मोबाइल की माया… सब कुछ याद मगर लिखना भूल रहे बच्चे
मोबाइल में बोलकर चीजें खोजने के कारण भी लिखना छूट रहा …
जयपुर. कोविड के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई ने बच्चों को मोबाइल का आदी बना दिया। इसका असर यह हुआ कि बच्चे क्लास में टीचर और विषय पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं। उन्हें चीजें तो याद रहती हैं लेकिन 30 शब्द तक लिखने में मुश्किल हो रही है।
तमाम बच्चे ऐसे भी हैं जो सोचते तो क्रिएटिव हैं मगर चीजों को अभिव्यक्त नहीं कर पा रहे हैं। इससे न सिर्फ उन पर मानसिक दबाव बढ़ रहा है बल्कि परीक्षा में अच्छे नंबर भी नहीं आ रहे हैं। अधिकांश बच्चे मोबाइल में बोलकर चीजें खोजते हैं इससे भी वे लिखने से दूर होते जा रहे हैं।
बच्चों पर फोकस करें अभिभावक
पांच से आठ साल के बच्चों को दस से तीस शब्दों के जवाब लिखने में दिक्कत आ रही है। मैथ्स सॉल्विंग, इंग्लिश राइटिंग और हिंदी में उनकी स्थिति बहुत खराब है। यह सब कोरोना के दौरान मोबाइल कनेक्शन से हुआ है। बच्चे अभ्यास से ही साफ और अच्छा लिखना सीखते हैं। जितना अभ्यास होगा उतनी ही अच्छी लेखनी होती है।
बच्चों को पत्र लिखने या कहानी लिखने का टास्क दें।
किसी जगह या चीज के अनुभव को लिखकर दिखाएं।
बच्चों से कविता और कहानियां लिखवाएं।
किसी विषय पर बच्चे क्या सोचते हैं लिखकर बताएं।
ऐसे पेन-पेन्सिल दें जो लिखने में कम्फर्टेबल हों।
वेकेशन में भी उन्हें लिखने से संबंधित प्रोजेक्ट दें।
क्या हैं समाधान
बच्चों में लिखने से अंगुलियों में दर्द की शिकायत आ रही है। ज्यादा की-बोर्ड का उपयोग या फिर चार से पांच पेज लिखने से उनके हाथ दर्द होने लगता है। पेन या पेंसिल को ज्यादा टाइट पकड़ने से भी नसों में खिंचाव होता है। प्रैक्टिस से धीरे- धीरे सब ठीक हो जाता है। डॉं फिजियोथैरेपिस्ट
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चौथी कक्षा में पढ़ने वाली बजाज नगर निवासी कुनिका (8) को सभी विषयों के जवाब मुंह जबानी याद हैं। इसके बावजूद उसे परीक्षा में उम्मीद से कम नंबर मिले। अभिभावक ने जब कॉपी देखी तो पाया कि कई जवाब सही से नहीं लिखे थे। हैंडराइटिंग भी बहुत खराब थी जिसे पढ़ पाना मुश्किल था।
त्रिवेणी नगर निवासी आस्था (12) को अधिकतर चीजें याद हैं लेकिन लिखते समय अंगुलियों में खिंचाव होने के कारण दर्द के साथ कम काम होने लगा। डॉक्टरों ने बताया कि उसे कार्पल टनल सिंड्रोम हो गया है। अल्ट्रासाउंड और टेन्स से परीक्षण कर दवाइयों से उसे ठीक किया गया