ग्वालियर,  आपकी पसंदीदा कार जब भी गंदी होती है आप वाशिंग सेंटर ले जाते हैं। कार धुलाई, ड्रायक्लीन में बाहर की गंदगी तो हट जाती है, लेकिन अंदर की सफाई नहीं हो पाती। बाहर भी सिर्फ पानी से धुलाई होने के कारण धुलने के बाद भी गाड़ी में ज्यादा अंतर नहीं दिखता…लेकिन अब कार धुलाई शहर में पुरानी बात हो गई है। क्योंकि अब कार डिटेलिंग की तकनीक शहर में आ गई है। कार धुलाई से आगे बढ़कर अब कार डिटेलिंग होने लगी है। जिसमें आप कितनी भी गंदी गाड़ी ले जाएं, जब कार की डिटेलिंग होकर आपके हाथ में आपकी कार दोबारा आएगी तो बिलकुल ऐसी फीलिंग आएगी जैसे कार अभी-अभी शोरूम से बाहर निकली है। शहर के पाश इलाके सिटी सेंटर में कार डिटेलिंग सेंटर खुल गए हैं, जहां लक्जरी गाड़ियां डिटेलिंग के लिए पहुंच रही हैं। ग्वालियराइट्स को यह पसंद भी आ रही है।

कार धुलाई और कार डिटेलिंग में अंतर…

कार धुलाई:

– शहर में जो कार वाशिंग सेंटर खुले हैं, उनमें सिर्फ पानी और डिटर्जेंट, लोशन के जरिये बाहर से कार धो दी जाती है। कुछ सेंटर पर कार को अंदर से साफ करने के लिए वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि यह सुविधा भी कई जगह उपलब्ध नहीं है। कार धुलाई में बाहर से तो कार साफ हो जाती है, लेकिन अंदर से नहीं। कार को चमकाने के लिए धोने के बाद गाड़ी मालिक की डिमांड पर पालिशिंग भी की जाती है। इन्हीं सेंटर पर कार ड्रायक्लीन होती है, जिसमें अलग-अलग जैल का इस्तेमाल कर गाड़ी को धोया जाता है फिर पालिश की जाती है।

कीमत: कार धुलाई में 350 से 500 रुपये तक लगते हैं। जबकि कार ड्रायक्लीन पर 1250 रुपये खर्च होते हैं।

समय: 1 से 2 घंटे

कार डिटेलिंग:

– कार डिटेलिंग में धुलाई नहीं बल्कि सफाई होती है। इसके लिए अलग-अलग तकनीक और टूल्स, मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है। इसे ट्रेंड स्टाफ ही कर सकता है।

वैक्यूमिंग: सबसे पहले कार की सफाई के लिए वैक्यूमिंग की जाती है। इसमें जो वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल किया जाता है, उसमें केमिकल मिले होते हैं जो धूल, वैक्टीरिया, वायरस को मारने के साथ सक करते हैं।

पोर्स क्लीनिंग: कार डिटेलिंग में पोर्स क्लीनिंग मुख्य है। डोर, सीट, छत, स्टेयरिंग, डैश बोर्ड पर जो पोर्स होते हैं, उनमें धूल फंसी रहती है। यह दूर से ही नजर आती है। वैक्यूमिंग से यह नहीं जाती। इसके लिए पहले ब्रशिंग की जाती है। फिर केमिकल लगाने के बाद इसे टूल्स का इस्तेमाल कर साफ किया जाता है। इससे पोर्स पूरी तरह क्लीन हो जाते हैं।

वैक्स: कार के कोने-कोने की सफाई के लिए वैक्स का इस्तेमाल किया जाता है। टूल्स का इस्तेमाल कर वैक्स प्रो कोटिंग की जाती है।

सेरेमिक कोटिंग: कार के बाहर सेरेमिक कोटिंग की जाती है। इससे कलर प्रोटेक्शन और कार बाहर से इस तरह चमकती है, जैसे शोरूम में रखी गाड़ी चमकती है।

इंजन: इंजन के अंदर अक्सर आपने देखा होगा धूल की लेयर जमा रहती है, इसकी सफाई के लिए वैक्यूम क्लीनर, ब्रशिंग का इस्तेमाल किया जाता है।

परफ्यूमिंग: एक्टीरियर और इंटीरियर डीप क्लीनिंग के बाद परफ्यूमिंग सबसे महत्वपूर्ण चरण है। परफ्यूमिंग होने से गाड़ी के अंदर बिलकुल नई गाड़ी जैसी सुगंध आती है। गाड़ी जितनी पुरानी होती जाती है, उसमें दुर्गंध आने लगती है।

कीमत: कार डिटेलिंग 4 हजार रुपये से लेकर 15 हजार रुपये तक में होती है। अलग-अलग कार, माडल्स के आधार पर पैकेज तय होता है।

समय: 24 घंटे

अब कार डिटेलिंग का चलन बढ़ रहा है। इसकी वजह है, कार डिटेलिंग की कीमत और समय जरूर अधिक है लेकिन इससे गाड़ी बिलकुल नई जैसी लगने लगती है। कार डिटेलिंग समय-समय पर करवाने से कार की एज बढ़ जाती है। वैक्टीरिया, वायरस, धूल पूरी तरह साफ हो जाते हैं। कोने-कोने तक सफाई हो जाती है, क्योंकि इसमें तकनीक का इस्तेमाल होता है।

एक्सोटिक कार डिटेलिंग स्टूडियो