विधानसभा चुनाव के केंद्र में 47 आदिवासी सीटें ..!
विधानसभा चुनाव के केंद्र में 47 आदिवासी सीटें:पूर्व के 92 प्रतिशत गोंड-कोल तक पहुंचे मोदी, अब पश्चिम में 90 प्रतिशत भील-भिलाला से जुड़ेंगे राहुल
मप्र में कुल आबादी का 21.09 प्रतिशत आदिवासी हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों का फोकस इनकेे लिए आरक्षित 47 सीटों पर है।
मप्र में कुल आबादी का 21.09 प्रतिशत आदिवासी हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों का फोकस इनकेे लिए आरक्षित 47 सीटों पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 दिन पहले पूर्वी मध्यप्रदेश के शहडोल में पकरिया पहुंचे और खाट पंचायत में आदिवासियों (गोंड और कोल) से सीधे बातचीत की। भाजपा का दावा है कि इससे 12 जिलों की 26 विधानसभा सीटों में निवासरत 92 फीसदी आदिवासियों तक भाजपा की पहुंच हुई है, जिसका फायदा चुनाव में मिलेगा।
पहले यह कार्यक्रम धार जिले में होना था जिसे बदलकर शहडोल किया गया। इधर, कांग्रेस भी अगस्त में प्रदेश के पश्चिमी छोर पर स्थित धार जिले में राहुल गांधी की सभा करवाने जा रही है। सभा के लिए सरदारपुर विधानसभा में आने वाले श्वेतांबर जैन तीर्थ स्थल राजगढ़-मोहनखेड़ा का चयन किया गया है।
सोनिया, राहुल और प्रियंका पूर्व में यहां आकर आशीर्वाद ले चुके हैं। यहां राहुल की सभा के जरिये कांग्रेस 8 जिलों की 20 विधानसभा सीटाें के 90 प्रतिशत आदिवासियों (भील-भिलाला) तक पहुंचने का दावा कर रही है। सरदारपुर से पांच विधानसभा सीटें झाबुआ, पेटलावद, बदनावर, धार, गंधवानी की सीमाएं लगी हैं। ये सभी भील जनजाति बहुल हैं।
भाजपा का दावा…मोदी के दौरे से 12 जिलों की 26 सीटों पर भाजपा की पहुंच हुई
कांग्रेस की उम्मीद…राहुल की सभाओं से 20 जिलों की 46 सीटों पर असर होगा
खरगोन और रतलाम में भी सभा का प्रस्ताव
इसके बाद अगस्त में ही राहुल की अगली सभा शहडोल के ब्योहारी में कराए जाने का प्रस्ताव है। इस बारे में पीसीसी से प्रस्ताव एआईसीसी को भाजपा जा रहा है । इन दोनों सभाओं के जरिए कांग्रेस का फोकस सात संभागों के 20 जिलों में 89 आदिवासी बहुल ब्लाॅक तक पहुंचना है। इन सभाओं के जरिए 1 करोड़ 20 लाख वोटर में से भी बड़ी संख्या को अपने पक्ष में करना है। अगस्त-सितंबर में राहुल खरगोन और फिर रतलाम (सैलाना) में पहुंचेंगे।
- 1.80 करोड़ मप्र में आदिवासी
- 1.20 करोड़ इनमें मतदाता
- 50% से ज्यादा इनमें गोंड-कोल और कोरकू
- 45 फीसदी भील-भिलाला और बारेला
मालवा-निमाड़ – आदिवासी बहुल 20 सीटों में 14 कांग्रेस, 6 भाजपा के पास मोहनखेड़ा में सभा और रोड-शो से कांग्रेस मालवा- निमाड़ के खरगोन, बड़वानी, अलीराजपुर, झाबुआ, धार, रतलाम तक पहुंचना चाहती है। इन जिलों की 20 सीटें भील-भिलाला बहुल हैं। इनमें भीकनगांव, भगवानपुरा, सेंधवा, राजपुर, पानसेमल, झाबुआ, थांदला, पेटलाबद, सरदारपुर, गंधवानी, कुक्षी, मनावर, धरमपुरी, सैलाना से कांग्रेस के विधायक हैं। 6 सीटें हरसूद, पंधाना, नेपागनगर, अलीराजपुर, जोबट, रतलाम ग्रामीण भाजपा के पास हैं।
विंध्य-महाकौशल – 26 सीटों में से 14 कांग्रेस, 12 भाजपा जीती थी- शहडोल के ब्योहारी से राहुल 12 जिलों की 26 आदिवासी सीटों तक पहुंचेगे। विंध्य-महाकौशल में कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव (2018) में 14 सीटें शहपुरा, डिंडोरी, पुष्पराजगढ़, मंडला, बिछिया, निवास, बैहर, बरघाट, लखनादौन. जुन्नारदेव, अमरवाड़ा, पांर्ढुणा, घोड़ाडोंगरी और भैंसदेही जीती थी। 12 सीटें चितरंगी, धौहनी, ब्यौहारी, जयसिंहनगर, जैतपुर, अनूपपुर,बांधवगढ़, मानपुर, बड़वारा, सिहोरा, मंडला और टिमरनी भाजपा के पास है।
यूं समझिए गणित- आदिवासी सीटों पर जीत… यानी सत्ता पर कब्जे की चाबी
- 2003 के विधानसभा चुनाव में 41 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित थी, जिसमें भाजपा ने 37 जीती और सत्ता पर काबिज हुई।
- 2008 में जनजाति के लिए आरक्षित सीटों की संख्या 47 हो गई। भाजपा ने 29 सीटों पर जीत दर्ज की और सत्ता में वापसी हुई। कांग्रेस को 17 सीटें मिली और 1 पर निर्दलीय जीता।
- 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 47 में से 31 सीटें जीती और तीसरी बार सत्ता में वापसी हुई, कांग्रेस को 15 सीटें मिल पाई।
- 2018 में कांग्रेस ने आदिवासियों के लिए आरक्षित 30 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की और सरकार बनाई। भाजपा को 16 सीटों पर जीत मिली।