नोएडा : मरीज तड़पते रहे और दवाओं के नाम पर हो गया लाखों का खेल ..!

मरीज तड़पते रहे और दवाओं के नाम पर हो गया लाखों का खेल

मरीज तड़पते रहे और दवाओं के नाम पर हो गया लाखों का खेल

– कोविड अस्पताल में सामने आया दवा खरीद के नाम पर 11 लाख का फर्जीवाड़ा
– कोरोना की दूसरी लहर में खरीदी जानी थी दवाएं, सालभर बाद बिल बनाकर भेजे

– गड़बड़ी के संकेत मिलने पर मामले की जांच शुरू, संदेह के घेरे में कई कर्मचारी

नोएडा। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में लोग तड़प-तड़पकर दम तोड़ते रहे और दवाओं के सौदागर आपदा में अवसर तलाशते रहे। दवाओं की खरीद में फर्जीवाडे़ का ऐसा ही मामला दो साल बाद सामने आया है। नोएडा के कोविड अस्पताल में जिन दवाओं को खरीदने के ऑर्डर जून 2021 में हुए थे। एक साल बाद कागजों में उन दवाओं की खरीदारी दिखाई गई। मामले में लाखों रुपये के बिल बनाकर स्वास्थ्य निदेशालय भेज दिए गए। दवाओं की खरीद में गड़बड़ी के संकेत मिलने पर मामले की जांच शुरू हो गई है। यह फर्जीवाडा़ 11 लाख रुपये से ज्यादा का बताया जा रहा है। संदेह के घेरे में अस्पताल के कई कर्मचारी आ गए हैं।

मामला जून 2021 का बताया जा रहा था जब कोरोना की दूसरी लहर अपने पीक पर थी। सांसों पर गहराते संकट के बीच देशभर में दवाओं के लिए मारामारी मची हुई थी। उस समय नोएडा के कोविड अस्पताल प्रशासन की तरफ से पीपीई किट, मास्क, सिरिंज, पेरासीटामॉल सहित जरूरी दवाओं की खरीद के लिए ऑर्डर तैयार किया गया था। इस ऑर्डर के आधार पर दवाओं की खरीद तो नहीं हुई, लेकिन ऑर्डर बनाने वाले अधिकारी का जुलाई में तबादला हो गया। सूत्रों के अनुसार इस ऑर्डर के आधार पर सालभर बाद 2022 में दवाओं की खरीद के बिल बनाकर निदेशालय भेजे गए। बिलों के आधार पर 11 लाख रुपये से ज्यादा का बजट स्वीकृत भी हो गया। इस बीच गड़बड़ी के संकेत मिलने पर शासन ने जांच टीम गठित कर दी। मेरठ मंडल में तैनात अतिरिक्त निदेशक स्वास्थ्य के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी एक सप्ताह से इस फर्जीवाडे़ की जांच में जुटी है।

फार्मासिस्ट से लेकर डॉक्टर तक रडार पर

इस मामले में अस्पताल के पूर्व चीफ फार्मासिस्ट और कोविड अस्पताल के नोडल अधिकारी के बयान दर्ज किए गए हैं। पूर्व चीफ फार्मासिस्ट का तबादला मथुरा जिले में हो चुका है। उन्हें भी पूछताछ के लिए बुलाया गया है। साथ ही, अस्पताल के दवा स्टोर में तैनात अन्य फार्मासिस्ट से भी पूछताछ की गई है। बिलों पर जिस अधिकृत अधिकारी के हस्ताक्षर हैं वो भी जांच के दायरे में हैं। जिस दौरान बिल बनाकर निदेशालय भेजे गए, उस समय अस्पताल में तैनात रहे मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के भी बयान लिए जाएंगे।

दवा डीलर ने आयुक्त से की शिकायत

अस्पताल में दवाओं की आपूर्ति वेंडरों के जरिये की जाती है। इस मामले में जांच के दायरे में आए दवा वेंडर ने जांच पर सवाल उठाते हुए मेरठ मंडलायुक्त से शिकायत की है। वेंडर का कहना है कि लखनऊ से बजट को स्वीकृति मिल गई है। ऐसे में जांच कराने का कोई औचित्य नहीं है। वहीं, जांच टीम लगातार इस मामले की कड़ी में एक के बाद एक नाम जोड़ती जा रही है।

कैग की टीम भी खंगाल चुकी दस्तावेज

बीते मई माह में नियंत्रक महालेखापरीक्षक (कैग) की टीम भी नोएडा पहुंची थी। टीम ने जिला अस्पताल के अलावा स्वास्थ्य विभाग के दवा स्टोर में दस्तावेज खंगाले थे और संबंधित कर्मचारी-अधिकारियों से पूछताछ भी की थी।

वर्जन

कोरोना काल में दवा खरीद मामले की जांच शासन स्तर से सौंपी गई है। मामले की जांच पूरी कर एक सप्ताह में रिपोर्ट शासन को भेज दी जाएगी। इस मामले में कई लोगों से बयान लिए गए हैं। -डॉ. अर्चना त्यागी, अतिरिक्त निदेशक स्वास्थ्य एवं जांच अधिकारी

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