एनसीएलटी हो या पंजीकरण रद्द, गौतमबुद्ध नगर के बिल्डर आगे ..

एनसीएलटी हो या पंजीकरण रद्द, गौतमबुद्ध नगर के बिल्डर आगे

-यूपी रेरा अब तक रदद कर चुका है 72 प्रोजेक्ट का पंजीकरण, इनमें गौतमबुद्ध नगर के है 63 प्रोजेक्ट
-वहीं एनसीएलटी में प्रदेश के 110 प्रोजेक्ट, इनमें से गौतमबुद्ध नगर के है 100 से अधिक प्रोजेक्ट

ग्रेटर नोएडा। गौतमबुद्ध नगर के बिल्डर प्रोजेक्ट खरीदारों की समस्याओं का निस्तारण करने में फिसड्डी हैं, लेकिन नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) और उत्तर प्रदेश भूसंपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) से पंजीकरण रद्द करवाने में सबसे आगे हैं। साथ ही प्रोजेक्ट छोड़कर भागने की दौड़ में भी अन्य जिलों के बिल्डरों की बराबरी कर रहे हैं। बिल्डरों की मनमानी का असर खरीदारों पर पड़ रहा है। उनका घर मिलने का इंतजार बढ़ता जा रहा है।

यूपी रेरा में इस समय 3428 प्रोजेक्ट पंजीकृत है। इनमें से 50 प्रतिशत से अधिक प्रोजेक्ट एनसीआर के जिलों में है। उनमें भी अधिक संख्या गौतमबुद्ध नगर में है। प्रदेश भर के जिलों में बिल्डरों के प्रोजेक्ट फंसे हैं, लेकिन गौतमबुद्ध नगर में इनकी संख्या सबसे अधिक है। यहां लाखों खरीदार कब्जा मिलने और रजिस्ट्री होने का इंतजार कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के 110 बिल्डर प्रोजेक्ट एनसीएलटी में जा चुके है। इनमें से 100 से अधिक प्रोजेक्ट अकेले गौतमबुद्ध नगर जिले के हैं। वहीं प्रोजेक्टों को पूरा नहीं करने पर यूपी रेरा भी अब तक 72 प्रोजेक्ट का पंजीकरण रद्द कर चुका है। इनमें 63 प्रोजेक्ट गौतमबुद्ध नगर जिले के हैं। जबकि बाकी प्रोजेक्ट लखनऊ, मथुरा, गाजियाबाद के हैं। वहीं प्रदेश में अब तक 55 प्रोजेक्टों का पंजीकरण यूपी रेरा से वापस लिया जा चुका है। इनमें लखनऊ और वाराणसी के सबसे अधिक 10-10 प्रोजेक्ट हैं। जबकि गौतमबुद्ध नगर भी बराबरी की दौड़ में लगा है। यहां 8 प्रोजेक्टों का पंजीकरण बिल्डर वापस ले चुके हैं।

फंड नहीं होना और कर्जदार है मुख्य कारण
गौतमबुद्ध नगर में बिल्डर की सबसे बुरी हालत का मुख्य कारण फंड नहीं होना है। बिल्डरों ने एक साथ कई प्रोजेक्टों में काम शुरू कर दिया। वहां से आने वाले पैसों को काफी जगह निवेश कर दिया। जो फंस गया। वहीं संबंधित प्राधिकरण और बैंकों का भी काफी कर्ज हो गया है। मूल धनराशि नहीं चुकाने के कारण ब्याज की धनराशि भी काफी हो चुकी है। अब बिल्डर किसी ना किसी तरह अपने आप को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
कोट्स
गौतमबुद्ध नगर में सबसे अधिक प्रोजेक्ट फंसने का कारण भ्रष्टाचार है। बिल्डरों को केवल 10 प्रतिशत कीमत पर जमीन का आवंटन कर दिया गया। काफी लोगों के पास अनुभव भी नहीं था। एनसीएलटी भागने वाले बिल्डरों को रोकने के लिए सरकार को सख्त नियम बनाने होंगे।

अभिषेक कुमार, अध्यक्ष नेफोवा

 

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