमानत मिलने से दुखी महाराजपुरा निवासी महिला ने सुसाइड किया। आत्महत्या से पहले पीडि़ता ने नोट में थाटीपुर थाने के तत्कालीन प्रभारी आनंद कुमार और विवेचना अधिकारी पूनम तोमर पर लापरवाही के आरोप लगाए और अपनी मौत का लिए जिम्मेदार बताया। पुलिस पर गंभीर आरोप की भी जांच शुरू हुई। लेकिन लगभग एक महीने बाद भी जांच जारी है।
पुलिस पर जनता का भरोसा कम होता
रिटायर्ड सीएसपी दीपक भार्गव का कहना है पुलिस के लिए जनता का भरोसा अहम है। हादसे या घटनाओं में कई बार पुलिस पर लापरवाही के आरोप लगते हैं। ऐसे मामलों की निष्पक्ष जांच जरूरी है। यदि पुलिसकर्मी की लापरवाही है तो उस पर कार्रवाई होना भी चाहिए। इससे पब्लिक और पुलिस में तालमेल रहता है। हालांकि ऐसे मामलों की जांच प्रक्रिया लंबी होती है। हर एंगल से घटनाक्रम को परखा जाता है। ऐसे में शिकायत करने वालों को भी धैर्य रखना चाहिए।

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