उपभोक्ताओं के हित में है ‘फ्रंट ऑफ पैक लेबलिंग’
अल्ट्रा-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ : पैक्ड खाद्य पदार्थों में मौजूद वसा, चीनी व नमक जैसी चीजों के बारे में जानकारी जरूरी है
यह विडंबना ही है कि आजकल पोषण से अधिक अन्य सुख सुविधाओं पर ध्यान दिया जाने लगा है। इस दौर में अल्ट्रा प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का हमारे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव की तरफ ध्यान आकर्षित करना आवश्यक है। शहरी क्षेत्रों में पौष्टिक भोजन के विकल्पों के बारे में लोगों को पर्याप्त जानकारी है। ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं में इसके बारे में जागरूकता बढ़ाना जरूरी है। ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-संचारी रोग बढ़ रहे है। हाल ही भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद-इंडिया डायबिटीज द्वारा भारत में मधुमेह बीमारी पर किए गए अध्ययन से इसकी पुष्टि हुई है। इस अध्ययन से पता चलता है कि शहरी क्षेत्रों में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा जैसी समस्याओं की व्यापकता की दर अधिक है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापकता की दर पिछले अनुमानों से और भी अधिक है। ऐसे कई साक्ष्य हैं, कि ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-संचारी रोग तेजी से फैल रहे हैं, जहां पर प्रभावी निदान और स्वास्थ्य सुविधाओं के बुनियादी ढांचे की कमी है।
अल्ट्रा-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और उनसे स्वास्थ्य पर पड़ने वाला प्रभाव: अल्ट्रा-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ ऐसे खाद्य उत्पाद हैं, जिनको अधिक मात्रा में प्रसंस्कृत किया गया जाता है और जिनमें अतिरिक्त अवयव मिलाए जाते हैं। ये पदार्थ औद्योगिक प्रसंस्करण के कई चरणों से गुजरते है, जिनमें अक्सर रासायनिक तत्त्व, कृत्रिम स्वाद, रंग, अस्वास्थ्यकारी वसा और मिठास शामिल होते हैं। इन खाद्य पदार्थों में अक्सर आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती है। इसलिए इनसे मोटापा, हृदय रोग और मधुमेह जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
पोषण के सही विकल्पों की पहचान: उपभोक्ताओं को ताजे फल, सब्जियां, मोटा अनाज और तरल प्रोटीनयुक्त संतुलित आहार के महत्त्व के बारे में जागरूक करना बहुत आवश्यक है। इस बारे में जानकारी होने पर उपभोक्ता अपने स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं तथा शारीरिक क्षमता में वृद्धि करते हुए पुरानी बीमारियों के प्रभाव को कम कर सकते हैं। इससे न केवल उपभोक्ताओं को स्वास्थ्य का लाभ होता है, बल्कि स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों पर दबाव भी कम होगा। इसका परिणाम यह होगा कि उपलब्ध संसाधनों को अन्य सामाजिक जरूरतों के लिए आवंटित किया जा सकेगा।
फ्रंट ऑफ पैक लेबलिंग-एक प्रभावी उपाय: फ्रंट ऑफ पैक लेबलिंग, पैक्ड खाद्य पदार्थों में मौजूद वसा, चीनी और नमक जैसी चीजों के बारे में जानकारी प्रदान करके उपभोक्ताओं को स्वस्थ विकल्प चुनने में सहायता करती है। यह स्पष्ट, प्रतीकात्मक और मानकीकृत लेबलिंग प्रणाली, उपभोक्ताओं को उनके आहार संबंधी उद्देश्यों के अनुरूप, उत्पादों की तुलना करने और चयन करने में सहायक होती है।
यह बात समझनी होगी कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के सभी उपभोक्ताओं को ध्यान में रखते हुए एक व्यापक जागरूकता अभियान की सख्त जरूरत है, जो उन्हें फ्रंट ऑफ पैक लेबलिंग का महत्त्व बताकर स्वास्थ्यवर्धक निर्णय लेने में सक्षम बना सके। इस तरह के अभियान का उद्देश्य उपभोक्ताओं को उपभोक्ता संगठनों, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों के साथ सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना है।
चेतावनी लेबल क्यों: चेतावनी लेबल न केवल ग्रामीण उपभोक्ताओं, बल्कि सभी आयु वर्ग के व्यक्तियों, विशेष रूप से बुजुर्गों और युवाओं के साथ-साथ अशिक्षित लोगों को भी जानकारी देने एवं स्वस्थ विकल्प चुनने में मदद करने के लिहाज से बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। ये लेबल दृश्य संकेतों के रूप में कार्य करते हैं, जो उपभोग से जुड़े संभावित जोखिमों के बारे में उपभोक्ता को बताते हैं। अधिक मात्रा में शर्करा, नमक या ट्रांस वसा वाले खाद्य पदार्थों पर चेतावनी लेबल उपभोक्ताओं को ऐसी वस्तुओं का उपभोग करने से बचा सकते हैं, जिनसे मोटापा, उच्च रक्तचाप या हृदय रोग होते हैं।
ग्रामीण उपभोक्ताओं का हित भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है, जितना शहरी उपभोक्ताओं का। लिहाजा स्वास्थ्य पर अल्ट्रा प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के प्रभाव के बारे में ग्रामीण समुदायों को संवेदनशील बनाकर, वैकल्पिक पोषण के महत्त्व की जानकारी देकर और फ्रंट ऑफ पैक लेबलिंग और चेतावनी लेबल की पैरवी करके हम ग्रामीण उपभोक्ताओं को भी आहार संबंधी सही निर्णय लेने में सक्षम बना सकते हैं।
चिकित्सकों और वैज्ञानिक की राय है कि भारत को वैश्विक मानकों के अनुसार चेतावनी लेबल को अपनाना चाहिए। यह न केवल गंभीर बीमारी को रोकने के लिए जरूरी है, बल्कि तेजी से बढ़ते खाद्य बाजार के बेहतर भविष्य के लिए भी फायदेमंद है। वैश्विक विस्तार के लिए भारतीय खाद्य उद्योग भी ऐसा लेबल अपनाना चाहेगा, जो सबसे अच्छा हो और उपभोक्ता अनुकूल हो। इस लिहाज से यह जानकारी उपयोगी है कि भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) सभी पैकेज्ड खाद्य पदार्थों पर अनिवार्य रूप से हेल्थ स्टार रेटिंग (एचएसआर) शुरू करने की अपनी योजना पर विचार कर रहा है। एचएसआर एक फ्रंट ऑफ पैक लेबलिंग प्रणाली है, जो पैक्ड भोजन की समग्र पोषण संबंधी प्रोफाइल का मूल्यांकन करती है। यह एक ऐसी प्रणाली है जो पैक्ड और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ को एक और पांच के बीच रेटिंग करती है। एचएसआर का उद्देश्य पैकेज्ड खाद्य पदार्थों के सामने किसी उत्पाद की प्रमुख पोषण संबंधी जानकारी प्रदान करना है, ताकि उपभोक्ता एक ही श्रेणी के उत्पादों के बीच तुलना कर सके।